Family walked 15 kms carrying bodies of their children on their shoulders VIDEO: छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा से एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। रोते-बिलखते माता-पिता और उनके कंधों पर एक-एक बच्चे का शव। दोनों स्वास्थ्य केंद्र से 15 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव जा रहे हैं। उन्हें अस्पताल से न तो एंबुलेंस मिलती है और न ही कोई अन्य सुविधा।
यह पूरी घटना गढ़चिरौली जिले के अहेरी गांव की है। 3-4 सितंबर को दो सगे भाइयों बाजीराव रमेश वेलाडी (उम्र 6 साल) और दिनेश रमेश वेलाडी (उम्र 4 साल) की तबीयत खराब हो गई। उन्हें तेज बुखार था। परिजन उन्हें पास के पट्टीगांव ले गए और झाड़-फूंक कराई। झाड़-फूंक करने वाले ने उन्हें एक जड़ी-बूटी दी। उसने दावा किया कि इससे उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी।
जब उनकी तबीयत और बिगड़ी तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया
झाड़-फूंक से बच्चों की तबीयत ठीक होने के बजाय और बिगड़ने लगी। इसके बाद परिजन किसी तरह दोनों बच्चों को पट्टीगांव से जिमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र ले गए। यहां दोनों बच्चों को भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।
रोते-बिलखते परिजनों ने बच्चों के शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग की। काफी जद्दोजहद के बाद भी माता-पिता को एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद उन्हें मजबूरन दोनों बच्चों के शव उठाकर पैदल ही घर जाना पड़ा।
गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं
व्यवस्था की मार माता-पिता को अभी झेलनी थी, जब वे पैदल चल रहे थे तो उन्हें कीचड़ और जंगल से होकर घर जाना पड़ा। पट्टीगांव से अहेरी तक कोई पक्की सड़क नहीं है। माता-पिता करीब 15 किलोमीटर कच्ची सड़क पर पैदल चले। इस दौरान वहां से गुजर रहे कुछ लोगों ने वीडियो बना लिया। जिसके बाद यह मामला सामने आया।
नक्सल प्रभावित है इलाका
बता दें कि, महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है। यह नक्सल प्रभावित इलाका है। हाल ही में कुछ दिन पहले यहां मुठभेड़ में कुछ नक्सली भी मारे गए थे। जिस इलाके में दंपती रहते हैं वह अंदरूनी और संवेदनशील है। ऐसे में विकास अभी तक वहां नहीं पहुंच पाया है।
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