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ओडिशा टू गरियाबंद गांजे का नेटवर्क ? 2 राज्यों के बीच कैसे बनप रहा नशे का साम्राज्य, जानिए कौन बिछा रहा ग्रीन सिंडकेट का सीक्रेट जाल ?

गरियाबंद से गिरीश जगत की रिपोर्ट-

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: गरियाबंद के शांत जंगलों और सीमावर्ती इलाकों की खामोशी के पीछे एक ऐसा ‘सीक्रेट नेटवर्क’ पनप रहा था, जिसे पुलिस ने इण्ड-टू-इण्ड ऑपरेशन में बेनकाब कर दिया। यह सिर्फ गांजा पकड़ने की कार्रवाई नहीं थी, यह उस परदे के पीछे की कहानी है जिसमें ओडिशा के गांवों से लेकर छत्तीसगढ़ के हाईवे तक गांजे की अवैध सप्लाई चल रही थी – और कुछ सप्लायर तो अब तक “अदृश्य” बने हुए थे।

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: 2025 की शुरुआत में जब कोतवाली गरियाबंद ने एक पिकअप वाहन में 83.300 किलो ग्राम गांजा के साथ जगदीश भाटिया को गिरफ्तार किया, तब यह सिर्फ एक ‘क्लासिक NDPS केस’ लगा। लेकिन पुलिस को शक था कि वह महज एक मोहरा है—डोर कहीं और से खींची जा रही है। उसी वक्त वरिष्ठ अधिकारियों ने तय कर लिया था—इस बार केस सिर्फ पकड़ पर नहीं रुकेगा, पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा।


पहला धागा: ओडिशा के कारेकम्बा से भुयना दिगल की गिरफ्तारी

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: NDPS की धारा 29 जोड़ी गई—यानि साज़िश और संलिप्तता। फिर शुरू हुई उस ‘शून्य में छिपे सप्लायर’ की तलाश, जिसने जगदीश को गांजा भेजा था। साइबर सेल की मदद ली गई। डिजिटल footprints, कॉल ट्रेसिंग और सिम लोकेशन के जरिए पुलिस उस शख्स तक पहुंच गई—भुयना दिगल, उम्र 40, ओडिशा के कंधमाल जिले के कारेकम्बा गांव का निवासी। जो जंगलों की आड़ में बड़े पैमाने पर ड्रग सप्लाई कर रहा था।

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: पुलिस ने उसे गवाहों की मौजूदगी में धर दबोचा और अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस गिरफ्तारी ने ये साबित कर दिया—कि गरियाबंद में गांजे का जो धंधा चल रहा है, उसका सिरा सीमापार ओडिशा के उग्र नेटवर्क से जुड़ा है।


गरियाबंद पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नशे के सौदागरों को कहीं भी पनाह नहीं मिलने वाली। अवैध गांजा तस्करी के दो अलग-अलग मामलों में फरार चल रहे दो कुख्यात सप्लायरों को पकड़कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। ये वही आरोपी थे, जो NDPS एक्ट के तहत दर्ज मामलों में लंबे समय से फरार चल रहे थे और ओडिशा से लेकर छत्तीसगढ़ तक गांजा तस्करी के ग्रीन सिंडिकेट की अहम कड़ी माने जा रहे थे।

केस नं. 1 – 83.3 किलो गांजा का ट्रक और सप्लायर ‘भुयना दिगल’

दिनांक 07 जनवरी 2025, थाना सिटी कोतवाली गरियाबंद के तहत NDPS एक्ट की धारा 20(B)(ii)(C) के तहत 83.300 किलो अवैध गांजा के साथ आरोपी जगदीश भाटिया को एक पिकअप वाहन से पकड़ा गया था। गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि इसके पीछे एक बड़ा सप्लायर नेटवर्क सक्रिय है, जो इस खेप को उड़िसा से छत्तीसगढ़ पहुंचा रहा था।

मुख्य सप्लायर ‘भुयना दिगल’, निवासी कारेकम्बा, थाना फिरला, ज़िला कंधमाल (उड़‍‍‍ीसा) की तलाश लंबे समय से जारी थी। साइबर सेल की लोकेशन ट्रैकिंग और तकनीकी मदद से आखिरकार उसे गरियाबंद पुलिस ने समक्ष गवाहों की मौजूदगी में गिरफ्तार कर लिया। अब उस पर धारा 29 NDPS Act भी जोड़ी गई है, यानी उसने साजिश और सप्लाई नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केस नं. 2 – बाइक पर 30.385 किलो गांजा और भागा हुआ ‘प्रकाश खिल्लो’

दूसरा मामला 18 मार्च 2025 का है। थाना गरियाबंद पुलिस ने चार लोगों – निक्कू कुमार, शंकर पांडे, विशाल कुमार, मुनीश कुमार को एक बाइक में 30.385 किलो गांजा के साथ पकड़ा था। पूछताछ में पता चला कि इस खेप को उड़िसा से कोरापुट के एक युवक ने भेजा था, जिसका नाम प्रकाश खिल्लो था।

प्रकाश खिल्लो, निवासी ग्राम दुरला टिकरापारा, थाना नंदपुर, ज़िला कोरापुट (उड़‍‍‍ीसा), कई महीनों से फरार चल रहा था। एक बार फिर साइबर सेल की मदद से उसकी लोकेशन ट्रेस की गई और उसे समक्ष गवाहों के साथ पकड़ लिया गया। उसे भी 02 जून 2025 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

क्या है ‘ग्रीन सिंडिकेट’ का ऑपरेशन मॉडल?

ये गिरफ्तारी सिर्फ दो सप्लायरों की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ और उड़‍‍‍ीसा के बीच फैले एक संगठित गांजा सिंडिकेट के ऑपरेशन को तोड़ने का बड़ा कदम है।

  • उड़‍‍‍ीसा के आदिवासी जिलों में जंगलों के भीतर अवैध गांजा की खेती होती है।
  • वहां से छोटी खेपें वाहनों और बाइकों में छत्तीसगढ़ की सीमाओं तक पहुंचाई जाती हैं।
  • गरियाबंद जैसे जिलों में लोकल डिस्ट्रीब्यूटर इन्हें आगे बेचने का काम करते हैं।

पुलिस का ऑपरेशन – ‘इंड टू इंड एक्शन’

गरियाबंद पुलिस ने सिर्फ ट्रांसपोर्टर नहीं, बल्कि सप्लायर चेन के ऊपरी लिंक को भी टारगेट करने की नीति अपनाई है। इसे ही ‘इंड टू इंड एक्शन’ कहा गया है – यानी अपराध की शुरुआत से लेकर आखिरी सप्लाई प्वाइंट तक सभी को पकड़ना।

इस केस में थाना सिटी कोतवाली गरियाबंद और साइबर सेल की विशेष भूमिका रही।


✍️ गिरफ्तार आरोपी –

  1. भुयना दिगल पिता नानीगा दिगल (उम्र 40 वर्ष)
    निवासी – कारेकम्बा, थाना फिरला, ज़िला कंधमाल, ओडिशा
  2. प्रकाश खिल्लो पिता गुरु खिल्लो (उम्र 22 वर्ष)
    निवासी – ग्राम दुरला टिकरापारा, थाना नंदपुर, ज़िला कोरापुट, ओडिशा

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: गरियाबंद की इस दोहरी सफलता ने न सिर्फ पुलिस की प्रोएक्टिव कार्यशैली को उजागर किया है, बल्कि ये भी साफ किया है कि NDPS के मामले अब सतह से हटकर गहराई से देखे जा रहे हैं। यह ‘इण्ड टू इण्ड’ रणनीति अब सिर्फ एक गिरफ्तारी पर नहीं रुकती—यह पूछती है, “गांजा कहां से आया, किसने भेजा, कितनी बार भेजा, और कौन है वो जो अब भी छिपा हुआ है?”

अभी तक की कार्रवाई में दो मुख्य सप्लायर जेल की सलाखों के पीछे हैं:

  • भुयना दिगल (40), निवासी कारेकम्बा, थाना फिरला, कंधमाल, ओडिशा
  • प्रकाश खिल्लो (22), निवासी दुरला टिकरापारा, थाना नंदपुर, जिला कोरापुट, ओडिशा

Chhattisgarh Gariaband Illegal smuggling of ganja Odisha: इनकी गिरफ्तारी से साबित होता है कि सीमावर्ती इलाकों में गांजे की खेती से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का एक मजबूत सिंडिकेट मौजूद है, जिसे पुलिस अब जड़ से उखाड़ने की तैयारी में है।

पहला पड़ाव: क्यों है ओडिशा गांजे की खेती का गढ़?

ओडिशा के कंधमाल, कोरापुट, मल्कानगिरी, गजपति और रायगढ़ा जैसे आदिवासी बहुल जिलों में लंबे समय से अवैध गांजे की खेती होती है। पहाड़ी इलाकों में जंगलों के बीच यह खेती छिपाकर की जाती है और सुरक्षा एजेंसियों की नज़रों से बचाने के लिए पुल और संकरे रास्तों के भीतर गुप्त खेत बनाए जाते हैं

  • इस क्षेत्र में नक्सल प्रभाव और सरकारी पहुंच की कमी भी माफिया को सुरक्षित माहौल देती है।
  • गांजे की खेती करने वालों को प्रति एकड़ 50 से 70 हजार तक की इनकम होती है, जो गरीब किसानों के लिए लालच बन जाता है।

दूसरा पड़ाव: कैसे पहुंचता है गांजा गरियाबंद?

  1. सप्लायर और बिचौलिए ओडिशा के सीमावर्ती गांवों से गांजे को छोटे-छोटे पैकेट्स में मोटरसाइकिल, पिकअप वैन और ट्रकों में छुपाकर निकालते हैं।
  2. कोरापुट, कालाहांडी, नवरंगपुर से होते हुए ये खेप सबसे पास के छत्तीसगढ़ जिले – गरियाबंद, महासमुंद और रायगढ़ में दाखिल होती है।
  3. बिजू-पथ, जंगल ट्रेल्स, और कच्ची सड़कों का उपयोग कर माफिया राजकीय चेक पोस्ट को बायपास करता है। कई बार ड्राइवर और वाहनों के नंबर फर्जी होते हैं।
  4. गरियाबंद जैसे सीमावर्ती इलाकों में माफिया के लोकल कनेक्शन मौजूद रहते हैं जो स्टोरेज से लेकर डिस्ट्रिब्यूशन तक का नेटवर्क संभालते हैं।

तीसरा पड़ाव: “ग्रीन सिंडिकेट” का सीक्रेट ऑपरेशन कैसे काम करता है?

  • सिंडिकेट का नेटवर्क 3 लेयर में बंटा होता है:
    • लेयर 1 – किसान और उत्पादक: ओडिशा के आदिवासी गांवों में छोटे किसान जो गांजा उगाते हैं।
    • लेयर 2 – ट्रांसपोर्टर और बिचौलिए: ये वो लोग हैं जो खेप को सीमा पार ले जाते हैं।
    • लेयर 3 – लोकल सप्लायर: गरियाबंद जैसे जिलों में बैठे लोग जो थोक से फुटकर सप्लाई की कमान संभालते हैं।
  • गरियाबंद में हालिया गिरफ्तारी जैसे भुयना दिगल और प्रकाश खिल्लो इसी सिंडिकेट के ट्रांसपोर्ट और सप्लाई चेन का हिस्सा थे।
  • ये लोग कई बार छोटे व्यापारियों, ट्रक चालकों या अस्थायी मजदूरों की आड़ में काम करते हैं।

क्या कर रही है पुलिस?

  • NDPS एक्ट के तहत इंड टू इंड एक्शन प्लान के तहत अब केवल ट्रक या वाहन पकड़ने की बजाय बैक ट्रैकिंग की जा रही है – यानी सप्लायर, फाइनेंसर, खेत और नेटवर्क तक जाना।
  • साइबर सेल, नेटवर्क ट्रैकिंग, बैंकिंग जांच जैसे तरीकों से पुलिस अब पीछे के चेहरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

नतीजा क्या है?

ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच गांजे का यह नेटवर्क न केवल सीमा सुरक्षा की चुनौती है बल्कि यह युवा पीढ़ी के भविष्य को धीमे जहर की तरह खत्म कर रहा है। “ग्रीन सिंडिकेट” का यह अंडरवर्ल्ड अभी भी आधा सीक्रेट और आधा एक्सपोज है – लेकिन गरियाबंद पुलिस की ताज़ा कार्रवाइयों ने इसकी कमर तोड़ने की शुरुआत कर दी है।

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