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पिता ने मोबाइल नहीं दिया, तो बेटे ने लगाई फांसी: रात में बाथरूम में लटकी मिली लाश, 7वीं कक्षा का था छात्र

Chhattisgarh Bilaspur Son hanged himself as mobile was not found: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पिता ने अपने 13 वर्षीय बेटे को देर रात मोबाइल देने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर बेटे ने रात में अपने घर के बाथरूम में जाकर फांसी लगा ली। रात करीब 2.30 बजे उसकी दादी ने बाथरूम में शव लटका देखा। पूरा मामला सरकंडा थाना क्षेत्र के अशोक नगर का है।

मिली जानकारी के अनुसार सरकंडा के अशोक नगर में रहने वाले देवानंद जायसवाल एक निजी संस्थान में काम करते हैं। उनका बेटा सोम जायसवाल (13) 7वीं का छात्र था। देवानंद ने बताया कि मंगलवार को उनके बेटे की तबीयत खराब थी। रात में पिता और बेटा एक ही कमरे में सो रहे थे। रात में सोम ने अपने पिता से मोबाइल मांगा।

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देवानंद ने मोबाइल देने से मना कर दिया

इस दौरान तबीयत खराब होने के कारण देवानंद ने मोबाइल देने से मना कर दिया। साथ ही उसे जल्दी सोने के लिए कहा। इससे बच्चा नाराज हो गया। कुछ देर बाद वह कमरे से बाहर चला गया, फिर देवानंद भी सो गया, जब वह उठा तो उसका बेटा फंदे से लटका हुआ था।

परिजन उसे फंदे से उतारकर सिम्स ले गए। इस दौरान परिजन आनन-फानन में सोम को फंदे से उतारकर सिम्स ले गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया। प्रारंभिक जांच के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। सरकंडा के अशोक नगर में बेटे की आत्महत्या के बाद पुलिस ने पिता से पूछताछ की।

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2 साल पहले भी 10वीं के छात्र ने की थी आत्महत्या

करीब दो साल पहले जून 2022 में सिविल लाइन क्षेत्र के मंगला बापजी रेजीडेंसी में रहने वाले 10वीं के छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस पूछताछ में पता चला कि छात्र मोबाइल पर गेम खेलता था। इसके चलते उसकी मां ने मोबाइल छीन लिया था। इससे नाराज होकर उसने फांसी लगा ली। उसे लटका देख परिजनों ने फंदा काटकर नीचे उतारा। इसके बाद उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

बच्चों को वर्चुअल दुनिया से दूर करें- मनोवैज्ञानिक

दूसरी ओर, छात्र आत्महत्या मामले में जिला अस्पताल में पदस्थ मनोवैज्ञानिक डॉ. गामिनी वर्मा ने कहा कि 7वीं कक्षा के बच्चे द्वारा उठाया गया आत्महत्या का कदम कहीं न कहीं अत्यधिक आधुनिकता से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि आजकल बच्चे मोबाइल देखे बिना खाना नहीं खा रहे हैं। मोबाइल पर गेम खेलते हुए वे इसे सही मानते हैं।

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मनोवैज्ञानिक डॉ. गामिनी वर्मा ने कहा कि मोबाइल के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन और गुस्से की प्रवृत्ति बढ़ रही है। बच्चे मोबाइल देखकर समझ रहे हैं कि आत्महत्या क्या होती है। एक तरह से वे अपनी उम्र से बड़े हो गए हैं। ऐसे में अभिभावकों को उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। अभिभावकों को अपने बच्चों को बताना चाहिए कि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग उनके लिए ठीक नहीं है।

अभिभावकों को समझना चाहिए कि उन्होंने ही बच्चे को बचपन से मोबाइल की लत लगाई है। अब इसे जल्दी खत्म नहीं किया जा सकता। इसके लिए कुछ प्रयास करने होंगे। अभिभावक खुद ही बच्चों को वर्चुअल दुनिया की ओर धकेल रहे हैं, जो सच्चाई से कोसों दूर है। ऐसे में हम बच्चों का ध्यान मोबाइल और वर्चुअल दुनिया से हटा सकते हैं।

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