पुष्पराजगढ़। कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते, रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में, लेकिन आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते. ये लाइनें पुष्पराजगढ़ के डॉ. बिरझू श्याम पर फिट बैठती हैं. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाला लड़का आज PhD की उपाधि पाकर पूरे परिवार और पुष्पराजगढ़ का नाम रौशन किया है. ये उपाधि बिरझू ने कड़ी मेहनत से हासिल की है, जिसको बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.
कौन है बिरझू श्याम ?
दरअसल, बिरझू श्याम अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ के एक छोटे से गांव का रहने वाला है, जिसने गरीबी अधीनी में किसी कदर पढ़ाई कर आज मंजिल को छू लिया है. ग्राम पंचायत खजूरवार के रहने वाले श्याम ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है.
बिरझू सिंह श्याम ने वनस्पति विभाग से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. इनका टॉपिक- एथनो बॉटनिकल एंड सोशियो इकोलॉजिकल स्टडी ऑफ मेडिसिनल प्लांट्स रहा, जिससे वह पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर अपने और अपने परिवार का नाम रौशन किया है.
MP-CG टाइम्स से बातचीत में बिरझू श्याम ने कहा कि उन्होंने पीएचडी निर्देशक प्रो. नवीन कुमार शर्मा के नेतॉत्व में उपाधि प्राप्त की है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस उपाधि को प्राप्त करने में विशेष सहयोग खजूरवार सरपंच संतराम सिंह वालरे का रहा, जिसने सहयोग कर यहां तक पहुंचाया. साथ ही अपने मां-बाप का भी आभार जताया.
पुष्पराजगढ़ के बिरझू ने कड़ी मेहनत से अपनी मंजिल को प्राप्त की. गरीबी में भी संघर्ष करके मुकाम को हासिल की. उन्होंने कहा कि आमदनी बेहद मामूली है, लेकिन हौंसलों में इतनी ताकत थी की आज आसमान भी जमीं पर उतर आया है. ख्वाब आज पूरे सच हो चुके हैं. कहते भी हैं, हौसले बुलंद हो तो मंजिल हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता. इसी ख्वाब को हकीकत में बदलने का नाम है डॉ. बिरझू श्याम.