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देश में नेता-अभिनेता भी सुरक्षित नहीं: लखमा की गिरफ्तारी पर भूपेश कहा- भ्रष्टाचार उजागर करने पर जेल या मौत मिलती है

Bhupesh Baghel statement on Kawasi Lakhma arrest: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आरएसएस प्रमुख भागवत के बयान के अलावा कवासी लखमा और सैफ अली खान पर हमले को लेकर बीजेपी को घेरा। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार में नेता और अभिनेता तक सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बस्तर में भ्रष्टाचार को उजागर करने पर जेल या मौत की सजा हो जाती है।

दरअसल मोहन भागवत ने 13 जनवरी को इंदौर में कहा था कि जिस दिन श्री राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा हुआ, उसे भारत की सच्ची आजादी माना जाना चाहिए। पहले हम इसे वैकुंठ द्वादशी कहते थे लेकिन अब इसे प्रतिष्ठा द्वादशी कहना होगा। क्योंकि उस दिन सच्ची आजादी की स्थापना हुई थी, जिसने कई शताब्दियों तक चक्र का सामना किया था। आजादी तो थी लेकिन स्थापित नहीं हुई।

भूपेश ने कहा- भागवत ने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया

भूपेश बघेल ने कहा कि मोहन भागवत जी आरएसएस के प्रमुख हैं और उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद हमें आजादी मिली। इसका मतलब है कि वह संविधान को नहीं मानते। इसका दूसरा मतलब यह है कि यह उस लड़ाई का अपमान है जो हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम में लाखों की संख्या में लड़ी थी। तीसरा, उन्होंने अपने संघर्ष को भी नकार दिया। आरएसएस को तिरंगा अपनाने में 52 साल लग गए।

मुंबई में अभिनेता सुरक्षित नहीं- बघेल

सैफ अली खान पर हमले को लेकर भूपेश बघेल ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में अब कोई भी सुरक्षित नहीं है। रात के ढाई बजे 11वीं मंजिल पर जाकर उनके कंपार्टमेंट में हमला करना मतलब यह है कि मुंबई अब आम लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। बाबा सिद्दीकी की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। जब नेता और अभिनेता सुरक्षित नहीं हैं तो डबल इंजन की सरकार में दूसरे कैसे सुरक्षित रहेंगे।

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सवाल उठाने पर लखमा को जेल भेज दिया गया

लखमा की गिरफ्तारी पर बघेल ने कहा कि यह 2021-22 की घटना है, ईडी ने कार्रवाई की। 3 साल हो गए और अब 3 साल बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। विधानसभा का सत्र 16 से 20 दिसंबर 2024 तक था, कवासी लखमा ने अपनी विधानसभा से जुड़ा सवाल पूछा।

इसका लिखित जवाब है जिसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री ने माना कि आचार संहिता लगी हुई थी और पुल का निर्माण बिना बजट, बिना किसी विभाग की मंजूरी, बिना किसी टेंडर के शुरू हो गया। जिस दिन विधानसभा में सवाल उठाया गया, उसी दिन टेंडर खुल गया।

उन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर किया। एक नहीं बल्कि दो ऐसे पुल बन रहे थे, जिनका खुलासा कवासी लखमा ने किया। सरकार ने दोषी अफसरों और ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय 8 दिन के अंदर ईडी ने कवासी लखमा और उनके परिवार के घर पर छापा मारा।

छापे में कुछ नहीं मिला, पत्रकार की भी ऐसे ही हत्या कर दी गई

बघेल ने कहा कि छापे में 1 रुपया भी नहीं मिला। छापे में कोई दस्तावेज नहीं मिले, वैसे भी वह अनपढ़ है। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने सुशासन सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया था। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। इसके कुछ दिन बाद ही बीजापुर में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को उजागर करने पर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी गई।

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