Bhagoriya festival: आदिवासी अंचलों में लोक संस्कृति के पर्व भगोरिया का आगाज, जानिए उत्सव से जुड़ी खास बातें
मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज का लोक पर्व भगोरिया काफी मशहूर है पश्चिमी निमाड़ अलीराजपुर और झाबुआ जिले में होली से ठीक सात दिन पहले भगोरिया पर्व का आगाज होता है।
झाबुआ के भगोर गांव में स्थित भंगुरिया देवता की पूजा के साथ इस सात दिवसीय मेले की शुरुआत होती है। आदिवासी समाज के जो लोग इस दौरान कोई मन्नत मांगते हैं वह बिना अन्न-जल के उपवास रखते हैं और शरीर पर हल्दी लगाते हैं।
भगोरिया पर्व पूरे सप्ताह भर चलता है, जिसमें आदिवासी संस्कृति और कला के रंग बिखरते हैं। आदिवासी युवक-युवतियां पारंपरिक पोशाक में सज-धजकर इस मेले में पहुंचते हैं और ढोल-मांदल बजाते हुए समूह में नाचते-गाते हैं। बदलते वक्त के साथ अब भगोरिया मेले में युवक-युवतियां मॉर्डन पहनावे में भी नजर आते हैं।
मेले के बारे में कहा जाता है कि भगोरिया में आदिवासी युवक-युवती एक दूसरे को पसंद करते हैं और भागकर शादी कर लेते हैं। युवक पान खिलाने का न्यौता देकर युवती के सामने प्रेम प्रस्ताव रखता है, अगर युवती पान खा लेती है तो इसे हां समझा जाता है।
भगोरिया मेले में आदिवासी समाज के लोग जमकर खरीदारी करते हैं और खूब मौज मस्ती करते हैं। इस मेले का इंतजार व्यापारियों को भी सालभर रहता है। भगोरिया मेले में आदिवासी युवक-युवतियां मौज-मस्ती के लिए खरीदारी करते हैं। मेले में कई आदिवासी युवा ताड़ी पीकर घूमते हैं।