

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी
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छत्तीसगढ़ के बस्तर में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर जारी है। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में पिछले दो दिनों से हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों की मांगों को जायज बताते हुए गुरुवार की शाम को चिकित्सा शिक्षक संघ ने अपना समर्थन दिया है। वहीं, बस्तर में सेवा देने वाले डॉक्टरों के साथ हो रहे भेदभाव को देखते हुए भाजयुमो ने भी हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को समर्थन दिया है।
हड़ताल कर रहे डॉक्टर पुष्पराज प्रधान ने बताया कि पिछले चार वर्षों से जूनियर रेसीडेन्ट डॉक्टर्स के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि प्रदेश के हर श्रेणी के कर्मचारियों की शासन द्वारा विभिन्न रूप से वेतन वृद्धि करी जा चुकी हैं। गुरुवार से शुरू हुई हड़ताल के बाद शुक्रवार से इंटर्न डॉक्टरों द्वारा भी अपना पूरा समर्थन दिया है। शुक्रवार से इन डॉक्टरों के द्वारा आपातकाल सेवाएं बंद कर दिया गया है, वहीं इन डॉक्टरों की मांग को देखते हुए गुरुवार को डॉक्टरों की टीम बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार से भी मुलाकात करते की और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताया, जहां बातों को सुनने के बाद अस्पताल की आपातकालीन सेवाओं में बाधा ना आने की बात कही।
वहीं, चिकित्सा शिक्षक संघ के प्रोफेसर डॉक्टर प्रदीप पांडेय ने कहा कि विरोध कर रहे इन डॉक्टरों को हमारा भी पूरा समर्थन है। इनकी मांगो के साथ ही अपनी मांगों को भी रखते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में अगर सबसे कम वेतन में कोई काम कर रहा है तो वो मेकाज के डॉक्टर ही हैं। बस्तर में काम करने वाले डॉक्टरों को आधा वेतन दिया जा रहा है, जिसके चलते चिकित्सा शिक्षक संघ ने भी अपना समर्थन देने से पहले मेकाज डीन, अधीक्षक को पत्र सौंपा गया। उसके बाद समर्थन के दौरान हाथ में काली पट्टी भी बांधकर विरोध किया। इसके अलावा दैनिक वेतन भोगी से भी कम पैसे इंटर्न को दिया जा रहा है। वहीं 200 में 100 संविदा शिक्षक हैं, इस दौरान अगर इनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं करने पर चिकित्सा शिक्षक संघ भी आने वाले दिनों में हड़ताल पर चले जायेंगे।
भाजयुमो के जिलाध्यक्ष अविनाश श्रीवास्तव ने अपना समर्थन देने के साथ ही कहा कि जब से कांग्रेस की सरकार आई है, खासकर बस्तर संभाग में काम करने वाले डॉक्टरों के द्वारा पूरे सेवाभाव व निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं। उसके बावजूद सरकार का इन डॉक्टरों के कार्य को देखने के बाद भी वेतन में वृद्धि ना करना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। चार साल में एक बार भी वेतन वृद्धि ना होना, डॉक्टरों को बंधुवा मजदूर की तरह काम कराया जाना काफी निंदनीय है। भाजपा इसका कड़े शब्दों में निंदा करती है, साथ ही डॉक्टरों की मांग पूरी नहीं होने पर इस आंदोलन में कंधा से कंधा चलेगी, जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री के साथ ही जनप्रतिनिधियों का भी घेराव करेगी।