पूरन चंदेल, पुष्पराजगढ़। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला करप्शन की भेंट चढ़ चुका है. यहां जिम्मेदारों की निकम्मेपन के कारण करप्शन सिर चढ़कर बोल रहा है. न किसी के खिलाफ कार्रवाई होती है और न ही कोई ध्यान देता है. ऐसे में सब भगवान भरोसे चल रहा है. इन सबके बीच पुष्पराजगढ़ भी बदहाली की आंसू बहा रहा है. यहां आदिवासी छात्राओं की किस्मत पर जिम्मेदार नर्क लिख रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ में देखने को मिला है. यहां शिक्षा विभाग की कोताही के कारण 100 शीटर छात्रावास में 436 छात्राओं को ठूंस दिया गया है.
दरअसल, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के बालिकाओं को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ आवासीय छात्रावास में बेहतर व्यवस्था मिल सके, जिससे क्षेत्र की बालिकाओं का शिक्षा स्तर सुधर सके, लेकिन यहां विपरीत परिस्थितियां दिखाई दे रही हैं. बच्चियों को अच्छी शिक्षा, बेहतर सुविधा के नाम पर छलावा किया जा रहा है. जिम्मेदार सुविधाओं को कमाई का जरिया बना रहे हैं. बच्चों के हक में खुलेआम डाका डाला जा रहा है.
स्कूल परिसर में बाथरूम की कमी
कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ में कक्षा 6 से कक्षा 12वीं तक की छात्राएं पढ़ती हैं. उनके निस्तार के लिए स्कूल में बाथरूम तो बनाए गए हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है, जिससे खुले में स्कूल की छात्राओं को मजबूरन निस्तार के लिए जाना पड़ता है. पर्याप्त बाथरूम की व्यवस्था ना होने से बालिकाएं असहज महसूस करती हैं, लेकिन जिम्मेदार इसकी उचित व्यवस्था अब तक नहीं कर सके हैं.
प्रयोगशाला या शोपीस शाला ?
कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ में विज्ञान की शिक्षा दम तोड़ रही है. एक तरफ विज्ञान के जरिए विकास गाथा लिखी जा रही है, तो यहां लैब तो है, शिक्षक भी है, लेकिन प्रयोगशाला में करवाए जाने वाले प्रयोग नहीं करवाए जाते हैं. प्रयोगशाला में रखे हुए सामग्री पुराने होने के साथ ही अनुपयोगी हो चुके हैं. वर्तमान में प्रयोगशाला सामग्री के लिए आया हुआ बजट 2 लाख 73 हजार को नल कनेक्शन में उपयोग कर लिया गया.
प्रयोग शाला में सामग्री रखने का प्लेटफार्म बना कर इतिश्री कर प्राचार्य अपनी पीढ़ थपथपाते नजर आते हैं. प्रयोगशाला में किसी प्रकार की सावधानी बरतने की बोर्ड नहीं लगे हुए हैं. बस ऐसे हालात में खानापूर्ति के लिए प्रयोगात्मक परीक्षा लेने का दिखावा किया जा रहा है. ऐसे में बच्चों को विज्ञान की क्या समझ होगी. इसका सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं.
सत्र के अंतिम दौर में बांटी गई कॉपी- पुस्तकें
कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ से पढ़ी हुई छात्राए बताती हैं कि हर साल ही पुस्तकें सत्र खत्म होने के बाद मिलती हैं या फिर सत्र खत्म होने के करीब मिलती है, जिससे पढ़ने में काफी कठनाइयों का सामना करना पड़ता है. गरीब बच्चों को सारी सुविधाएं मिल सके, इसलिए अपने बच्चो को आवासीय विद्यालय में दाखिला करवाते है, लेकिन कन्या शिक्षा परिसर के जिम्मेदारों ने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है.
यह बात कोई नई नहीं है. वर्षों से ही बच्चों को सत्र शुरू होने से पहले पाठ्यक्रम की पुस्तकें कभी भी नहीं बांटी गई हैं. यह हमारे पुख्ता सूत्र बताते हैं, जिससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि पुष्पराजगढ़ के उक्त विद्यालय में पढ़ने वाले बालिकाओं का भविष्य क्या होगा ?
100 सीटर छात्रावास में 436 छात्राओं का गुजारा कैसे ?
गौरतलब हो कि कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ के छात्रावास की छमता केवल 100 छात्राओं की है, लेकिन इस छात्रावास में बिना व्यवस्था के ही 436 बच्चों को रखा गया है. 25 कमरे और 100 सीटर वाले छात्रावास में जानवरों की तरह मासूम बच्चियों को ठूंस-ठूंस कर भर दिया गया है. 5 बिस्तरों के बीच में 14 -14 बच्चियां सोने को मजबूर हैं. यहां तक की खाना खाने वाले डाइनिंग टेबल में भी बच्चे अपना बिस्तर लगा कर सोने को मजबूर हैं.
छात्रावास में कुल 16 शौचालय बने हैं. सोचिए 436 छात्राए इन 16 शौचालय में कैसे अपना गुजारा करते होंगे. ऐसा नहीं है कि इस बात की खबर जिला के आला अधिकारियों को नहीं है. खबर होने के बाबजूद कोई भी जिम्मेदार इनकी व्यवस्था करने में नाकाम रहे हैं. इस स्थिति को देख यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि प्रशासन सब कुछ जानकर भी अंजान बने रहना चाहते हैं.
सब्जी, दाल के नाम पर दे रहे हैं उबाला पानी
कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ के बालिकाओं के लिए जो छात्रावास है. वहां बच्चों को दाल, सब्जी के नाम पर महज उबला पानी दिया जाता है. यह हम नहीं कह रहे हैं, वहां रहने वाली छात्राएं बताती हैं. छात्राओं ने बताया कि सब्जी और दाल में पानी के अलावा सब्जी दाल तो दिखाई ही नहीं देती है. क्या करें मजबूरी में खाना पड़ता है. अभी बीते 26 जनवरी में 60 बालिकाओं को फूड प्वाइजनिंग की समस्या हुई थी. इतनी बड़ी संख्या में बालिकाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ छात्रावास प्रबंधन के ऊपर सवालिया निशान खड़ा करता है.
आवासीय छात्रावास में रहने वाली छात्राएं बताती हैं कि 26 जनवरी को हुई घटना के बाद से छात्रावास अधीक्षिका सुनैना परस्ते रेगुलर रात्रि में रुकने लगी हैं, नहीं तो इसके पहले कभी भी रात्रि में नहीं रुकती थी. 436 बालिकाएं सिर्फ रात्रि में छात्रावास के चपरासियों पर निर्भर रहती रही हैं. इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मिलजुल कर इस क्षेत्र के बच्चियों के साथ शोषण कर अपना जेब भरने में लगे हुए हैं.
आदिवासी कार्य विभाग के सहायक आयुक्त विजय डहरिया ने कहा कि बात सही है कि 100 सीटर छात्रावास में 436 छात्राए रहती हैं. 6 अतिरिक्त कक्ष स्वीकृति कर दी गई है. बहुत जल्द ही व्यवस्था कर ली जाएगी.