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वोट बैंक बनी पुष्पराजगढ़ की जनता: सांसद, विधायक के क्षेत्र में बदहाली के मंजर, न सड़कें बनी न हुआ विकास, नेताओं ने नहीं रखी सूरदास, दिव्यांग और बुजुर्गों की लाज, नंगे पांव पहुंचे थे वोट देने

चार बार टेंडर जारी होने के बाद भी शुरू नहीं हुआ निर्माण कार्य, रोजाना जिंदगी दांव पर लगा सफर कर रहे राहगीर

पुष्पराजगढ़। अनूपपुर जिले का पुष्पराजगढ़ क्षेत्र आज भी सड़क मार्ग नहीं होने के कारण बदहाली के आंसू बहा रहा है. पुष्पराजगढ़ की जनता नेताओं के लिए वोट बैंक बन गई है. सांसद हिमाद्री सिंह और विधायक फुंदेलाल के क्षेत्र में बदहाली के मंजर है. ग्रामीण क्षेत्रों अभी तक न सड़कें बनी न ही विकास हुआ है. नेताओं ने सूरदास, दिव्यांग और बुजुर्गों की लाज नहीं रखी. चुनाव के वक्त ग्रामीण इलाके के लोग नंगे पांव वोट देने पहुंचे थे. शर्म की बात तो यह है कि सांसद के गृह ग्राम में सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों ने खुद एकजुट होकर सड़क का निर्माण किया था. यह नेता सिर्फ कुर्सी तोड़ रहे हैं, इन्हें सिर्फ चुनाव के वक्त ही वोटर्स याद आते हैं.

दरअसल 119 ग्राम पंचायतों के जनपद पंचायत में आज भी सड़क व्यवस्थाओं से जूझ रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सड़क निर्माण की घोषणा में पटना (लांघाटोला) सरई मार्ग भी शामिल है, जिसका निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया है, जो पिछले 3 वर्ष से लगातार जारी हो रहे टेंडर के बाद भी अब तक निर्माण कार्य से वंचित है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण कार्य लगातार आदेश और निविदाओं की भेंट चढ़ा है. जिस कारण 3 वर्ष बाद भी सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है.

ग्रामीणों का आवागमन प्रभावित

विभागीय जानकारी के अनुसार बजट और टेंडर के अभाव में पटना करपा मार्ग पर एक दशक से निर्माण कार्य और मेंटेनेंस नहीं हुआ है. जिस कारण यह मार्ग पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो गया है. जिसमें बसों,  कार बाइक, वाहनों को निकलने में मुश्किल हो रही है. उक्त सड़क मार्ग खराब होने से लगभग आधा सैकड़ा से अधिक ग्राम के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.

टेंडर के फेर में उलझा निर्माण कार्य

लोक निर्माण विभाग के अनुसार इस सड़क के निर्माण के लिए 3 साल में चार टेंडर जारी किए गए हैं. जिसमें मात्र एक निविदा मिली थी, इसमें कंपनी द्वारा अधिक दर लगाया गया था. जिसे निरस्त कर दिया गया. वहीं दूसरी एवं तीसरी बार जारी हुए टेंडर में कोई भी कंपनी सामने नहीं आई.

अब चौथा टेंडर में सिंघानिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण कार्य सौंपा गया है. निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी जाने पर अब भी पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा पेच वर्क का कार्य कराया जा रहा है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जितनी बजट राशि 5 वर्ग के लिए आवंटित होती है, वह पूरी तरह से बदहाल सड़क के पेच वर्ग को पूरा करने में अपर्याप्त है.

एमपीआरडीसी ने जारी किया टेंडर

एमपीआरडीसी की जारी किए गए टेंडर में बुढार की सिंघानिया कंपनी को जिम्मेदारी मिली है, लेकिन कंपनी द्वारा सड़क का निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं कराया गया है. विभागीय जानकारी के अनुसार पूर्व में पटना ग्राम के लांघाटोला से करपा अहिरगवां  केलमनिया घाट से नीचे अंतरा शहडोल 52 किलोमीटर लंबी सड़क को पीएमजीवाई एस को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

वर्ष 2019-20 में इसे शासन ने पीडब्ल्यूडी विभाग को सौंपा, लेकिन अधिक बजट को देखते हुए इसे एमपीआरडीसी को हस्तांतरित कर दिया गया. 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी एमपीआरडीसी द्वारा सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं कराया गया है. जिस कारण आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 52 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण के लिए एमपीआरडीसी द्वारा जारी किए गए टेंडर में 150 करोड़ की लागत निर्धारित की गई है.

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