Naxalites called Bijapur Chipurbatti encounter fake: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने पुलिस पर ग्रामीणों को माओवादी बताते हुए गोली चलाने का आरोप लगाया है। नक्सलियों ने एक बुकलेट जारी कर कहा है कि बीजापुर के चिपुरबट्टी में जवानों ने उनके 3 साथियों और 3 ग्रामीणों (कुल 6) को पकड़कर गोली मार दी है। नक्सलियों ने 2 तस्वीरें भी जारी की हैं।
एक तस्वीर में शव दिख रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में सादे कपड़ों में एक युवक पुलिस की गिरफ्त में दिख रहा है, जिसे नक्सलियों ने ग्रामीण ओयाम सुक्का बताया है। पुलिस ने ओयाम सुक्का को भी नक्सली बताया था। मुठभेड़ के बाद उसका शव लाया गया था। मीडिया को उसके मुठभेड़ में मारे जाने की जानकारी दी गई थी।
27 मार्च 2024 को पुलिस ने दावा किया था कि बीजापुर जिले के बासागुड़ा इलाके के चिपुरबट्टी में जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मौके से 2 महिलाओं समेत कुल 6 शव लाए गए थे। इन सभी को पुलिस ने नक्सली बताया था। अब इस मुठभेड़ के करीब 8 महीने बाद नक्सलियों द्वारा जारी की गई तस्वीर की वजह से यह मुठभेड़ सवालों के घेरे में है।
नक्सल मुठभेड़ में 2 ग्रामीणों को मारने का आरोप: माओवादियों ने पर्चा जारी नक्सलियों ने किया दावा
नक्सलियों ने जारी की 84 पेज की बुकलेट
नक्सलियों ने बस्तर में 84 पेज की बुकलेट जारी की है। जिसमें बस्तर के अलग-अलग इलाकों में हुई मुठभेड़, नक्सलियों को हुए नुकसान की जानकारी दी गई है। इस बुकलेट में 27 मार्च 2024 को बीजापुर जिले के बासागुड़ा इलाके के चिपुरबट्टी में हुई मुठभेड़ का भी जिक्र है। नक्सलियों की बुकलेट में लिखा है कि उनके 3 नक्सली साथी नागेश, नागेश की पत्नी वेट्टी सोनी और गंगी तीनों चिपुरबट्टी गांव गए थे।
उस दिन जवान सुबह 4 बजे गांव पहुंचे और इन तीनों को एक घर से उठा लिया। जिसके बाद उन्हें गोली मार दी गई। नक्सलियों का कहना है कि उनके अलावा चिपुरबट्टी निवासी पुनेम आयतु, टेकलगुड़ा के ओयाम सुक्का और नरसापुरम निवासी नुपो मुको को भी उठाया गया था। नक्सलियों ने इन तीनों को ग्रामीण बताया है।
माओवादियों का कहना है कि उस दिन वहां कोई मुठभेड़ नहीं हुई थी। पुलिस ने पहले उनके 3 साथियों को उठाया, मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया। फिर उन्होंने 3 अन्य ग्रामीणों को भी मार डाला।
नक्सलियों ने तस्वीर को फर्जी मुठभेड़ का सबूत बताया
नक्सलियों की 84 पेज की बुकलेट के 14वें, 15वें और 16वें पेज पर चिपुरबट्टी मुठभेड़ का जिक्र है। इन 3 पेजों में 2 तस्वीरें भी हैं। पहली तस्वीर में कुल 5 शव हैं और एक महिला नक्सली गंगी की प्रोफाइल फोटो है। पहली तस्वीर में ओयम सुक्का के खून से लथपथ शव की तस्वीर भी है। दूसरी तस्वीर में एक युवक जमीन पर बैठा हुआ दिख रहा है। उसके दोनों हाथ पीछे की ओर बंधे हुए हैं। यह ओयम सुक्का है। तब तक वह जिंदा था।
इसके साथ ही पुलिस की वर्दी में 2 जवान दिख रहे हैं। हालांकि, उनके चेहरे नहीं दिख रहे हैं। पहली तस्वीर में ओयम सुक्का के खून से लथपथ शव की तस्वीर भी है।
अब मुठभेड़ पर सवाल उठ रहे हैं
अगर वह नक्सली था और पकड़ा गया तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
फिलहाल यह जांच का विषय है। इस संबंध में हमने पुलिस का पक्ष जानने के लिए बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव और एएसपी चंद्रकांत गवर्णा को फोन किया, लेकिन उनके फोन बंद थे। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कॉल रिसीव नहीं की।
27 मार्च को हुई इस मुठभेड़ के बाद छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने उसी दिन रायपुर में मीडिया से बात की थी। उन्होंने कहा था कि मुठभेड़ के बाद 6 नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। विजय शर्मा ने कहा था कि मुठभेड़ से 2-3 दिन पहले नक्सलियों ने उस इलाके के 3 ग्रामीणों की हत्या की थी। जिसके बाद जवान सर्चिंग पर निकले और नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई।
जानिए क्या कहता है कानून
अगर मुठभेड़ के दौरान कोई नक्सली जिंदा पकड़ा जाता है तो उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए। नक्सल मामले को लेकर उसके खिलाफ जो भी कानूनी कार्रवाई हो, उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाना चाहिए।
वहीं, मुठभेड़ के दौरान यदि कोई नक्सली पुलिस से घिरा हुआ है, उसके पास हथियार हैं और वह जवानों पर फायरिंग कर रहा है या फायरिंग करने की कोशिश कर रहा है, तो पुलिस बल आत्मरक्षा में उस पर गोली चला सकता है।
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