छत्तीसगढ़ट्रेंडिंगस्लाइडर

पिता की अंतिम इच्छा थी, बेटे का फर्ज निभाया: बेटी ने पत्रकार पिता को दी मुखाग्नि, अर्थी को कंधा भी दिया

Chhattisgarh Manendragarh Daughter lit the funeral pyre of journalist father: पापा की अंतिम इच्छा थी कि हम दोनों बेटियां उनका अंतिम संस्कार करें। उनका कोई बेटा नहीं था, लेकिन उन्होंने हमें कभी अपने बेटों से कम नहीं समझा। हमारे परिवार वालों ने भी कहा कि अपने पापा की अंतिम इच्छा पूरी कर देना…ये शब्द उस बेटी ने कहे हैं, जिसने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और चिता को मुखाग्नि दी।

सोमवार को जब छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ के श्मशान घाट पर छोटी बेटी अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दे रही थी, तो परिवार की आंखें नम हो गईं। बेटियों की आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन वे दिल पर पत्थर रखकर अपना फर्ज निभा रही थीं।

पिता की हार्ट अटैक से हुई मौत

दरअसल, मनेंद्रगढ़ के पत्रकार मनीष रायकवार (50) की रविवार दोपहर हार्ट अटैक से मौत हो गई। घर पर उनकी पत्नी गायत्री रायकवार और बड़ी बेटी मनस्वी रायकवार थीं। छोटी बेटी मान्यता रायकवार बेमेतरा में एग्रीकल्चर की पढ़ाई करती है।

सड़क हादसे में पिता-पुत्र समेत 6 लोगों की मौत: छत्तीसगढ़ में टायर फटने से बोलेरो पलटी, ट्रेलर ने 3 दोस्तों को कुचला

रविवार दोपहर जब मान्यता को पिता के निधन की खबर मिली, तो वह सोमवार को घर पहुंची। दोनों बेटियों ने अपने पिता को कंधे पर उठाकर श्मशान घाट पहुंचाया और अंतिम संस्कार कराया।

बेटियों ने कहा- पिता की इच्छा थी, हमने पूरी की

अंतिम संस्कार के बाद बेटियों ने कहा कि मान्यता के अनुसार बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि दे सकता है। बेटियां चिता को मुखाग्नि नहीं दे सकतीं, लेकिन इस सोच से ऊपर उठकर हमने पिता का अंतिम संस्कार कराया। हमने उनकी अंतिम इच्छा पूरी की है।

150 फीट गहरी खाई में गिरी बस, 22 की मौत: झटके से कई यात्री खिड़कियों से बाहर जा गिरे, जानिए कैसे और कब हुआ हादसा ?

पिता ने कभी बेटे और बेटी में फर्क नहीं किया- पुजारी

पुजारी रामचरित द्विवेदी ने कहा कि हमारे समाज में कई तरह की मान्यताएं हैं। सबसे बड़ा सवाल यह था कि उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा, क्योंकि उनकी सिर्फ 2 बेटियां हैं। मनीष ने कभी बेटे और बेटी में फर्क नहीं किया, तो हम कौन होते हैं फर्क करने वाले।

पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि

वहीं, ग्रामीणों ने कहा कि पत्रकार मनीष रायकवार एक नेक दिल इंसान थे। जब भी वे लोगों से मिलते थे, तो अलग अंदाज में मिलते थे। उन्होंने कभी किसी को कुछ अच्छा या बुरा नहीं कहा। वहीं, श्मशान घाट पर बड़ी संख्या में पत्रकार और स्थानीय लोग शामिल हुए। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

Read More- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanista Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS

Show More
Back to top button