mystery of the treasure on Murailgarh mountain: ऐतिहासिक मुरैलगढ़ पहाड़ अपने रहस्य और रोमांच के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में मशहूर है। कहा जाता है कि पहाड़ के अंदर दुनिया का सबसे बड़ा खजाना छिपा है। खजाने के साथ-साथ मुरैलगढ़ पहाड़ रहस्य और रोमांचक कहानियों से भी जुड़ा है।
धार्मिक दृष्टि से भी पहाड़ के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। मान्यता है कि सिद्ध बाबा खुद पहाड़ की रक्षा करते हैं। दिन में यहां कोई भी आकर ठहर जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। रात में यहां कोई नहीं रुक सकता। यहां तक कि पुजारी भी रात में यहां नहीं रुक सकते।
मुरैलागढ़ पहाड़ में छिपा है खजाना
इलाके के लोगों का कहना है कि पहाड़ में कहीं बड़ा खजाना छिपा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि पहाड़ और खजाने की रक्षा यहां अदृश्य शक्तियां करती हैं।
लोगों का दावा है कि यहां छिपे खजाने तक कोई नहीं पहुंच पाया है। मुरैलगढ़ पहाड़ में कई प्राचीन गुफाएं और मंदिर मौजूद हैं। स्थानीय लोगों का यह भी दावा है कि यहां हजारों साल पुराने मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं। पहाड़ पर कई पेंटिंग और मूर्तियां हैं। मुरैलगढ़ पर्वत हमेशा से सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है।
पूरा इलाका घने जंगल से घिरा हुआ है
मुरैलागढ़ पर्वत तक पहुंचने के लिए लोगों को घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। मुरैलगढ़ पर्वत तक पहुंचने के दौरान रास्ते में लोगों को कई जंगली जानवर भी मिलते हैं। लेकिन ये जानवर कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। रोमांच की तलाश में हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां आते हैं।
दिवाली के बाद लोग यहां पूजा-अर्चना करने जरूर आते हैं। मान्यता है कि यहां मांगी गई मुराद पूरी होती है। मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु सिद्ध बाबा का शुक्रिया अदा करने दोबारा आते हैं। यहां हर साल धार्मिक मेला भी लगता है।
सिद्ध बाबा का धाम है यह
यहां के स्थानीय लोग मुरैलगढ़ पर्वत को सिद्ध बाबा का धाम मानते हैं। दिवाली के बाद लोग सिद्ध बाबा धाम में दीया जलाने बड़ी संख्या में आते हैं।
मान्यता है कि यहां के रहस्यों से भरे मंदिरों और गुफाओं में पूजा-अर्चना और मन्नत मांगने से भक्तों की मुराद पूरी होती है। आस्था के इस दरबार में आने वाले लोगों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।
रात में यहां कोई नहीं रुक सकता
स्थानीय लोगों का दावा है कि रात में यहां कोई नहीं रुक सकता। दिन में तो कोई भी आ सकता है, लेकिन रात में कोई नहीं रुक सकता। कहा जाता है कि रात में यहां रुकने की इच्छा रखने वालों को बाबा खुद बाहर निकाल देते हैं।
स्थानीय लोगों का दावा है कि कई लोगों ने यहां रात बिताने की कोशिश की, लेकिन वे रात में यहां नहीं रुक पाए। स्थानीय लोककथाओं में भी इस बात का उल्लेख है कि रात में यहां किसी को रुकने की अनुमति नहीं है।
यह स्थानीय लोगों का दावा है। बढ़ती भीड़ के कारण ग्रामीणों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए यहां एक समिति बनाकर पर्यावरण संरक्षण का काम शुरू कर दिया है।
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