गिरीश जगत, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में भोले-भाले किसानों को विभाग और बीज भंडार मिलकर चूना लगा रहा है। बताया जा रहा है कि घटिया बीज कैश में खरीदवाया गया, फिर सब्सिडी का लालच दिया। किसानों को एक रुपये सब्सिडी नहीं मिला। वहीं विभाग का का दावा है कि 50 प्रतिशत अनुदान के आधार पर 168 किसानों को 10 लाख 10450 रुपए दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मछली पालकों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। विभाग के रिकॉर्ड में किसानों को सब्सिडी पर मछली बीज देने का उल्लेख है, लेकिन हकीकत में किसान नकद भुगतान कर बीज लाते हैं।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: एक साल में मछली का वजन 100 ग्राम भी नहीं बढ़ा। आरटीआई से मिली जानकारी से खुलासा होने के बाद संभागायुक्त से शिकायत की गई है।
ग्रामीण मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग में राज्य और केंद्र सरकार की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में मछली पालकों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है या फिर उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है। मामले का खुलासा आरटीआई से निकाले गए दस्तावेज से हुआ।
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आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद लतीफ ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना पर किए गए खर्च की जानकारी निकाली थी। दस्तावेज के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में जिले के 168 आदिवासी एवं गैर आदिवासी मत्स्य पालकों को 50 प्रतिशत अनुदान के आधार पर 10 लाख 10450 रुपए मूल्य के उन्नत किस्म के मत्स्य बीज उपलब्ध कराने का दावा किया गया है।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: अभिलेखों में मैनपुर ब्लॉक के कोयाबा गांव के 20 हितग्राहियों के नाम भी दर्ज थे, जिन्हें किसानों ने अनुदान के बदले नकद भुगतान कर बीज मिलने की बात बताई है।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: पैसे वापस करने का वादा कर आधार कार्ड लिए गए मामले की सच्चाई जानने के लिए अभिलेखों में दर्ज किसानों में राम नेताम, लंबर सिंह, कुंवर सिंह, छतर सिंह, आशिक मांझी से मुलाकात की गई।
किसी भी तरह की योजना के बारे में अनभिज्ञता जताई
उन्होंने बताया कि पिछले साल मत्स्य विभाग के कर्मचारियों ने उनसे संपर्क किया था। दावा किया गया था कि उन्हें सस्ते दाम पर उच्च गुणवत्ता वाले मत्स्य बीज दिए जाएंगे।
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सभी कर्मचारियों के निर्देश पर वे पिकअप किराए पर लेकर गरियाबंद मछली डिपो पहुंचे। सभी से 4,000 रुपये लिए गए, फिर उन्हें दी गई मछलियों की मात्रा बाजार मूल्य से अधिक महंगी लगी।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: किसानों ने बताया कि विभाग के लोगों ने मछली के बीज देने वाले सभी लोगों से आधार कार्ड की कॉपी मांगी थी, और वादा किया था कि जब पैसे आएंगे तो उनके खाते में पैसे जमा हो जाएंगे। मामला सितंबर 2023 का बताया जा रहा है।
मछलियां इतनी भी नहीं थीं कि वे पट्टे का भुगतान कर सकें
उन्हें पहले ही एहसास हो गया था कि उनके साथ धोखा हो रहा है, जब उनसे कहा गया कि बीज का पैसा उनके खाते में जमा हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान हमें कोयाबा के उस तालाब में ले गए, जहां एक साल पहले मछली के बीज डाले गए थे।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: जब हमारे सामने जाल फेंककर मछलियों को निकाला गया तो मछलियों का वजन 50 ग्राम भी नहीं था, जबकि विभाग ने दावा किया था कि 6 महीने में इनका वजन एक से दो किलो हो जाएगा।
आरटीआई कार्यकर्ता ने संभाग आयुक्त से की शिकायत
अभिलेखों में किए गए दावों का मिलान करने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने मत्स्य विभाग पर योजना के क्रियान्वयन में भारी अनियमितता का आरोप लगाया है और रायपुर संभाग आयुक्त से लिखित शिकायत की है।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: शिकायतकर्ता मोहम्मद लतीफ ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 26 लाख के मछली जाल और 15 लाख से अधिक के आइस बॉक्स खरीदे गए। विभाग ने यह जानकारी नहीं दी कि ये किन हितग्राहियों को दिए गए। लतीफ ने आरोप लगाया कि सब्सिडी योजना की तरह जाल और आइस बॉक्स के वितरण में भी भारी अनियमितता की गई है।
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: विभाग ने न केवल हर साल मछली वितरित की है, बल्कि जिले के कई छोटे मत्स्य बीज किसानों से बीज खरीदकर लाखों रुपए का भुगतान करने का दावा भी किया है। जब पूरे खर्च की जांच की गई तो कई चौंकाने वाले खुलासे होने का दावा किया गया।
जिनके नाम रिकॉर्ड में हैं, उन सभी को सब्सिडी दरों पर बीज मिले
Chhattisgarh Gariaband Claim Of Subsidy Lakhs In Records Farmers Denied: इस मामले में मत्स्य विभाग के उप संचालक आलोक वशिष्ठ ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि जिनके नाम रिकॉर्ड में हैं, उन सभी को सब्सिडी दरों पर बीज उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्हें दी गई मात्रा का आधा ही कुल मूल्य लिया गया है। पूरे जिले में कर्मचारियों की कमी है, प्रत्येक ब्लॉक में प्रत्येक किसान तक पहुंचना और एक-एक बात बताना संभव नहीं है। किसानों को जाल और बक्से केवल शिविरों या विशेष आयोजनों में ही वितरित किए जाते हैं।
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