क्या रुकेगी रूस-यूक्रेन की खूनी जंग ? 30 लाख मारे गए, खून से सने थे चीन-अमेरिका, नेहरू ने रुकवाया कोरिया युद्ध, क्या वही दोहराएंगे PM MODI ?
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान वह यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपने विचार रखेंगे। मोदी बुधवार को पोलैंड के लिए रवाना हुए और शुक्रवार को कीव जाएंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी 21-22 अगस्त तक पोलैंड की यात्रा पर रहेंगे। इसके बाद वह ट्रेन से यूक्रेन के लिए रवाना होंगे। मोदी की यूक्रेन यात्रा मॉस्को की यात्रा के कुछ सप्ताह बाद हो रही है।
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: मॉस्को यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध के बारे में बात की। मोदी ने इटली में ग्रुप ऑफ सेवन शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से भी मुलाकात की।
क्या भारत कोरियाई युद्ध की तरह रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है?
1950 के दशक के कोरियाई युद्ध और 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में कई समानताएं हैं। उस समय भी दो खेमे बंटे हुए थे। एक तरफ चीन-सोवियत संघ थे, दूसरी तरफ अमेरिका और यूरोपीय देश थे। इस समय भी एक तरफ रूस मदद कर रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिका।
रूस और अमेरिका दोनों को भारत की जरूरत
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: दोनों ही युद्धों में भारत ने किसी भी पक्ष की ओर झुकाव न दिखाकर तटस्थ रहने की कोशिश की है। मौजूदा वैश्विक हालात में रूस और अमेरिका दोनों को भारत की जरूरत है, इसलिए विवाद को सुलझाने में भारत की भूमिका अहम हो जाती है।
अमेरिका क्वाड में भारत की भागीदारी का इच्छुक है। वहीं पुतिन ब्रिक्स में मोदी और शी जिनपिंग के साथ खड़े होकर पूरी दुनिया को रूस, चीन और भारत की एकजुटता दिखाना चाहते हैं।
‘कूटनीति और संवाद’ से खत्म होगा
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: भारत ने शुरू से ही अपना रुख साफ कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध बम, बंदूक और गोलियों के बीच सैन्य शक्ति से नहीं बल्कि ‘कूटनीति और संवाद’ से खत्म होगा।
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: भारत पहले से ही यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने के प्रयास कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक महीने में दो बार पुतिन और जेलेंस्की से फोन पर लंबी बातचीत की है।
रूस और यूक्रेन के बीच समझौते के लिए भारत पहली पसंद क्यों है?
रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने के लिए चीन और तुर्की का नाम भी आया, लेकिन भारत की साख उन पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि यह समझौता सिर्फ रूस और यूक्रेन के बीच नहीं है, बल्कि दुनिया भर में इसकी स्वीकार्यता जरूरी है। इस युद्ध में कई देश अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।
शुरू में तुर्की ने काला सागर में अनाज की आवाजाही शुरू करने में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन धीरे-धीरे उसका उत्साह ठंडा पड़ गया। दुनिया के कई हिस्सों में कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने में तुर्की की भूमिका संदिग्ध है।
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: चीन ने यूक्रेन के विदेश मंत्री की मेजबानी भी की। कुछ प्रस्ताव रखे, लेकिन फिर उसकी मध्यस्थता धीमी पड़ गई। पश्चिमी देशों को भी लगता है कि चीन का पलड़ा रूस की तरफ झुका रहेगा।
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: भारत को रूस और अमेरिका दोनों ही गंभीरता से ले सकते हैं। मोदी को पुतिन का समर्थन हासिल है। अमेरिका भी भारत को ज्यादा लचीला और खुले विचारों वाला मानता है।
अगर भारत मध्यस्थता करता है, तो इसकी शुरुआत कैसे होगी?
7 दशक पुराने कोरियाई युद्ध के दौरान अपनाई गई रणनीति मध्यस्थता में काम आ सकती है। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश नंदा के अनुसार…शुरुआत में भारत दोनों पक्षों को मानवीय आधार पर कैदियों की अदला-बदली, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा, क्लस्टर बमों का इस्तेमाल न करने, युद्ध क्षेत्रों से नागरिकों को निकालने जैसे समझौतों पर सहमत करवा सकता है।
इस प्रक्रिया से पैदा होने वाला आपसी विश्वास युद्ध विराम की ओर भी ले जा सकता है। क्षेत्रों का विसैन्यीकरण किया जा सकता है। जिससे रूस और यूक्रेन अपनी सेनाओं को मौजूदा स्थिति से कई किलोमीटर पीछे हटा सकते हैं।
इसके बाद विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए विवादित क्षेत्रों में जनता की इच्छा जानने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकृत शांति सैनिकों द्वारा जनमत संग्रह कराने के सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
नेहरू ने कोरियाई युद्ध को कैसे रोका ?
2 अक्टूबर 1950 की मध्यरात्रि। चीन के विदेश मंत्री झोउ एनलाई ने बीजिंग में भारतीय राजदूत को बुलाया। एनलाई ने संदेश दिया कि, ‘अगर अमेरिका कोरिया में 38वीं समानांतर रेखा को पार करता है, तो चीन हस्तक्षेप करेगा।’
PM Modi VS Russia Ukraine Korean War History Jawaharlal Nehru Role: राजदूत ने उसी रात प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पूरी बात बताई। नेहरू ने यह संदेश अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली को भेजा।
अमेरिका ने नेहरू के संदेश को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा- चीन भी युद्ध में कूद पड़ा। तमाम कोशिशों के बाद 3 साल, 1 महीने और 2 दिन बाद युद्ध विराम हुआ। तब तक करीब 30 लाख लोग मारे जा चुके थे।
कोरियाई युद्ध क्यों और कैसे शुरू हुआ?
कोरिया एक प्रायद्वीप है, यानी तीन तरफ समुद्र से घिरा हुआ और एक तरफ मुख्य भूमि से जुड़ा एक द्वीप। कोरियाई साम्राज्य ने 1904 तक यहां शासन किया। इस पर कब्ज़ा करने के लिए 1904-05 में जापान और चीन के बीच भीषण युद्ध हुआ। जापान ने जीत हासिल की और कोरिया पर कब्ज़ा कर लिया। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध हारने के बाद जापान को कोरिया छोड़ना पड़ा।
कोरियाई युद्ध में अमेरिका और चीन आमने-सामने कैसे आ गए?
कोरिया में युद्ध शुरू होते ही दुनिया की नज़रें यूएन पर टिक गईं। अमेरिका ने दबाव बनाकर यूएन में वोटिंग करवाई और दक्षिण कोरिया की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ली। अमेरिकी जनरल मैकआर्थर के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी कोरिया पहुंची, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को आत्मसमर्पण करवा दिया।
जब चीन और अमेरिका के हाथ खून से रंगे थे, तब भारत ने क्या भूमिका निभाई थी?
उस समय भारत को आज़ाद हुए सिर्फ़ 3-4 साल हुए थे। प्रधानमंत्री नेहरू को डर था कि यह युद्ध तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है। इसलिए भारत ने किसी एक पक्ष को चुनने के बजाय तटस्थ रहना बेहतर समझा।
भारत ने युद्ध में अपने सैनिक नहीं भेजे, बल्कि 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस यूनिट को तैनात किया। इसने करीब 2 लाख घायल सैनिकों की मदद की। करीब 2,300 सर्जरी की। इस दौरान भारत शांति समझौते के असफल प्रयास करता रहा। 1952 में एक उम्मीद जगी।
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