MP पंचायत चुनाव 2021: निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला, तय समय पर होंगे चुनाव, इनकी परेशानी अब भी बरकरार
भोपालः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है, निर्वाचन आयोग ने तय कर दिया है कि पंचायत चुनाव तय समय से होंगे. हालांकि ओबीसी आरक्षित सीटों पर होने वाले पंच, सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य के चुनाव फिलहाल स्थगित रहेंगे.
MP पंचायत चुनाव बड़ी खबर: पंचायत चुनाव 2021 नहीं होंगे निरस्त, चुनाव आयोग ने लिया ये बड़ा फैसला
हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर होल्ड की गई सीटों पर सरकार री नोटिफाई करने के लिये सरकार को सात दिन का समय दिया है. वहीं पहले और दूसरे चरण में जो नॉमिनेशन अबतक ओबीसी के किये गए है वो सुरक्षित रहेंगे!
निर्वाचन आयोग की बैठक
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद निर्वाचन आयोग ने शाम तक ही पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसले के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी आरक्षित सीटों पर निर्वाचन न कराने का फैसला लिया है, ऐसे में जिन सीटों पर नामांकन भरे गए थे फिलहाल उन्हें भी स्थगित किए जाने का निर्देश दिया गया था. वहीं निर्वाचन आयोग की आज एक बैठक होने वाली है, जिसमें पंचायत चुनाव को लेकर कोई बड़ा ऐलान होने की उम्मीद भी जताई जा रही है.
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सुप्रीम कोर्ट ने इस वजह से लगाई रोक
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायत चुनाव पर स्टे लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ओबीसी सीटों को फिर से नोटिफाई किया जाए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई है. जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं कि सामान्य वर्ग की सीटों को फिर से रि-नोटिफाई कर उन्हें सामान्य वर्ग के लिए अधिसूचित किया जाए. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, बेंच ने पाया कि ओबीसी आरक्षण का नोटिफिकेशन सर्वोच्च अदालत के पूर्व में दिए गए विकास किशनराव गवली वर्सेस महाराष्ट्र राज्य के फैसले के खिलाफ था.
‘आग से मत खेलिए’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “कृप्या आग से मत खेलिए. आपको स्थिति को समझना चाहिए. राजनीतिक मजबूरियों के आधार पर फैसले मत कीजिए. क्या हर राज्य का अलग पैटर्न होगा? सिर्फ एक संविधान है और आपको उसका पालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट भी एक ही है. यह चुनाव आयोग का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है. यह जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहा है.जब ऐसा ही एक आदेश दिया गया था, तब आप भी वहां थे. हम नहीं चाहते कि मध्य प्रदेश में कोई प्रयोग हो. महाराष्ट्र केस के हिसाब से इसे देखा जाना चाहिए.”
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