अनूपपुर। खबर के बाद आखिर सिस्टम आधा जाग गया है. महज 2 डंपर जब्त कर बाड़ी कार्रवाई की है, लेकिन सवाल ये है कि पुष्पराजगढ़ में खनिज संपदा को खनन माफिया बेहिसाब लूट रहा है. धरती का सीना फाड़ अपनी तिजोरी भर रहा है. सरकार को राजस्व का चूना लगा रहा है. इतना ही नहीं इनके अवोरलोडेड ट्रक और डंपर पक्की सड़कों को जर्जर में तब्दील कर रहे हैं, लेकिन खनिज विभाग 2 डंपरों को जब्त कर वाहवाही लूटने में लगा है. हैरानी की बात तो ये है कि हर रोज 100-150 गाड़ियां ओवरलोडेड सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही हैं, लेकिन एक्शन लेने में विभाग के हाथ कांप जाते हैं. अधिकारी खानापूर्ति करने के लिए एक दो गाड़ियों पर कार्रवाई कर AC कमरे में आराम फरमाते हैं, जिससे गाड़ियां सड़कों को बदहाल कर रही हैं.
विभाग ने की अब तक की ‘बड़ी’ कार्रवाई ?
दरअसल, अनूपपुर जिले के राजेन्द्रग्राम क्षेत्र में दो वाहन खनिज गिट्टी और रेत परिवहन के दौरान ओव्हर लोडिंग पाए जाने पर जब्त किए गए हैं. उक्ताशय की जानकारी देते हुए खनिज निरीक्षक द्वारा अवगत कराया गया है कि वाहन क्रमांक एमपी 18 जीए 4401, खनिज गिट्टी और वाहन क्रमांक एमपी 52 एच 5786, खनिज रेत ओव्हर लोडिंग परिवहन करते पाए जाने पर जप्त किए गए हैं. केवल दो डंपरों पर कार्रवाई कर खाना पूर्ति की गई है.
भड़के ग्रामीणों ने सड़क पर रोका डंपर
दरअसल, हम बात कर रहे हैं पुष्पराजगढ़ के ताली-दोनिया पंचायत समेत आसपास के इलाकों की, जहां क्रेशर से ओवरलोड ट्रक फुल रफ्तार से निकलते हैं, जिसमें आसपास के लोगों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. इतना ही नहीं ये ओवरलोड डंपर सड़कों को जर्जर बना दिए हैं, जिसपर न विभाग के अधिकारी और न ही कोई जिम्मेदार इस ओर ध्यान देता है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.
क्रेशर मालिकों पर नहीं होती कार्रवाई न ही डंपरों पर
अमगवां, लपटी, जामकछाऱ, बटकी , दोनिया, ताली, बसही भरनी, पमरा, बिजौरी समेत इलाके के सड़कों पर ओवरलोड गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं, लेकिन मजाल है कि अधिकारी इन पर कभी कार्रवाई करे. शिकायतें हैं कि सड़कें दबने लगी हैं. दिन रात ओवरलोड गाड़ियां दौड़ रही हैं, जिसमें तकरीबन 6 से 7 क्रेशरों की गाड़ियां दौड़ रही हैं.
ग्रामीण और कई सरपंच जता रहे विरोध
सरस्वती माइनिंग स्टोन क्रेशर और सरस्वती मिनरल्स स्टोन क्रेशर के मालिक जेठू है. जो कि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा माफिया है. क्रेशर और पत्थर खदानों का ग्रामीण और सरपंच सब विरोध करते हैं लेकिन होता कुछ भी नहीं है. ग्राम पंचायत अमगवां सरपंच चैन सिंह धुर्वे, ग्राम पंचायत लपटी सरपंच जवाहर सिंह पाटले, ग्राम पंचायत दोनिया सरपंच जोगवती सिंह, ग्राम पंचायत ताली सरपंच चंद्रभान सिंह और ग्राम पंचायत पमरा के सरपंच कलशिया बाई इसका विरोध जता रहे.
नाकाम सिस्टम से हताश किसान
हमारी टीम ने जब गांव के लोगों से बातचीत की तो राधा बाई, पुनिया बाई, रामकली, दिलीप, उदय सिंह समेत कई लोगों ने क्रेशर संचालकों की मनमानी और अवैध खदानों की कहानी बताई. लोगों का कहना है कि जब क्रेशर चलते हैं, तो इलाका धुआं-धुआं हो जाता है. आवाज से लोग परेशान हो जाते हैं. धूल के कारण बीमारी की जद में आ रहे हैं. सड़कों का बुराहाल कर दिया है. खेत बंजर हो रहे हैं.
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
पुष्पराजगढ़ के ग्रामीण इलाकों में जगह जगह पर क्रेशर चल रहे हैं, जिसके लिए पत्थर खदान भी खोदे गए है. जहां से रोजाना भारी मात्रा में बोल्डर पत्थर निकाले जा रहे हैं. जिन्हें क्रेशर तक ले जाने ट्रैक्टर और डंपर का इस्तेमाल किया जाता है. क्षमता से अधिक मटेरियल भरकर डंपर, ट्रक और ट्रैक्टर निकलते हैं, बावजूद इसके कार्रवाई नहीं होती है. कभी कभार ही एक-दो ट्रेक्टर, डंपरों को पकड़कर थाने में खड़ा कर दिया जाता है.
खनिज विभाग के नियमों को माफिया दिखा रहा ठेंगा
तमाम नियमों को ताक पर रखकर क्रेशर और पत्थर खदानों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन खनिज विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता है. कार्रवाई तो दूर अधिकारी झांकने भी नहीं पहुंचते हैं. कहीं न कहीं अधिकारियों से सांठगांठ और कमीशनखोरी के चलते कार्रवाई नहीं होती. ऐसा ग्रामीणों का आरोप है. नियम कायदे गरीब और छोटे तबके के लोगों के लिए रहता है, क्योंकि बड़े लोग या कहें की माफिया जैसों के किए तो कोई नियम ही नहीं होता है. वो जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं. या फिर नियमों को खरीद लिया जाता है.
कैसे पुष्पराजगढ़ हो रहा खोखला ?
जयप्रकाश शिवदासानी उर्फ जेठू पुष्पराजगढ़ में एक छोटे से पत्थर खदान का मालिक हुआ करता था, लेकिन देखते ही देखते सेटिंग जुगाड़ पैसे के दम और गरीब आदिवासियों का शोषण करते हुए पुष्पराजगढ़ एक के बाद एक कई क्रेशरों का मालिक बन बैठा. सूत्र बताते हैं कि जेठू सेठ की माइनिंग और पुलिस में अच्छी खासी रकम देकर अवैध उत्खनन और परिवहन का काम दिन रात चलता है. छत्तीसगढ़ से आकर मध्यप्रदेश अनूपपुर ज़िले में माइनिंग विभाग के अधिकारियों और पुलिस अधिकारी का खुला संरक्षण मिलना अपने आप में सवाल खड़ा करता है.
खनिज संसाधनों का अत्यधिक दोहन
जिले के पठार क्षेत्र में लगभग हर गांव में अवैध पत्थर की खदानें मिल जाएंगी. जहां स्टोन क्रशर संचालित होते हैं. पत्थर की इन खदानों का अवैध उत्खनन कर खनन माफिया राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहा है. दूसरी ओर खनन विभाग माफिया से गठजोड़ कर सरकार को गच्चा दे रहा है. अवैध खनन की शिकायत पर भी खनन विभाग आंख पर पट्टी बांध कर सो जाता है.
जांच के नाम पर लिफाफे का इनाम ?
राजेंद्रग्राम के पठार क्षेत्र के कोने-कोने में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, लेकिन खनन माफिया के खिलाफ खनन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इन खनन माफियाओं और स्टोन क्रेशर संचालकों के पास कई अवैध खदानें हैं, जो दिखावटी लीज से हटकर अवैध खनन के लिए संचालित हैं. बताया जा रहा है कि जांच के नाम पर अधिकारी लिफाफा लेकर जाते हैं.
Read more- Landmines, Tanks, Ruins: The Afghanistan Taliban Left Behind in 2001 29 IAS-IPS