Ujjain News: सिंहस्थ पाउडर घोटाला मामले में 3 आरोपियों को चार-चार साल का सश्रम कारावास, 19 साल बाद आया फैसला
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : Amar Ujala
विस्तार
उज्जैन जिला न्यायालय के अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश ने सिंहस्थ के पाउडर घोटाला मामले में तीन घोटालेबाजों को चार-चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही तीनों आरोपियों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। दरअसल, कोर्ट सिंहस्थ के दौरान फ्लाईक्लीन और सोलफैक्स पाउडर के क्रय की रिपोर्ट न मिलने और धोखाधड़ी किए जाने के मामले की सुनवाई कर रहा था। इसमें तीनों आरोपी दोषी पाए गए हैं।
उप-संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि नगर पालिका निगम उज्जैन में सिंहस्थ-2004 मद से सामग्री खरीदी गई थी। उससे संबंधित प्रकरण पत्रिकाओं के भौतिक सत्यापन के दौरान पाया गया था कि फ्लाईक्लीन एवं सोल्फेक्स पाउडर के क्रय करने की नस्ती स्टोर में नहीं थी। इस मामले की जांच करने पर पाया गया कि उक्त साम्रगी के बिलों पर अंकित जानकारी असत्य है, क्योंकि स्टॉक रजिस्ट्रर में वर्णन के अनुसार पेज क्रम 311 नहीं है तथा पेज क्रमांक 210 पर किसी प्रकार का इंद्राज भी नहीं है। जांच में यह भी पाया गया कि सामग्री मिले बिना ही अंकित इंटरप्राईजेज फर्म को 8,22,269/- रुपये की राशि का भुगतान कर दिया गया। जो कि फर्म की ओर से रूपेंद्र कैथवास ने जिला सहकारी बैंक टावर चौक के जरिए प्राप्त किया। पूरी जांच के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपियों को दंडित किया।
यह गड़बड़ियां पाई गईं थी
इस मामले में प्रकरण पत्रिका के गायब हो जाने से बिल पर गलत जानकारी अंकित कर भुगतान प्रस्तावित करने तथा बिना सामग्री पाए भुगतान कर दिया गया। इसके आधार पर नगर निगम के साथ धोखाधडी, कूटरचना और बोगस भुगतान किए जाने का मामला सामने आया। इसकी लिखित रिपोर्ट थाना कोतवाली उज्जैन में दर्ज की गई थी।
इन्हें मिला अर्थदंड व कारावास
मामले में पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक, जिला उज्जैन रूप सिंह राठौर ने बताया कि न्यायालय अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष प्रसाद शुक्ल न्यायाधीश जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा इस मामले में नगर निगम के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मुकुंद पटेल (52), रूपेंद्र उर्फ भोला (30), लेखाधिकारी राधेश्याम (60) को धारा 420 आईपीसी, 120 बी भा.द.वि. में आरोपियों को चार-चार साल सश्रम कारावास की सजा और 1,50,000/- 1,50,000/- रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है।
इन लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में दर्ज हुआ था मामला
सिंहस्थ 2004 मेले से करीब एक महीने पहले कोतवाली पुलिस ने 25 मार्च 2004 को अपराध क्रमांक 247/2004 में नगर निगम के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मुकुंद पटेल (52) निवासी नगर निगम कॉलोनी, रूपेंद्र उर्फ भोला (30) निवासी सांदीपनि कॉलेज के पास फ्रीगंज, आनंद तिवारी (30) निवासी तात्याटोपे मार्ग फ्रीगंज, लेखाधिकारी राधेश्याम (60) निवासी मेट्रो टॉकिज के पास और लिपिक धर्मेंद्र सोनी तथा लिपिक कैलाश दिसावल के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 467, 468, 471 और साजिश रचने की धारा 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी जमानत पर बाहर थे।
मामला न्यायालय में विचाराधीन था। इस पर अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश शुक्ल ने सुनवाई करते हुए 16 जनवरी 2023 को निर्णय सुरक्षित कर लिया था। उस पर 30 जनवरी 2023 को उन्होंने अपना फैसला सुनाया। न्यायालय में 19 साल तक चली सुनवाई के दौरान दो आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक आरोपी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। जबकि तीन आरोपियों को चार-चार साल सश्रम कारावास और डेढ़-डेढ़ लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। इसके बाद आरोपियों को पुलिस कस्टडी में ले जाकर भैरवगढ़ जेल में दाखिल कर दिया गया।