
बिलासपुर। ट्रेनों की लेटलतीफी का सिलसिला दशहरा पर्व के दिन की तरह गुरुवार को भी जारी रही। छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस तो 13 घंटे देर से शाम चार बजे बिलासपुर पहुंची। वहीं करीब सात बजे दुर्ग में आगमन हुआ।
इस वजह से ट्रेन को ढाई घंटे रिशेड्यूल करना पड़ा। रात 11:20 बजे बिलासपुर आने वाली यह ट्रेन रात एक बजे के बाद पहुंची। वहीं सुबह हावड़ा से पहुंचने वाली ट्रेनों को दोपहर में जोनल स्टेशन में आगमन हुआ। ट्रेन के इस देरी की वजह से यात्री परेशान हुए।
दशहरा पर्व के दिन भी ट्रेनों के परिचालन की स्थिति बदतर थी। एक या दो नहीं, बल्कि 12 ट्रेनें निर्धारित समय से दो से 12 घंटे देर से पहुंचीं। अहमदाबाद एक्सप्रेस समेत कुछ ऐसी ट्रेनंें थीं, जिनका रात में आने का समय है। लेकिन ये ट्रेनें सुबह पहुंचीं। गुरुवार को यह स्थिति यथावत रही।
सुबह सात बजे आने वाली मेल, नौ बजे पहुंचने आजाद हिंद एक्सप्रेस समेत आधा दर्जन ट्रेनें दोपहर 12 बजे के करीब जोनल स्टेशन पहुंची। इन यात्रियों में सर्वाधिक वह थे, जो पर्व पर शहर आए थे और वापस जा रहे थे।
उनके चेहरे में वापसी समय पर नहीं होने के कारण चिंता स्पष्ट नजर आ रही थी। वह यही कहते रहे की ट्रेनों की हालत कैसे और कब सुधरेगी यह समझ से परे।
हावड़ा के साथ-साथ अब कटनी सेक्शन की ट्रेनों पर असर पड़ा है। रात 3:30 बजे पहुंचने वाली सारनाथ एक्सप्रेस शाम चार बजे पहुंची। इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों का हाल बेहाल था।
उनका कहना था कि रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधा देने में बिछड़ते जा रही है। पहले ऐसा नहीं था। प्राथमिकता यात्रियों को दी जाती थी। इसकी वजह से यात्री निराश व मायूस भी दिखे। हावड़ा की ओर से आने वाली ट्रेनें तो एक या दो दिन नहीं, बल्कि कई महीनों से इसी तरह विलंब पहुंच रही हैं।
पहले तो शिकायत भी यात्री करते थे। लेकिन उच्चाधिकारियों के अलावा चेयरमैन व मंत्री भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। इसलिए शिकायतों की संख्या में घटती जा रही है। Source link






