6 HODs of Chandulal Chandrakar Medical College Durg resigned: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 9 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इन डॉक्टरों ने निजी प्रैक्टिस पर रोक के विरोध में इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने वाले सभी वरिष्ठ डॉक्टर हैं। इनमें 3 वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। डॉक्टरों के मुताबिक रोक के साथ ही वेतन में 20 फीसदी की कटौती भी की गई है।
राज्य सरकार ने सरकारी डॉक्टरों के निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी है। इसके विरोध में कचांदुर भिलाई स्थित चंदूलाल चंद्राकर शासकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी हैं। सूत्रों के मुताबिक इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों में मेडिसिन, सर्जरी, शिशु रोग, स्त्री रोग, एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी जैसे विभागों के प्रमुख भी शामिल हैं।
इन डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा
- डॉ. रूपेश कुमार अग्रवाल, एचओडी पीडियाट्रिक्स
- डॉ. नवील शर्मा, एचओडी सर्जरी
- डॉ. नरेश देशमुख, एपी एनेस्थीसिया
- डॉ. कौशल एचओडी एनेस्थीसिया
- डॉ. समीर कथारे, एचओडी रेडियो डायग्नोसिस
- डॉ. अंजना, एचओडी ऑब्स गायनी
- डॉ. करण चंद्राकर, एसोसिएट प्रोफेसर पैथोलॉजी
- डॉ. सिंघल एचओडी मेडिसिन
- डॉ. मिथलेश कुमार यदु, एसआर पीडिया
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया आदेश
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया आदेश
राज्य सरकार ने 2 अगस्त को जारी किया था आदेश
छत्तीसगढ़ सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय ने 2 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी किया था। विशेष सचिव चंदन कुमार की ओर से जारी इस आदेश में साफ लिखा था कि सरकारी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में सेवा दे रहे सभी डॉक्टर अब निजी या अन्य अस्पतालों में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
डॉक्टरों ने इन परेशानियों का जिक्र किया-
- छत्तीसगढ़ में कुछ ही सालों में कई मेडिकल कॉलेज खुलने से डॉक्टरों की कमी हुई, सरकार ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को सरकारी नौकरी के लिए बुलाया।
- डॉक्टरों को संविदा में नियुक्त दी गई, जिसके तहत उनके साथ केवल 1 साल का एग्रीमेंट किया गया। साथ ही अवधि खत्म होने के बाद नौकरी बची रहने का कोई आश्वासन भी नहीं दिया गया।
- नियम में यह है कि यदि कोई नियमित डॉक्टर आ जाए तो संविदा कर्मी को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाएगा।
- इस वजह से संविदा डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस बंद नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें नौकरी का कोई आश्वासन नहीं है।
- प्राइवेट प्रैक्टिस के नाम पर सरकार के 20 प्रतिशत तनख्वाह पहले ही काट ली है, और उसके बाद भी प्राइवेट अस्पतालों को पंजीयन रद्द करने की धमकी दी जा रही है।
- प्राइवेट अस्पतालों में तनख्वाह सरकारी के तुलना में 2 से 3 गुना ज्यादा है।
- सरकारी अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं है। वहां ऑपरेशन थिएटर, ओपीडी, प्रोसिजर रूम में उपकरणों की के बाद भी उन्हें काम करना पड़ता है।
- सरकारी अफसरशाही के सामने संविदा डॉक्टरों की एक नहीं सुनी जाती है।
- विभिन्न क्षेत्रों के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर शहर में 1 या 2 ही हैं, वो ही घूम-घूम के सभी जगह अपनी सेवा प्रदान करते हैं, उन्हें 1 जगह बांध दिया जाएगा तो बाकी सभी क्षेत्रों में परेशानी हो जाएगी।
- NPA काटने के बाद भी डॉक्टरों को प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाता है।
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