MP में शिवराज सरकार फेल ! 18 साल के विकास के ढिंढोरों की खुली पोल, न बिजली, न सड़क और न सुविधाएं, क्या आदिवासियों से हुआ छल ?
भोपाल: साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग ने शिवराज सरकार से नाराज होकर दूसरे दौर में वोट डाला था, जिसकी भरपाई आगामी विधानसभा चुनाव में करने के लिए शिवराज सरकार पूरी ताकत से जुटी हुई है. खुद को आदिवासियों का हितैषी बताने वाली शिवराज सरकार ने ऐसा विकास किया है कि रायसेन जिले के कई गांवों में आज भी यह वर्ग अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान है. आज तक न तो यहां सड़क पहुंची और न ही उनके घर रोशन हुए। जितनी परेशानी पानी के लिए, उतनी ही परेशानी शिक्षा के लिए.
18 साल की शिवराज सरकार फेल !
मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां 16 जुलाई से शिवराज सरकार का विकास महोत्सव शुरू हो गया है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज के आदिवासी हैरान हैं कि आखिर ये विकास महोत्सव है क्या? . विकास कहां है और क्या है?
न तो सड़क है और न ही पानी
जी हां, ओबेदुल्लागंज के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं। करीब 250 लोगों की आबादी वाले आदिवासी गांव धूपघटा में 50 साल से बिजली नहीं आई है. यहां न तो सड़क है और न ही पानी. होर्डिंग्स पर खर्च किये गये करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाओं का लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.
ग्रामीणों ने बताया कि 18 साल में शिवराज सरकार यहां कोई विकास नहीं कर पाई. आजादी के 75 साल बाद भी बारिश के मौसम में यहां की कच्ची सड़कों पर करीब 4 महीने तक पानी भर जाता है, जिससे सड़क का रास्ता खत्म हो जाता है.
ऐसे में बरसात के मौसम में लोगों के लिए रेलवे ट्रैक ही एकमात्र सहारा होता है. लोग साढ़े तीन किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर चलकर बरखेड़ा पहुंचते हैं. छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी इस सड़क से होकर स्कूल जाते हैं.
शिक्षा की ख़राब स्थिति
रेलवे ट्रैक पर जो स्कूली बच्चे मिले उन्होंने बताया कि इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है. इस रास्ते से स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है. अभी रेलवे की एक लाइन बंद है. लोग उसी लाइन के सहारे चलते हैं, लेकिन खतरा बना रहता है. स्कूल की हालत ऐसी है कि स्कूल की छत से पानी टपकता है.
यहां बच्चों के बैठने के लिए सिर्फ कालीन है. 11 साल से स्कूल की मरम्मत नहीं हुई है. बारिश में पूरे स्कूल में पानी भर जाता है। स्कूल के बगल में ही आंगनवाड़ी है, जिसकी हालत स्कूल से भी बदतर है. आंगनवाड़ी में टाइल्स क्लास है, जिससे बारिश का सारा पानी नीचे गिरता है.
सभी कक्षाएं एक ही कमरे में लगती हैं
धूपघटा गांव स्थित इस स्कूल में स्कूल प्रभारी स्कूल में झाड़ू लगाते हैं और पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को एक ही कक्षा में एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है. इन सभी समस्याओं और सरकारी उपेक्षा को लेकर ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है.
लोगों का कहना है कि यहां 50 साल से कभी बिजली नहीं आई. कई जगहों पर सोलर पैनल जरूर लगाए गए, लेकिन कुछ ही महीनों में वे किसी काम के नहीं रहे। पूरा गांव एक हैंडपंप पर निर्भर है. लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
नेता-विधायक नहीं आते
गांव के सरपंच ने बताया कि न तो सरकार और न ही बीजेपी विधायक कभी यहां आते हैं. पंचायत स्तर पर प्रस्ताव तो बनता है, लेकिन कभी पारित नहीं हो पाता. ऐसी स्थिति सिर्फ इस गांव की ही नहीं, बल्कि इससे सटे दो गांवों की भी है. ऐसे में जनता पूछती है कि कहां है शिवराज सरकार का विकास ?
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