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MP में दुनिया का सबसे बड़ा हीरा भंडार: 70 हजार करोड़ के हीरे की खान, मिलेगी दौलत चमकेगी किस्मत, जानिए Diamond reserves की कहानी

World’s largest diamond reserves in MP: दुनिया का सबसे बड़ा हीरा भंडार होने के बावजूद मध्य प्रदेश कर्ज में डूबा हुआ है। इस जमीन के नीचे इतना बड़ा हीरा भंडार है कि एक बार में ही मध्य प्रदेश सरकार का कर्ज चुकाया जा सकता है और राज्य मालामाल हो सकता है। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा के रहस्यमयी जंगलों की।

जमीन के नीचे 3 करोड़ कैरेट हीरे का भंडार

बक्सवाहा के जंगलों की सबसे खास बात यह है कि जैव विविधता से भरपूर इस जंगल में जमीन के नीचे साढ़े तीन करोड़ कैरेट से ज्यादा हीरे मौजूद हैं। जब इस जंगल में खनन के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया गया था।

यहां मौजूद हीरों की अनुमानित कीमत 60 से 70 हजार करोड़ रुपए मानी गई थी। लेकिन हजारों करोड़ के हीरों तक पहुंचने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ा कि यह प्रोजेक्ट बड़े विवादों में फंस गया।

इस कारण रोक दी गई थी परियोजना

दरअसल, सरकार ने एयरसेल माइनिंग को यहां से हजारों करोड़ रुपये के हीरे निकालने की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन जब यह बात सामने आई कि इन हीरों को निकालने के लिए जंगल के करीब 2.5 लाख पेड़ों को काटा जाएगा, तो हंगामा मच गया।

World’s largest diamond reserves in MP: इसके बाद इस परियोजना के खिलाफ एनजीटी और हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। ज्यादातर मामले इस परियोजना को रद्द करवाने के लिए दायर किए गए।

क्या कहते हैं याचिकाकर्ता?

सरकार ने एयरसेल माइनिंग को बक्सवाहा की हीरा खदान में हीरे निकालने की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन इससे पहले कि कुछ हो पाता, जबलपुर के सामाजिक संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के रजत भार्गव और डॉ. पीजी नाजपांडे ने इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी।

World’s largest diamond reserves in MP: याचिकाकर्ता रजत भार्गव के अनुसार, “संगठन ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि इस खनन प्रक्रिया के कारण लाखों पेड़ कट जाएंगे और सदियों पुराना जंगल पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ट्रांसफर कर दिया, जहां ट्रिब्यूनल ने पूरी कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया। इसके बाद बक्सवाहा की हीरा खदान की प्रक्रिया पूरी तरह रोक दी गई, जो अभी भी रुकी हुई है।”

हजारों करोड़ के हीरे से ज्यादा कीमती है प्रकृति

इस परियोजना को लेकर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं भी दीं, किसी ने हीरा खदान के लिए बक्सवाहा के जंगल को काटने का विरोध किया, तो किसी ने कहा कि इससे मध्य प्रदेश की किस्मत चमक सकती है।

छतरपुर में स्थित इस जंगल में हीरों का भंडार है, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना ​​है कि 60 से 70 हजार करोड़ के हीरों के लिए ढाई लाख पेड़ काटना और प्रकृति को नुकसान पहुंचाना और भी महंगा साबित हो सकता है। यही वजह है कि एनजीटी ने बक्सवाहा में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े खजाने के लिए प्रकृति के खजाने से छेड़छाड़ पर रोक लगा दी।

सरकार ने जंगल को 50 साल की लीज पर दिया था

World’s largest diamond reserves in MP: करीब 5 साल पहले 2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने बकस्वाहा जंगल की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें बिड़ला ग्रुप की एक्सेल माइनिंग कंपनी ने सबसे ऊंची बोली लगाकर बोली जीत ली थी।

इसके बाद एक्सेल माइनिंग को इस जंगल का बड़ा हिस्सा (382.13 हेक्टेयर) 50 साल की लीज पर मिल गया। हीरे के खजाने तक पहुंचने के लिए जंगल के करीब 2.15 लाख हरे पेड़-पौधे काटने पड़े, जिसके चलते पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे होने का दावा

World’s largest diamond reserves in MP: खनन विशेषज्ञों के मुताबिक हीरा उत्पादक पन्ना जिले के मुकाबले बकस्वाहा के जंगलों में 15 गुना ज्यादा हीरे हैं। पन्ना में करीब 22 लाख कैरेट हीरे हैं। वहीं बकस्वाहा के जंगलों में 3 करोड़ 42 लाख कैरेट हीरे होने का दावा है।

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