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आरक्षण विवाद के बीच नियुक्ति: विश्व भूषण हरिचंदन होंगे छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल, सीएम भूपेश ने दी बधाई

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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद के बीच यहां पर नए राज्यपाल की नियुक्ति हो गई है। विश्वभूषण हरिचंदन छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल होंगे। वर्तमान में वे आंधप्रदेश के राज्यपाल हैं। अब वह अनुसुइया उइके की जगह लेंगे। विश्व भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाए जाने पर प्रदेश के सीएम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें बधाई दिया है। 

उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि महामहिम राष्ट्रपति जी ने विश्व भूषण हरिचंदन जी को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। उन्हें ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएँ। मैं छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से हमारे नए संवैधानिक अभिभावक का स्वागत करता हूं।

इसके बाद सीएम ने दूसरे ट्वीट में लिखा कि हमारी वर्तमान राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके जी अपनी नयी संवैधानिक जिम्मेदारी अब बतौर मणिपुर राज्यपाल निभाएंगी। उनको शुभकामनाएँ। व्यक्तिगत रूप से मैं उन्हें अपनी बड़ी बहन मानता हूँ। मुझे इस बात की पीड़ा हमेशा रहेगी कि भाजपा ने उन्हें उनकी भावनाओं के अनुरूप काम नहीं करने दिया।

जानें कौन हैं विश्व भूषण हरिचंदन

84 वर्षीय हरिचंदन ओडिशा के भुवनेश्वर और चिल्का विधानसभा से 5 बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 1971 में जनसंघ के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। इसके बाद वे 1977 में जनता पार्टी गठित होने तक वे जनसंघ के आंध्र महासचिव रहे। हरिचंदन जनसंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी रहे। साल 1980 से 1988 तक वे बीजेपी की प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 2004 में आंध्र प्रदेश की बीजेपी और बीजेडी सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया। 

 

 

 

इन्हें मिली राज्यपाल की जिम्मेदारी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 राज्यपाल और उपराज्यपालों की नियुक्ति की है। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया है।वहीं मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। है। रिटायरमेंट न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया हैऔर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इधर, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया है।

13 राज्यों में नए राज्यपाल-

  • छत्तीसगढ़- विश्वभूषण हरिचंदन
  • अरुणाचल प्रदेश- कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक
  • सिक्किम- लक्ष्मण प्रसाद आचार्य
  • झारखंड-सी.पी. राधाकृष्णन
  • हिमाचल प्रदेश-शिव प्रताप शुक्ल
  • असम- गुलाब चंद कटारिया
  • आंध्रप्रदेश- एस अब्दुल नजीर
  • मणिपुर- अनुसुइया उइके
  • नागालैंड-ला गणेशन
  • मेघालय-फागू चौहान
  • बिहार-राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर
  • महाराष्ट्र- रमेश बैस
  • लद्दाख- बीडी मिश्रा उपराज्यपाल

चर्चा का बाजार गर्म

चर्चा है कि आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच सीधे तकरार चल रहा था। कांग्रेस राज्यपाल अनुसुइईया उइके पर विधेयक को जबरन रोकने का आरोप लगा रही थी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद ही प्रदेश की राज्यपाल अनुसुईया उइके को हटाा गया है। उन्हें मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया है। 

इस तरह शुरू हुआ बदलाव

यह परिवर्तन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उप राज्यपाल राधाकृष्ण माथुर के इस्तीफे के साथ शुरू हुआ है। कोश्यारी और माथुर ने हाल ही में इस्तीफा दिया था। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया था। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस अब भगत सिंह कोश्यारी की जगह लेंगे। 

कांग्रेस होकर भाजपा में आईं अनुसुईया उइके को सरकार ने 16 जुलाई 2019 को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्ति किया था। उन्होंने 17 जुलाई को कार्यभार ग्रहण कर लिया था। ठीक एक महीने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार ने काम शुरू किया था। मुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कराया था। अब जब नवम्बर में विधानसभा का फिर से चुनाव होने जा रहा है, अनुसूईया उइके को यहां से हटाकर मणिपुर भेज दिया गया है।

 

राज्यपाल अनुसुईया का विवादों से रहा नाता 

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रह चुकी अनुसूईया उइके को अब विवादों को लेकर भी याद किया जा सकता है। वह राज्य सरकार से सीधे टकराने वाली राज्यपाल थीं। प्रशासनिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा के किडनी रोग प्रभावितों से मिलकर सरकार को जगाया। चाहे विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति हो या बिल सब जगह वो प्रभुत्व रखती थीं। कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकार की सिफारिशों को दरकिनार कर सीधे टक्कर लीं। जब कड़वाहट होने पर राज्य सरकार ने कुलपति नियुक्ति का अधिकार बदलने विधेयक पारित किया, तो उसे भी रोके रखा। कृषि कानून और अंत में हालिया आरक्षण विधेयक को रोककर भूपेश सरकार को हिलाकर रख दिया। इस पर राज्य सरकार ने मोर्चा खोलते हुए सीधे राजभवन से टक्कर ली। यहां तक कहा गया कि बीजेपी नेता राजभवन संचालित कर रहे हैं। बीजेपी का कार्यालय राजभवन हैं। वहीं पर विधि सलाहकार बैठते हैं। अंत में सरकार राजभवन के विरोध में हाईकोर्ट पहुंच गई। हाईकोर्ट ने मामले में राजभवन से जवाब तलब किया तो राजभवन ने हाईकोर्ट को उसकी मर्यादा याद दिला । इसके बाद नोटिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। 

 

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