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Vegetable Farming Tips: बारिश के मौसम में करें सब्जियों की खेती, जानिए कैसे उगाएं टमाटर, लौकी, बैंगन और गोभी ?

Vegetables grown in rainy season: हम आपको बारिश के मौसम में सब्जियों की खेती (Vegetables grown in summer season) कर लखपति (Names of crops sown in winter) बनने का आसान तरीका (Vegetables sown in June-July) बताएंगे, जिससे आपकी जीवन (Which crops are sown in rainy season) सफल हो जाएगी। एक सफल किसान बन Most expensive selling crop) पाएंगे। इसमें जून-जुलाई में बोई जाने वाली सब्जियों के नाम, खर्च समेत कई जानकारियां होंगी। बरसात में कौन-कौन सी फसल बोई जाती है, जिसकी जानकारी एक क्लिक में मिलेगी।

Vegetables grown in rainy season: इसमें हम किसान भाइयों को फूलगोभी, पत्तागोभी, खीरा, बैंगन, करेला, लौकी, पालक, बींस, भिंडी, प्याज, मिर्च और मूली उगाने की विधि और खर्चे क बारे में बताएंगे। In this we will tell the farmer brothers about the method and cost of growing cauliflower, cabbage, cucumber, brinjal, bitter gourd, bottle gourd, spinach, beans, lady’s finger, onion, chilli and radish.

  • फूलगोभी Cauliflower
  • पत्तागोभी Cabbage
  • खीरा Cucumber
  • बैंगन Brinjal
  • करेला Bitter gourd
  • लौकी Bottle gourd
  • पालक Spinach
  • बींस Beans
  • भिंडी  Okra
  • प्याज Onion
  • मिर्च  Chilli
  • मूली Radish

फूलगोभी कैसे उगाएं पूरी जानकारी खर्च सहित

फूलगोभी की खेती करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है यदि इसे सही तरीके से किया जाए। यहां फूलगोभी की खेती के लिए विस्तृत जानकारी, आवश्यक खर्च और प्रबंधन के तरीके दिए गए हैं:

भूमि की तैयारी

  1. मिट्टी का प्रकार: फूलगोभी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  2. मिट्टी की तैयारी: खेत को अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। 2-3 बार जुताई करें और इसके बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल करें।
  3. पीएच स्तर: मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।

बीज और बुवाई

  1. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
  2. बीज दर: 500-600 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  3. बीज अंकुरण: बीजों को नर्सरी में बोएं। 4-5 सप्ताह बाद पौधे तैयार हो जाते हैं जिन्हें मुख्य खेत में रोपित किया जा सकता है।
  4. पौध रोपण की दूरी: पौधों के बीच 45 से 60 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 60 से 75 सेमी की दूरी रखें।

खाद और उर्वरक

  1. गोबर की खाद: प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद डालें।
  2. रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (N): 120-150 किग्रा/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस (P2O5): 60-75 किग्रा/हेक्टेयर
    • पोटाश (K2O): 60-75 किग्रा/हेक्टेयर

सिंचाई

  1. सिंचाई का समय:
    • गर्मियों में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
    • सर्दियों में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. जल निकासी: जलभराव से बचाव के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन:
    • तना गलन, काले धब्बे, और झुलसा रोग से बचाव के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन:
    • हरा तेला, माहू, और तना बेधक कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: फूलगोभी की कटाई तब करें जब फूल अच्छी तरह से आकार और वजन प्राप्त कर लें।
  2. भंडारण: कटाई के बाद फूलों को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें।

अनुमानित खर्च

विवरणखर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारी8,000 – 10,000
बीज3,000 – 5,000
नर्सरी और पौध रोपण5,000 – 7,000
गोबर की खाद और कम्पोस्ट5,000 – 7,000
रासायनिक उर्वरक10,000 – 12,000
सिंचाई4,000 – 6,000
कीटनाशक और रोगनाशक5,000 – 7,000
श्रम और देखरेख7,000 – 10,000
कुल खर्च47,000 – 64,000

फूलगोभी की खेती का तरीका (सारांश में)

  1. भूमि तैयार करें: अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी बनाएं।
  2. बीज बोएं: नर्सरी में बीज बोकर पौधे तैयार करें।
  3. खेत में पौधे रोपें: उचित दूरी पर पौधों को रोपित करें।
  4. खाद और उर्वरक दें: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
  5. सिंचाई करें: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें और जलभराव से बचें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन करें: जैविक और रासायनिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करें।
  7. कटाई और भंडारण: उचित समय पर कटाई करें और फूलों को सुरक्षित रखें।

इन सभी कदमों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, आप सफलतापूर्वक फूलगोभी की खेती कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

पत्तागोभी कैसे उगाएं पूरी जानकारी खर्च सहित टेबल में

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पत्तागोभी (Cabbage) की खेती करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है यदि इसे सही तरीके से किया जाए। यहां पत्तागोभी की खेती के लिए विस्तृत जानकारी, आवश्यक खर्च और प्रबंधन के तरीके टेबल सहित दिए गए हैं:

पत्तागोभी की खेती के लिए आवश्यक जानकारी और खर्च

क्रियाकलापविवरणअनुमानित खर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारीखेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें, खेत को समतल करें।8,000 – 10,000
बीजउच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।3,000 – 5,000
नर्सरी और पौध रोपणबीजों को नर्सरी में बोएं और 4-6 सप्ताह बाद मुख्य खेत में रोपें।5,000 – 7,000
गोबर की खाद और कम्पोस्टप्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।5,000 – 7,000
रासायनिक उर्वरकनाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P2O5), पोटाश (K2O) का संतुलित प्रयोग करें।10,000 – 12,000
सिंचाईनियमित सिंचाई करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।4,000 – 6,000
कीटनाशक और रोगनाशकजैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।5,000 – 7,000
श्रम और देखरेखपौधों की नियमित देखरेख और निराई-गुड़ाई करें।7,000 – 10,000
कुल खर्च47,000 – 64,000

पत्तागोभी की खेती का तरीका

भूमि की तैयारी

  1. मिट्टी का प्रकार: पत्तागोभी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  2. मिट्टी की तैयारी: खेत को अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। खेत को समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

बीज और बुवाई

  1. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
  2. बीज दर: 500-600 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  3. बीज अंकुरण: बीजों को नर्सरी में बोएं और लगभग 4-6 सप्ताह बाद पौधों को मुख्य खेत में रोपित करें।
  4. पौध रोपण की दूरी: पौधों के बीच 45 से 60 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 60 से 75 सेमी की दूरी रखें।

खाद और उर्वरक

  1. गोबर की खाद: प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।
  2. रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (N): 100-120 किग्रा/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस (P2O5): 50-60 किग्रा/हेक्टेयर
    • पोटाश (K2O): 50-60 किग्रा/हेक्टेयर

सिंचाई

  1. सिंचाई का समय:
    • गर्मियों में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
    • सर्दियों में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. जल निकासी: जलभराव से बचाव के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन:
    • तना गलन, काले धब्बे, और झुलसा रोग से बचाव के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन:
    • हरा तेला, माहू, और तना बेधक कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: पत्तागोभी की कटाई तब करें जब गोभी का सिर अच्छी तरह से आकार और वजन प्राप्त कर ले।
  2. भंडारण: कटाई के बाद पत्तागोभी को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें।

पत्तागोभी की खेती का सारांश

  1. भूमि तैयार करें: अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी बनाएं।
  2. बीज बोएं: नर्सरी में बीज बोकर पौधे तैयार करें।
  3. खेत में पौधे रोपें: उचित दूरी पर पौधों को रोपित करें।
  4. खाद और उर्वरक दें: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
  5. सिंचाई करें: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें और जलभराव से बचें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन करें: जैविक और रासायनिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करें।
  7. कटाई और भंडारण: उचित समय पर कटाई करें और पत्तागोभी को सुरक्षित रखें।

इन सभी कदमों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, आप सफलतापूर्वक पत्तागोभी की खेती कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

खीरा कैसे उगाएं पूरी जानकारी खर्च सहित टेबल में

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खीरे की खेती करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, बशर्ते कि इसे सही तरीके से और उचित प्रबंधन के साथ किया जाए। यहां खीरे की खेती के लिए विस्तृत जानकारी, आवश्यक खर्च और प्रबंधन के तरीके टेबल सहित दिए गए हैं:

खीरे की खेती के लिए आवश्यक जानकारी और खर्च

क्रियाकलापविवरणअनुमानित खर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारीखेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें, खेत को समतल करें।8,000 – 10,000
बीजउच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।2,000 – 4,000
बीज अंकुरण और रोपणबीजों को सीधे खेत में बोएं या नर्सरी में अंकुरित करें और फिर रोपें।5,000 – 7,000
गोबर की खाद और कम्पोस्टप्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।5,000 – 7,000
रासायनिक उर्वरकनाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P2O5), पोटाश (K2O) का संतुलित प्रयोग करें।10,000 – 12,000
सिंचाईनियमित सिंचाई करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।4,000 – 6,000
कीटनाशक और रोगनाशकजैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।5,000 – 7,000
मचान और ट्रेलिसबेलों को सहारा देने के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें।8,000 – 12,000
श्रम और देखरेखपौधों की नियमित देखरेख और निराई-गुड़ाई करें।7,000 – 10,000
कुल खर्च54,000 – 75,000

खीरे की खेती का तरीका

भूमि की तैयारी

  1. मिट्टी का प्रकार: खीरे की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  2. मिट्टी की तैयारी: खेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। खेत को समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

बीज और बुवाई

  1. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
  2. बीज दर: 2-3 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  3. बीज अंकुरण: बीजों को सीधे खेत में बोएं या नर्सरी में अंकुरित करें और फिर खेत में रोपण करें।
  4. पौध रोपण की दूरी: पौधों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी रखें।

खाद और उर्वरक

  1. गोबर की खाद: प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।
  2. रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (N): 100-120 किग्रा/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस (P2O5): 60-70 किग्रा/हेक्टेयर
    • पोटाश (K2O): 60-70 किग्रा/हेक्टेयर

सिंचाई

  1. सिंचाई का समय:
    • गर्मियों में 5-7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
    • सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. जल निकासी: जलभराव से बचाव के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन:
    • पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, और अन्य फफूंदी रोगों से बचाव के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन:
    • फल मक्खी, एफिड्स, और सफेद मक्खी से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।

मचान और ट्रेलिस

  1. मचान: खीरे की बेलों को सहारा देने के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें। इससे फलों को सड़ने से बचाया जा सकता है और पौधों की अच्छी वृद्धि होती है।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: खीरे की कटाई तब करें जब वे 15-20 सेमी के हो जाएं और उनकी त्वचा चमकदार हो।
  2. भंडारण: कटाई के बाद खीरों को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें।

खीरे की खेती का सारांश

  1. भूमि तैयार करें: अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी बनाएं।
  2. बीज बोएं: सीधे खेत में या नर्सरी में बीज अंकुरित करें।
  3. खेत में पौधे रोपें: उचित दूरी पर पौधों को रोपित करें।
  4. खाद और उर्वरक दें: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
  5. सिंचाई करें: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें और जलभराव से बचें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन करें: जैविक और रासायनिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करें।
  7. मचान और ट्रेलिस का उपयोग करें: बेलों को सहारा देने के लिए।
  8. कटाई और भंडारण: उचित समय पर कटाई करें और खीरों को सुरक्षित रखें।

इन सभी कदमों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, आप सफलतापूर्वक खीरे की खेती कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

बैंगन कैसे उगाएं पूरी जानकारी खर्च सहित टेबल में

ChatGPT

बैंगन (Brinjal) की खेती करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है। यहां बैंगन की खेती के लिए विस्तृत जानकारी, आवश्यक खर्च और प्रबंधन के तरीके टेबल सहित दिए गए हैं:

बैंगन की खेती के लिए आवश्यक जानकारी और खर्च

क्रियाकलापविवरणअनुमानित खर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारीखेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें, खेत को समतल करें।8,000 – 10,000
बीजउच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।3,000 – 5,000
नर्सरी और पौध रोपणबीजों को नर्सरी में बोएं और 4-6 सप्ताह बाद मुख्य खेत में रोपें।5,000 – 7,000
गोबर की खाद और कम्पोस्टप्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद डालें।5,000 – 7,000
रासायनिक उर्वरकनाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P2O5), पोटाश (K2O) का संतुलित प्रयोग करें।10,000 – 12,000
सिंचाईनियमित सिंचाई करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।4,000 – 6,000
कीटनाशक और रोगनाशकजैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।5,000 – 7,000
श्रम और देखरेखपौधों की नियमित देखरेख और निराई-गुड़ाई करें।7,000 – 10,000
कुल खर्च47,000 – 64,000

बैंगन की खेती का तरीका

भूमि की तैयारी

  1. मिट्टी का प्रकार: बैंगन की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  2. मिट्टी की तैयारी: खेत को अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। खेत को समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

बीज और बुवाई

  1. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
  2. बीज दर: 200-300 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  3. बीज अंकुरण: बीजों को नर्सरी में बोएं और लगभग 4-6 सप्ताह बाद पौधों को मुख्य खेत में रोपित करें।
  4. पौध रोपण की दूरी: पौधों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 75 सेमी की दूरी रखें।

खाद और उर्वरक

  1. गोबर की खाद: प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद डालें।
  2. रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (N): 100-120 किग्रा/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस (P2O5): 50-60 किग्रा/हेक्टेयर
    • पोटाश (K2O): 50-60 किग्रा/हेक्टेयर

सिंचाई

  1. सिंचाई का समय:
    • गर्मियों में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
    • सर्दियों में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. जल निकासी: जलभराव से बचाव के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन:
    • बैंगन के पौधों को वर्टिसिलियम विल्ट, बैक्टीरियल विल्ट, और अन्य फफूंदी रोगों से बचाने के लिए उचित फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन:
    • फल और तना छेदक, एफिड्स, और सफेद मक्खी से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: बैंगन की कटाई तब करें जब फल पूर्ण रूप से विकसित हो जाए और उसकी त्वचा चमकदार हो।
  2. भंडारण: कटाई के बाद बैंगनों को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें।

बैंगन की खेती का सारांश

  1. भूमि तैयार करें: अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी बनाएं।
  2. बीज बोएं: नर्सरी में बीज बोकर पौधे तैयार करें।
  3. खेत में पौधे रोपें: उचित दूरी पर पौधों को रोपित करें।
  4. खाद और उर्वरक दें: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
  5. सिंचाई करें: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें और जलभराव से बचें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन करें: जैविक और रासायनिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करें।
  7. कटाई और भंडारण: उचित समय पर कटाई करें और बैंगनों को सुरक्षित रखें।

इन सभी कदमों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, आप सफलतापूर्वक बैंगन की खेती कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

करेला कैसे उगाएं पूरी जानकारी खर्च सहित टेबल में

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करेला (Bitter Gourd) की खेती करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है। यहां करेला की खेती के लिए विस्तृत जानकारी, आवश्यक खर्च और प्रबंधन के तरीके टेबल सहित दिए गए हैं:

करेला की खेती के लिए आवश्यक जानकारी और खर्च

क्रियाकलापविवरणअनुमानित खर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारीखेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें, खेत को समतल करें।8,000 – 10,000
बीजउच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।3,000 – 5,000
नर्सरी और पौध रोपणबीजों को सीधे खेत में बोएं या नर्सरी में अंकुरित करें और फिर रोपें।5,000 – 7,000
गोबर की खाद और कम्पोस्टप्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।5,000 – 7,000
रासायनिक उर्वरकनाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P2O5), पोटाश (K2O) का संतुलित प्रयोग करें।10,000 – 12,000
सिंचाईनियमित सिंचाई करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।4,000 – 6,000
कीटनाशक और रोगनाशकजैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।5,000 – 7,000
मचान और ट्रेलिसबेलों को सहारा देने के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें।8,000 – 12,000
श्रम और देखरेखपौधों की नियमित देखरेख और निराई-गुड़ाई करें।7,000 – 10,000
कुल खर्च55,000 – 76,000

करेला की खेती का तरीका

भूमि की तैयारी

  1. मिट्टी का प्रकार: करेला की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  2. मिट्टी की तैयारी: खेत को 2-3 बार जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। खेत को समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

बीज और बुवाई

  1. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता और रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
  2. बीज दर: 4-5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  3. बीज अंकुरण: बीजों को सीधे खेत में बोएं या नर्सरी में अंकुरित करें और फिर खेत में रोपण करें।
  4. पौध रोपण की दूरी: पौधों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 1.5 से 2 मीटर की दूरी रखें।

खाद और उर्वरक

  1. गोबर की खाद: प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।
  2. रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन (N): 80-100 किग्रा/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस (P2O5): 40-50 किग्रा/हेक्टेयर
    • पोटाश (K2O): 40-50 किग्रा/हेक्टेयर

सिंचाई

  1. सिंचाई का समय:
    • गर्मियों में 5-7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
    • सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. जल निकासी: जलभराव से बचाव के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  1. रोग प्रबंधन:
    • पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू, और अन्य फफूंदी रोगों से बचाव के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करें।
  2. कीट प्रबंधन:
    • फल मक्खी, एफिड्स, और सफेद मक्खी से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।

मचान और ट्रेलिस

  1. मचान: करेला की बेलों को सहारा देने के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें। इससे फलों को सड़ने से बचाया जा सकता है और पौधों की अच्छी वृद्धि होती है।

फसल की कटाई

  1. कटाई का समय: करेला की कटाई तब करें जब फल पूर्ण रूप से विकसित हो जाएं और उनकी त्वचा चमकदार हो।
  2. भंडारण: कटाई के बाद करेले को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें।

करेला की खेती का सारांश

  1. भूमि तैयार करें: अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी बनाएं।
  2. बीज बोएं: सीधे खेत में या नर्सरी में बीज अंकुरित करें।
  3. खेत में पौधे रोपें: उचित दूरी पर पौधों को रोपित करें।
  4. खाद और उर्वरक दें: जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।
  5. सिंचाई करें: नियमित अंतराल पर सिंचाई करें और जलभराव से बचें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन करें: जैविक और रासायनिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करें।
  7. मचान और ट्रेलिस का उपयोग करें: बेलों को सहारा देने के लिए।
  8. कटाई और भंडारण: उचित समय पर कटाई करें और करेले को सुरक्षित रखें।

इन सभी कदमों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, आप सफलतापूर्वक करेला की खेती कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

 

बारिश में सब्जी की खेती के नाम और उनके तरीकों की तालिका नीचे दी गई है:

सब्जी का नामखेती का तरीका
भिंडी (लैडीफिंगर)ऊंची क्यारियों में बुवाई करें, जल निकासी की अच्छी व्यवस्था रखें।
लौकीमचान या ट्रेलिस का उपयोग करें, जल भराव से बचने के लिए उठी हुई क्यारियाँ बनाएं।
तोरी (तोरे)मचान विधि से खेती करें, पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें।
करेलामचान विधि अपनाएं, जल निकासी का ध्यान रखें।
टमाटरपौधों को सपोर्ट देने के लिए स्टेकिंग करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
बैंगनऊंची क्यारियों में लगाएं, जल भराव से बचाव करें।
शिमला मिर्चपौधों को सहारा देने के लिए स्टेकिंग करें, जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।
पालकउठी हुई क्यारियों में बुवाई करें, अच्छी जल निकासी हो।
मूलीऊंची क्यारियों में बोएं, जल निकासी का ध्यान रखें।
मेथीअच्छी जल निकासी वाली जगह पर बुवाई करें।

इस तालिका में हर सब्जी के लिए बारिश के मौसम में खेती का तरीका बताया गया है ताकि पौधों को पर्याप्त जल निकासी मिले और फसल अच्छी हो सके।

बारिश में सब्जी की खेती करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि फसल अच्छी हो सके और पौधों को पर्याप्त पोषण और जल निकासी मिले। नीचे दिए गए सुझावों का पालन करके बारिश में सब्जी की खेती की जा सकती है:

  1. जमीन की तैयारी:
    • ऊंची क्यारियाँ: जलभराव से बचने के लिए ऊंची क्यारियाँ बनाएं। इससे पानी आसानी से निकल जाएगा और जड़ों को सड़ने से बचाया जा सकेगा।
    • मुलायम और भुरभुरी मिट्टी: मिट्टी को अच्छे से जोतें और भुरभुरी बनाएं ताकि पानी और हवा का संचार अच्छे से हो सके।
  2. बीज और पौधारोपण:
    • उच्च गुणवत्ता वाले बीज: उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीजों का चयन करें।
    • बीज अंकुरण: बीजों को सीधे खेत में बोने की बजाय पौधशाला में अंकुरित करें और जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तब उन्हें खेत में रोपित करें।
  3. जल निकासी व्यवस्था:
    • ड्रेन बनाना: खेत में जल निकासी के लिए नालियां (ड्रेन) बनाएं ताकि बारिश का पानी आसानी से निकल सके।
    • मुलचिंग: पौधों के चारों ओर मुलच (जैविक या अजैविक सामग्री) डालें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और खरपतवार को रोका जा सके।
  4. सपोर्ट सिस्टम:
    • मचान और ट्रेलिस: बेल वाली सब्जियों (जैसे लौकी, करेला, तोरी) के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें ताकि पौधे जमीन से ऊपर रहें और फलों को सड़ने से बचाया जा सके।
  5. नियंत्रित सिंचाई:
    • अतिरिक्त पानी न दें: बारिश के मौसम में प्राकृतिक वर्षा के कारण सिंचाई कम करनी होती है। फसलों को जरूरत से ज्यादा पानी न दें।
    • सप्ताह में एक बार सिंचाई: अगर बारिश न हो तो सप्ताह में एक बार सिंचाई करें।
  6. रोग और कीट प्रबंधन:
    • नियमित निगरानी: फसलों की नियमित निगरानी करें और रोग या कीट लगने पर तुरंत उपचार करें।
    • जैविक उपाय: कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
  7. उर्वरक का प्रयोग:
    • जैविक खाद: जैविक खाद (जैसे कम्पोस्ट या गोबर की खाद) का उपयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
    • नाइट्रोजन युक्त उर्वरक: नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें ताकि पौधों की वृद्धि अच्छी हो सके।
  8. फसल चक्र और अंतरवर्तीय खेती:
    • फसल चक्र: फसल चक्र अपनाएं ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और रोगों का प्रकोप कम हो।
    • अंतरवर्तीय खेती: दो या अधिक प्रकार की फसलों को एक साथ उगाएं ताकि पौधों को सही पोषण मिले और भूमि का उपयोग अधिकतम हो सके।

इन सुझावों का पालन करके बारिश के मौसम में सफलतापूर्वक सब्जी की खेती की जा सकती है।

बारिश के मौसम में टमाटर की खेती के खर्च और तरीके की जानकारी निम्न तालिका में दी गई है:

विवरणखर्च (रुपये/हेक्टेयर)तरीका
भूमि की तैयारी10,000 – 15,000खेत को जोतना, भुरभुरी मिट्टी बनाना, और ऊंची क्यारियां बनाना।
बीज2,000 – 5,000उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। 200-300 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यक।
बीज अंकुरण और नर्सरी5,000 – 7,000बीजों को नर्सरी में बोएं, 4-5 सप्ताह बाद पौधों को मुख्य खेत में रोपें।
सिंचाई और जल निकासी3,000 – 5,000जल निकासी के लिए नालियां बनाएं। नमी बनाए रखने के लिए मुलचिंग करें।
खाद और उर्वरक15,000 – 20,000जैविक खाद और संतुलित नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करें।
कीटनाशक और रोगनाशक5,000 – 8,000जैविक कीटनाशकों और रोगनाशकों का प्रयोग करें। नियमित निगरानी और उपचार।
सपोर्ट सिस्टम10,000 – 15,000पौधों को सपोर्ट देने के लिए स्टेकिंग या ट्रेलिस का उपयोग करें।
संचालन और देखरेख7,000 – 10,000नियमित निगरानी, निराई-गुड़ाई, और अन्य देखरेख के कार्य।
कुल खर्च (अनुमानित)57,000 – 85,000प्रति हेक्टेयर

टमाटर की खेती का तरीका:

  1. भूमि की तैयारी:
    • खेत को अच्छी तरह जोतें और भुरभुरी मिट्टी तैयार करें।
    • ऊंची क्यारियां बनाएं ताकि जलभराव से बचा जा सके।
  2. बीज अंकुरण और नर्सरी:
    • उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
    • बीजों को नर्सरी में बोएं और लगभग 4-5 सप्ताह तक नर्सरी में पौधों को बढ़ने दें।
    • पौधों को मुख्य खेत में रोपित करने से पहले उन्हें हार्डनिंग करें।
  3. सिंचाई और जल निकासी:
    • जल निकासी के लिए नालियां बनाएं।
    • पौधों के चारों ओर मुलचिंग करें ताकि नमी बनी रहे और खरपतवार को रोका जा सके।
    • बारिश के मौसम में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती, जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करें।
  4. खाद और उर्वरक:
    • जैविक खाद जैसे कम्पोस्ट या गोबर की खाद का उपयोग करें।
    • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश के संतुलित उर्वरक का उपयोग करें।
  5. सपोर्ट सिस्टम:
    • पौधों को सपोर्ट देने के लिए स्टेकिंग या ट्रेलिस का उपयोग करें।
    • इससे पौधों को सही विकास मिलेगा और फलों को सड़ने से बचाया जा सकेगा।
  6. कीटनाशक और रोगनाशक:
    • जैविक कीटनाशकों और रोगनाशकों का उपयोग करें।
    • पौधों की नियमित निगरानी करें और रोगों का समय पर उपचार करें।
  7. संचालन और देखरेख:
    • नियमित निराई-गुड़ाई करें।
    • पौधों की उचित देखभाल और निरीक्षण करें ताकि समय पर समस्याओं का समाधान किया जा सके।

इन तरीकों और खर्चों का पालन करके बारिश के मौसम में टमाटर की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।

बारिश के मौसम में सब्जी की खेती पर जानकारी

बारिश के मौसम में सब्जी की खेती करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही तैयारी और प्रबंधन से अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी और सुझाव दिए गए हैं:

सब्जियाँ और उनके प्रकार

बारिश के मौसम में कुछ विशेष सब्जियाँ उगाई जाती हैं जो अधिक नमी को सहन कर सकती हैं:

  1. भिंडी (लैडीफिंगर)
  2. लौकी
  3. करेला
  4. तोरी (तोरे)
  5. टमाटर
  6. बैंगन
  7. शिमला मिर्च
  8. पालक
  9. मूली
  10. मेथी

खेती की तैयारी

भूमि की तैयारी

  • ऊंची क्यारियाँ बनाना: बारिश के मौसम में जलभराव एक बड़ी समस्या हो सकती है, इसलिए ऊंची क्यारियाँ बनाएं ताकि पानी जल्दी निकल सके।
  • मिट्टी का सुधार: जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं।

बीज और रोपण

  • उच्च गुणवत्ता वाले बीज: रोगमुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
  • नर्सरी में अंकुरण: बीजों को पहले नर्सरी में अंकुरित करें और फिर उन्हें मुख्य खेत में रोपित करें।

जल निकासी और सिंचाई

  • नालियाँ बनाना: खेत में जल निकासी के लिए नालियाँ बनाएं ताकि बारिश का पानी तुरंत निकल सके।
  • मुलचिंग: पौधों के चारों ओर मुलच डालें ताकि नमी बनी रहे और खरपतवार कम हो।

पौधों का समर्थन

  • मचान और ट्रेलिस: बेल वाली सब्जियों के लिए मचान या ट्रेलिस का उपयोग करें ताकि पौधे जमीन से ऊपर रहें और फलों को सड़ने से बचाया जा सके।
  • स्टेकिंग: टमाटर और शिमला मिर्च जैसे पौधों को सहारा देने के लिए स्टेकिंग करें।

रोग और कीट प्रबंधन

  • नियमित निगरानी: पौधों की नियमित निगरानी करें और रोग या कीट लगने पर तुरंत उपचार करें।
  • जैविक कीटनाशक: नीम तेल या अन्य जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

खाद और उर्वरक

  • जैविक खाद: जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट का उपयोग करें।
  • संतुलित उर्वरक: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश के संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें।

फसल चक्र और अंतरवर्तीय खेती

  • फसल चक्र: विभिन्न फसलों को बारी-बारी से उगाएं ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और रोगों का प्रकोप कम हो।
  • अंतरवर्तीय खेती: दो या अधिक प्रकार की फसलों को एक साथ उगाएं ताकि पौधों को सही पोषण मिले और भूमि का उपयोग अधिकतम हो सके।

खेती के खर्च का अनुमान

क्रियाकलापअनुमानित खर्च (रुपये/हेक्टेयर)
भूमि की तैयारी10,000 – 15,000
बीज2,000 – 5,000
नर्सरी और अंकुरण5,000 – 7,000
सिंचाई और जल निकासी3,000 – 5,000
खाद और उर्वरक15,000 – 20,000
कीटनाशक और रोगनाशक5,000 – 8,000
सपोर्ट सिस्टम (मचान, ट्रेलिस)10,000 – 15,000
संचालन और देखरेख7,000 – 10,000
कुल खर्च57,000 – 85,000

इन सभी सुझावों का पालन करके और उचित प्रबंधन के साथ, बारिश के मौसम में सब्जियों की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।

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