हाथरस में मौत का प्रवचन! करीब ढाई लाख भीड़, 121 लोगों की गई जान, जानिए कौन हैं सफेद टाई वाले भोले बाबा?
Uttar Pradesh Hathras satsang program stampede death: उत्तर प्रदेश का हाथरस एक बार फिर चर्चा में है। हाथरस में सत्संग कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ में अब तक 121 लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें 108 महिलाएं और सात बच्चे शामिल हैं। इस सत्संग का आयोजन नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि और भोले बाबा ने किया था।
हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलेराई गांव में यह हादसा हुआ। नारायण साकार हरि की लोकप्रियता इस हद तक है कि दावा किया जा रहा है कि उनके सत्संग को सुनने के लिए करीब ढाई लाख लोगों की भीड़ जुटी थी। लेकिन ये नारायण साकार हरि कौन हैं, जिनका सत्संग स्थल मंगलवार को श्मशान में तब्दील हो गया।
नारायण साकार कैसे बने भोले बाबा?
नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह मूल रूप से कासगंज जिले के बहादुर नगर के रहने वाले हैं। वह बचपन से ही अपने पिता के साथ खेती करते थे। लेकिन इसके बाद वह पुलिस विभाग में भर्ती हो गए। करीब 18 साल तक पुलिस विभाग में नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया। बताया जाता है कि सूरजपाल का शुरू से ही आध्यात्म की ओर झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक में पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ने के बाद वह पूरी तरह से इसी ओर मुड़ गए। तभी से उन्होंने सत्संग करना शुरू कर दिया।
सूरजपाल के तीन भाइयों में से एक की अचानक मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने बहादुर नगर में अपने भाई के नाम से एक ट्रस्ट शुरू किया। उनका आश्रम भी बहादुर नगर में ही है। खुद को मानते हैं हरि के शिष्य मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम के नाम से सत्संग का आयोजन करते रहे हैं। वह खुद को हरि के शिष्य बताते हैं। इसी के चलते उन्होंने अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया। उन्होंने अपने प्रवचनों में अक्सर कहा है कि साकार हरि पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं।
वे सफेद सूट और नीली टाई क्यों पहनते हैं?
पुलिस विभाग से वीआरएस लेने के बाद नारायण हरि को सत्संग के दौरान हमेशा सफेद सूट और नीली टाई पहने देखा जा सकता है। वे अनुसूचित जाति समाज से आते हैं। इस वजह से वे प्रतीक के तौर पर इन खास रंगों को पहने नजर आते हैं। सत्संग के दौरान अक्सर उनकी पत्नी उनके साथ मंच पर बैठी नजर आती हैं। उनकी पत्नी को माताश्री कहा जाता है।
नारायण हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। बहादुर नगर में आश्रम खोलने के बाद गरीब और वंचित वर्ग के लोगों में उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। आज उनके लाखों अनुयायी हैं। वे सुरक्षा के लिए वालंटियर रखते हैं, जो उनके सत्संग की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करते हैं।
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कोरोना काल में भी हुई थी लापरवाही
कोरोना के दौरान 2022 में सत्संगी बाबा ने उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में सत्संग का आयोजन किया था। कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने उस समय सिर्फ पचास लोगों को सत्संग में शामिल होने की अनुमति दी थी। लेकिन उस समय नियमों को तोड़कर पचास हजार लोग सत्संग में शामिल हुए थे।
क्या हुआ?
मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम के नाम से मंगलवार को हाथरस में नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग था। सत्संग खत्म होते ही जैसे ही बाबा की गाड़ी भीड़ से बाहर निकली, लोग उनकी तरफ दौड़ पड़े। इस भगदड़ में लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। बारिश के कारण कीचड़ ने भी इस स्थिति को और बदतर बना दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार फुलराई के मैदान में खुले में सत्संग का आयोजन हो रहा था। इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से 50 हजार से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए थे। जैसे ही सत्संग खत्म होने लगा, भक्त आगे बढ़कर बाबाजी के पास जमा हो गए। वे उनका आशीर्वाद और उनकी चरण रज लेने लगे। ये लोग एक गड्ढे से गुजर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुरू में धक्का-मुक्की हुई और कुछ लोग गिर गए। इसके बाद जो गिरा, वह उठ नहीं पाया और भीड़ उसके ऊपर से गुजरती रही। देखते ही देखते बड़ा हादसा हो गया। बाबा फिलहाल फरार है।
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