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Indra Sukta: इन्द्र देव के इस मंत्र के पृथ्वी पर ही मिल जाएंगे स्वर्ग के सारे सुख

Indra Sukta: शास्त्रों में अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं की आराधना करने की आज्ञा दी गई है। यदि आप ज्ञान पाना चाहते हैं तो आपको भगवान शिव, गणेश जी या मां सरस्वती की आराधना करनी होगी। धन पाने के लिए कुबेर या लक्ष्मी जी की स्तुति करनी होगी। बल की प्राप्ति के लिए भगवान राम, मां काली या नृसिंह अवतार की पूजा करनी होती है। इस प्रकार सभी देवताओं को अलग-अलग उद्देश्यों और कार्यों से जोड़ा गया है।

यदि आप अपने जीवन में सर्वांगीण विकास चाहते हैं तो आपको देवराज इन्द्र की आराधना करनी चाहिए। पंडित कमलेश शास्त्री के अनुसार उनकी आराधना जितनी सरल है, उतनी ही अधिक फलदायक भी है। वास्तव में इन्द्र को प्रकृति से जोड़ा गया है। इसी कारण ऋग्वेद में भी इन्द्र की प्रशंसा में कई मंत्र बताए गए हैं।

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इन्द्र की आराधना से पा सकते हैं सब कुछ

यदि आप किसी अन्य देवता के बजाय केवल इन्द्र को ही प्रसन्न कर लें तो आप पृथ्वी पर ही स्वर्ग के सभी सुख भोग सकते हैं। उन्हें प्रसन्न कर आप धन, ऐश्वर्य, सुख तथा समस्त भोग पा सकते हैं। मोक्ष तथा अमरता के अतिरिक्त आप जो भी चाहें, इन्द्रदेव से वरदान में पा सकते हैं। इस संबंध में शास्त्रों में भी बहुत सी कथाएं हैं जिनमें इन्द्र ने भक्तों को मनचाहे वरदान दिए हैं।

ऋग्वेद में इन्द्र सूक्त का भी पाठ मिलता है। यह ऋग्वेद के द्वितीय मंडल का पंद्रहवा सूक्त है। यदि इस सूक्त का विधि-विधान से प्रयोग किया जाए तो न केवल आप अपने हर उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं वरन इस धरती और प्रकृति का भी भला करते हैं। इन्द्र सूक्त को सिद्ध करने के लिए हवन की भी आवश्यकता होती है। परन्तु यदि इसे प्रतिदिन नियमपूर्वक और पूर्ण श्रद्धा तथा विश्वास के साथ जपा जाए तो भी आपकी बहुत सी मनोकामनाएं बिना कहे ही पूरी हो जाएंगी। इन्द्र सूक्त निम्न प्रकार है।

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इन्द्र सूक्तम् (Indra Sukta)

प्रधान्वस्य महतो महानि सत्य सत्यस्य करणानि वोचम् ।
त्रिकट केस्वपिवत् सतस्यास्य मदे अहिमिन्द्रो जघान ॥1॥
अन्वय:- सत्यस्य महतः अस्य महानि करणानि न प्रवोचम्। इन्द्र त्रिकद्रुकेषु अस्य अपिवत्, इन्द्रः अस्य सुतस्य मदे अहिं जघान।

अवंशे धामस्तभायद्ब्रहन्तमा रोदसी अपृणदन्तरिक्षम् स ।
धारयत्पृथिवीं पप्रथच्च सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार।।2।।
अन्वय:- धाम् अवंशे अस्तभायत्, बृहन्तं अंतरिक्षं रोदसी अपृणत् सः पृथिवीम् धरयत् च इन्द्रः सोमस्य मदे ताः चकार।

सद्येव प्राचो वि मियाय मानैर्वज्रेण खान्यतृणन्नदीनाम् ।
वथासृजत्पथिभिदीर्धमाथैः सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार।।3।।
अन्वय:- मानैः सद् मेव प्राचः विमियाय। वज्रेण नदीनां खानि अतृणत् दीर्धमाथैः पथिभिः वथा असृजत्। इन्द्र मदेताः चकार।

स प्रवोळहुन् परिगत्या दभीतेर्विश्वमधागायघमिद्धे अग्नौ।
सं गोभिरश्वैरसृजद्रथेभिः सोमसय ता मद इन्द्रश्चकार।।4।।
अन्वय:- सः दभीतेः प्रवोळहून् परिगतय विष्वम् आयुधम् इद्धे अग्नौ अधाक्। गोभिः अष्वैः रथैः समसृजत्, इन्द्रः सोमस्य मदे ता: चकार।

स ई महीं धुनिमेतोररम्णात्सौ अस्नात नृपारयत्स्वस्ति।
त उत्सनाय रयिमभि प्रतस्थुः सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार ।।5।।
अन्वय:- सः एतोः ईम् महीम् धुनिम् अरम्णात्। सः अस्नातृ न स्वस्ति अपारयत्। ते उत्स्नाय रयिम् अभि प्रतस्थुः। इन्द्रः सोमस्य मदे ताः चकारः।

सोदञ्चं सिन्धुमरिणान्महित्वा वज्रेणान उषसः सं पिपेष।
अजवसो जविनीभिर्विवृश्चन्त्सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार।।6।
अन्वय:- सः महित्वा सिन्धुम् उदञ्चम् अदिणात्। उषस: अनः वज्रेण संपिपेष। जविनीभिः अजवासः विवृश्चन् इन्द्रः सोमस्य मदे ताः चकार।

स विद्धां अपगोहं कनीनामा विर्भवन्नुदतिष्ठत्परावृक।
प्रति श्रोणः सथाद् व्यनगचष्ट सोमस्य ता मद इन्द्रष्चकार।।7।।
अन्वय:- सः विद्वान् परावृक, कनीनाम् अपगोहम् अविर्भवन् उदतिष्ठत् श्रोणः प्रतिस्थात् अनक् व्यचष्ट। इन्द्र सोमस्य मदे ताः चकार।

भिनद्वमगिरोभिर्गुणानो विपर्वतस्य द्वंहितान्यैरत्।
रिणग्रोधासि कृत्रिमाण्येषां सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार ॥8॥
अन्वय:- अङ्गिरोभिः गृणानः बलं भिन्त्। पर्वतस्य द्वंहितानि विऐरत्। एषाम् कृत्रि माणि रोधांसि रिणक्। इन्द्रः सोमस्य मदे ताः चकार।

स्वन्पेनाभ्युप्या चुमुरि धुनिञ्च जघन्थ दस्युं प्रदभीतिभावः।
रम्भी चिदत्र विविदे हिरण्यं सोमस्य ता मद इन्द्रश्चकार॥9॥
अन्वय:- (सच्वं) दस्युम् चुमुरिम् धुनिम् च सवन्पेन अभ्युप्य आ जघन्य दभीति प्रभावः। रम्भीचित् अत्र हिरण्यम् विवेदे। इन्द्र सोमस्य मदे ताः चकार।

नूनं सा ते प्रति वरं जरिगे दहीयदिन्द्र दक्षिणा मधोनी।
शिक्षा स्तोतृभ्यो माति घग्भगो नो बृहद्वदेम विदथे सुवीराः॥10॥

– पंडित कमलेश शास्त्री

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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