UPSC Controversy 2024: यूपीएससी के लिए पात्रता, भर्ती प्रक्रिया और लेटरल एंट्री पर विवाद
UPSC Controversy 2024: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत में केंद्रीय सेवाओं और विभिन्न राज्य सेवाओं के लिए अधिकारियों की भर्ती का सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है। यह संगठन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के अधिकारियों के चयन के लिए आयोजित परीक्षा का संचालन करता है। UPSC का उद्देश्य केवल योग्य और कुशल व्यक्तियों का चयन करना है जो देश की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए पात्रता
UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के लिए पात्रता मानदंड
1. राष्ट्रीयता:
- IAS, IPS और IFS के लिए उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- अन्य सेवाओं के लिए, भारत के नागरिक, नेपाल के नागरिक, भूटान के नागरिक, या तिब्बती शरणार्थी जो 1 जनवरी 1962 से पहले भारत में बसे हों, पात्र हो सकते हैं।
2. आयु सीमा:
- सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 32 वर्ष होनी चाहिए।
- अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) उम्मीदवारों को 5 वर्ष की छूट दी जाती है।
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को 3 वर्ष की छूट दी जाती है।
3. शैक्षणिक योग्यता:
- उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त होनी चाहिए।
- जो उम्मीदवार स्नातक के अंतिम वर्ष में हैं, वे भी प्रारंभिक परीक्षा में बैठ सकते हैं, लेकिन उन्हें मुख्य परीक्षा से पहले स्नातक की डिग्री प्रस्तुत करनी होगी।
4. परीक्षा प्रयासों की सीमा:
- सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार 6 बार परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
- OBC उम्मीदवारों के लिए 9 प्रयासों की सीमा है।
- SC/ST उम्मीदवारों के लिए प्रयासों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है।
UPSC परीक्षा की प्रक्रिया
UPSC सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination):
- यह दो वस्तुनिष्ठ प्रकार (Objective Type) के पेपरों से मिलकर बनता है: सामान्य अध्ययन (General Studies) और CSAT (Civil Services Aptitude Test)।
- प्रत्येक पेपर 200 अंकों का होता है और इसमें नकारात्मक अंकन (Negative Marking) भी होता है।
2. मुख्य परीक्षा (Main Examination):
- यह परीक्षा विस्तृत (Descriptive Type) होती है और इसमें 9 पेपर होते हैं। इनमें से 7 पेपरों को मेरिट सूची में शामिल किया जाता है।
- यह पेपर 250 अंकों के होते हैं और इसमें निबंध, सामान्य अध्ययन, और वैकल्पिक विषय शामिल होते हैं।
- भाषा के पेपर भी होते हैं, जिनमें अंग्रेजी और भारतीय भाषा शामिल होती है, लेकिन इनकी गिनती अंतिम मेरिट में नहीं की जाती।
3. साक्षात्कार (Interview):
- मुख्य परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।
- साक्षात्कार का उद्देश्य उम्मीदवार की व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना होता है, जिसमें उनके सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, नेतृत्व क्षमता, और सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशीलता शामिल होती है।
- साक्षात्कार 275 अंकों का होता है।
लेटरल एंट्री (Lateral Entry) और विवाद
हाल के वर्षों में UPSC भर्ती प्रक्रिया में एक नया आयाम जुड़ा है जिसे “लेटरल एंट्री” कहा जाता है। यह प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा विशेषज्ञता और अनुभव के साथ पेशेवरों को सीधे प्रशासनिक पदों पर नियुक्त करने के लिए लागू की गई है।
1. लेटरल एंट्री क्या है?
- लेटरल एंट्री का अर्थ है कि निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, शिक्षाविदों, और अन्य गैर-सरकारी क्षेत्रों से अनुभवी पेशेवरों को केंद्रीय सरकार के उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता है।
- यह प्रक्रिया सरकार के द्वारा तय की गई आवश्यकताओं और विशेषज्ञता के आधार पर की जाती है, जिसमें UPSC भी अपनी भूमिका निभाता है।
2. लेटरल एंट्री का उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य प्रशासनिक सेवाओं में नए दृष्टिकोण, विशेष ज्ञान, और अनुभव का समावेश करना है। यह माना जाता है कि ऐसे पेशेवर सरकारी नीतियों और परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायक हो सकते हैं।
- इस प्रक्रिया से सरकार को विशेषज्ञता की कमी को पूरा करने और परियोजनाओं को तेजी से और कुशलता से कार्यान्वित करने में सहायता मिल सकती है।
3. लेटरल एंट्री के लाभ:
- विशेषज्ञता और अनुभव: विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में अनुभवी पेशेवरों की भर्ती से उन क्षेत्रों में प्रशासनिक क्षमता में सुधार होता है।
- सरकारी योजनाओं में नवाचार: नए विचार और दृष्टिकोण सरकारी योजनाओं में नवाचार ला सकते हैं।
- पारदर्शिता: सही और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से विशेषज्ञों की भर्ती से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता आ सकती है।
4. लेटरल एंट्री के खिलाफ विवाद:
- भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का खतरा: आलोचकों का कहना है कि यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी हो सकती है।
- नौकरशाही में हस्तक्षेप: यह तर्क दिया जाता है कि लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती किए गए पेशेवरों का प्रशासनिक सेवाओं में लम्बे समय से काम कर रहे अधिकारियों के साथ सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो सकता है, जिससे कार्य में बाधा आ सकती है।
- नियमित अधिकारियों की भूमिका कम होना: कुछ लोग इसे नियमित अधिकारियों की भूमिका को कम करने के रूप में देखते हैं, क्योंकि बाहर से आए पेशेवर बिना UPSC की कठोर परीक्षा प्रक्रिया के उच्च पदों पर नियुक्त होते हैं।
- नवाचार और नए दृष्टिकोण का विरोध: नौकरशाही में कई लोग परंपरागत दृष्टिकोण के समर्थक होते हैं और वे लेटरल एंट्री के माध्यम से आए नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने में हिचकिचाते हैं।
5. सरकार का पक्ष:
- सरकार का कहना है कि लेटरल एंट्री प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे सरकारी तंत्र में नवीनता, दक्षता और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- सरकार का यह भी मानना है कि विशेषज्ञता और अनुभव की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में बाहरी पेशेवरों की नियुक्ति से नीतियों का बेहतर कार्यान्वयन हो सकता है।
UPSC परीक्षा भारतीय प्रशासनिक तंत्र का आधार है, जो योग्य और कुशल अधिकारियों की भर्ती करता है। वहीं, लेटरल एंट्री एक नई पहल है जो प्रशासनिक सेवाओं में नए विचारों और विशेषज्ञता का समावेश करने की कोशिश है। हालांकि, लेटरल एंट्री को लेकर विवाद हैं और इसके विभिन्न पक्ष हैं।
एक ओर यह प्रशासनिक सेवाओं में विशेषज्ञता और नवाचार ला सकता है, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक नौकरशाही इसे अपने लिए खतरे के रूप में देखती है। लेटरल एंट्री का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन तभी संभव है जब इसे पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाए, जिससे न केवल सरकार को बल्कि देश के नागरिकों को भी इसका लाभ मिल सके।
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