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साधु और भालू की दोस्ती की अनोखी कहानी: 7 भालुओं ने की बाबा से फ्रेंडशिप, खाना खिलाकर करते हैं दुलार, जानिए अनूपपुर और शहडोल कनेक्शन ?

Unique story of friendship between Sadhu and bear: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में एक साधु सीताराम और भालुओं की अनोखी दोस्ती की चर्चा अब दूर-दूर तक हो रही है। साधु सीताराम वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से भरतपुर पहुंचे थे। यहां उनकी दोस्ती एक भालू से हुई।

साधु सीताराम के मुताबिक उन्होंने भालू का नाम “राम” रखा। धीरे-धीरे भालू का कुनबा बढ़ता गया। आज इस परिवार में 7 भालू हैं। भालुओं का यह कुनबा हर रोज साधु सीताराम के पास आता है। साधु भालुओं को खाना भी खिलाते हैं और दुलार कर वापस भेज देते हैं।

साधु सीताराम ने भालुओं के नाम रखे

साधु ने भालू परिवार के सदस्यों का हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार नामकरण किया है। जिसमें उन्हें लल्ली, मुन्नू, चुन्नू, गुल्लू, सोनू, मोनू और सत्तानंद नाम दिए गए हैं। साधु सीताराम का कहना है कि भालू कुटिया में आने वाले श्रद्धालुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते।

राजा माड़ा की गुफा

सारे भालू एक गुफा में रहते हैं। इस गुफा का नाम राजा माड़ा है। इस गुफा की लंबाई 200 मीटर है। गांव वालों का कहना है कि इस गुफा में चार कमरे हैं। यह गुफा कभी भरतपुर के राजा का विश्राम स्थल हुआ करती थी। राजा इस गुफा का इस्तेमाल युद्ध के दौरान या कभी-कभी सुरक्षित स्थान के रूप में करते थे। अब ये भालू भी इसी गुफा में रहते हैं।

भालुओं से बाबा का अनोखा प्रेम

भरतपुर में साधु सीताराम की भालुओं से दोस्ती भी लोगों को हैरान करती है। यह धार्मिक आस्था का प्रतीक भी बन गया है। साधु का कहना है कि दुनिया में उनका कोई नहीं है। परिवार में कोई नहीं है। उन्होंने अपना जीवन जंगल में बिताया, जिसके चलते उनकी भालुओं से दोस्ती हो गई और अब यही उनका परिवार है।

साधु और भालुओं की दोस्ती देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं

यहां के लोगों के मुताबिक, राजामाड़ा के साथ-साथ भालू और साधु की दोस्ती ने लोगों में एक नई आस्था को जन्म दिया है। इस अद्भुत दोस्ती को देखने के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के अनूपपुर, शहडोल, सीधी समेत दूर-दूर से लोग आते हैं।

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