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CG Congress में 2 कार्यकारी अध्यक्ष का फॉर्मूला: जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधने की सियासी रणनीति; जानिए नए चीफ के साथ किन नामों पर मंथन ?

Two Executive Presidents In Chhattisgarh Congress New Political Strategy: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। लगातार चुनावी हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा तेज हो गई है। इसके साथ ही नए मुखिया के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष के फॉर्मूले पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

Two Executive Presidents In Chhattisgarh Congress New Political Strategy: नए अध्यक्ष की घोषणा के साथ ही दो कार्यकारी अध्यक्षों की भी घोषणा हो सकती है। चर्चा यह भी है कि अगर टीएस सिंहदेव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो दो कार्यकारी अध्यक्षों में से एक आदिवासी समुदाय से और दूसरा ओबीसी वर्ग से हो सकता है।

और जो नाम चर्चा में हैं

2 कार्यकारी अध्यक्षों के लिए मुख्य रूप से 4 नाम आगे हैं। इनके अलावा आदिवासी वर्ग से इंद्र शाह मंडावी, लखेश्वर बघेल और अमरजीत भगत का नाम भी शामिल है। वहीं ओबीसी वर्ग से रामकुमार यादव के नाम पर भी चर्चा हो रही है।

Two Executive Presidents In Chhattisgarh Congress New Political Strategy: मंत्री शिव डहरिया की सक्रियता भी इस बात का संकेत दे रही है कि वे किसी महत्वपूर्ण भूमिका में आ सकते हैं। वे एससी समीकरण में फिट बैठ सकते हैं।

2 कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर क्यों हो रहा विचार?

अगर टीएस सिंहदेव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो दो कार्यकारी अध्यक्षों का फॉर्मूला लागू होने की संभावना बढ़ जाती है। टीएस सिंहदेव सवर्ण समुदाय से आते हैं, इसलिए कांग्रेस आलाकमान को जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों पर गंभीरता से विचार कर संतुलन बनाना होगा।

आदिवासी नेतृत्व पर क्यों फोकस?

फिलहाल दीपक बैज पीसीसी चीफ हैं। वे आदिवासी वर्ग से आते हैं, उनके हटने के बाद कांग्रेस को आदिवासी वर्ग में संतुलन बनाना होगा, ताकि विरोध न हो। ऐसे में कार्यकारी अध्यक्ष पद पर किसी मजबूत आदिवासी नेता को देखा जा सकता है।

ओबीसी समुदाय को महत्व क्यों?

ओबीसी समुदाय भी राज्य में बड़ा वोट बैंक है। अगर कांग्रेस को सत्ता में वापसी करनी है तो इस वर्ग को भी मजबूत प्रतिनिधित्व देना जरूरी होगा। कार्यकारी अध्यक्ष के दूसरे पद पर ओबीसी नेता की नियुक्ति से कांग्रेस को राजनीतिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

क्षेत्रीय संतुलन पर भी नजर

टीएस सिंहदेव सरगुजा क्षेत्र से आते हैं, इसलिए कार्यकारी अध्यक्षों के चयन में बस्तर और मैदानी इलाकों को भी ध्यान में रखना होगा। अगर बस्तर से आदिवासी कार्यकारी अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैदानी इलाकों से ओबीसी चेहरा लिया जा सकता है। इस फॉर्मूले से कांग्रेस सभी प्रमुख क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

अध्यक्ष पद की दौड़ में टीएस सिंहदेव आगे

Two Executive Presidents In Chhattisgarh Congress New Political Strategy: प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का नाम सबसे प्रमुखता से उभर रहा है। अंबिकापुर से लेकर दिल्ली तक उनके नाम पर मुहर लगने की अटकलें तेज हो गई हैं।

हालांकि, आदिवासी वर्ग से न होने जैसे कई फैक्टर उनके खिलाफ हैं। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने भी कहा है कि, अगर आदिवासी नेता से प्रदेश अध्यक्ष का पद छीना जाता है, तो कम से कम कार्यकारी अध्यक्ष पद पर किसी आदिवासी नेता को मौका दिया जाना चाहिए।

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