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अंधेरे में शिक्षा: स्कूलों में बिजली आई नहीं, करा दिया तीन करोड़ का भुगतान, कार्यपालन अभियंता सहित छह पर FIR

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बच्चों के हिस्से की रोशनी का भी अफसरों ने गबन कर लिया। जिले के एक हजार से अधिक स्कूलों में विद्युतीकरण होना था। वहां बिजली तो नहीं पहुंची, लेकिन अफसरों ने फर्जी बिल के जरिए तीन करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करा दिया। मामले में ठेकेदार से लेकर अफसरों तक की मिलीभगत सामने आई, लेकिन पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की। अब कोर्ट के आदेश पर करीब 10 साल बाद अफसरों और ठेका कंपनी पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। 

30 हजार रुपये प्रति स्कूल का मिला था ठेका
दरअसल्र, सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत राजीव गांधी मिशन से साल 2011-12 और 2012-13 में जिले के 1005 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में विद्युतीकरण का काम होना था। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के विद्युत/यांत्रिकी विभाग को जिम्मेदारी दी गई। विभाग की ओर से ठेका गणपति कंस्ट्रक्शन को मिला था। प्रत्येक स्कूल के लिए 30 हजार रुपये तय किए गए थे। ठेकेदार की ओर से काम पूरा करने की बात कहते हुए बिल-वाउचर्स लगाए गए और भुगतान उठा लिया गया। 

जांच में पता चला काम हुआ ही नहीं
इसको लेकर अधिवक्ता डीके सोनी ने सरगुजा कलेक्टर से शिकायत की और बताया कि काम हुआ ही नहीं है। इस शिकायत पर कमिश्नर से आदेश से जांच टीम का गठन किया गया। टीम ने मई 2015 को जांच पूरी कर अपना प्रतिवेदन लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया। इसके बताया गया कि टीम ने 120 स्कूलों का निरीक्षण किया। वहां पदस्थ प्रधानपाठकों के भी बयान दर्ज किए गए। निरीक्षण के दौरान पता चला कि स्कूलों में विद्युतीकरण का कार्य किया ही नहीं गया है। 

अफसरों ने फर्जी मूल्यांकन कर किया भुगतान
प्रतिवेदन में यह भी बताया गया कि स्कूलों में विद्युतीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी के कार्यपालन अभियंता को नोडल एजेंसी बनाया गया था। विभाग की ओर से बताया गया कि कार्य को ठेका कंपनी से पूरा कराया गया और रकम का भुगतान कर दिया गया। इस तरह बिना कार्य के भुगतान किया गया। इसमें विभाग के अधिकारियां ने फर्जी मूल्यांकन कर प्रमाणपत्र देने के साथ  ठेका कंपनी को भुगतान करते हुए शासकीय राशि का गबन किया है। 

कोर्ट के आदेश पर कार्यपालन अभियंता सहित छह पर एफआईआर
जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर अधिवक्ता डीके सोनी ने आरटीआई के तहत दस्तावेज निकलवाए और थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन किया। इसके बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इस पर अधिवक्ता ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद पेश किया। कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को कार्यपालन अभियंता एचएल शर्मा, सब इंजीनियर रीता सेन, रुपाली सिन्हा, सीमा साहू, ठेकेदार गणपति कंट्रकशन और निशिकांत त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। 

विस्तार

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बच्चों के हिस्से की रोशनी का भी अफसरों ने गबन कर लिया। जिले के एक हजार से अधिक स्कूलों में विद्युतीकरण होना था। वहां बिजली तो नहीं पहुंची, लेकिन अफसरों ने फर्जी बिल के जरिए तीन करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करा दिया। मामले में ठेकेदार से लेकर अफसरों तक की मिलीभगत सामने आई, लेकिन पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की। अब कोर्ट के आदेश पर करीब 10 साल बाद अफसरों और ठेका कंपनी पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। 

30 हजार रुपये प्रति स्कूल का मिला था ठेका

दरअसल्र, सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत राजीव गांधी मिशन से साल 2011-12 और 2012-13 में जिले के 1005 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में विद्युतीकरण का काम होना था। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के विद्युत/यांत्रिकी विभाग को जिम्मेदारी दी गई। विभाग की ओर से ठेका गणपति कंस्ट्रक्शन को मिला था। प्रत्येक स्कूल के लिए 30 हजार रुपये तय किए गए थे। ठेकेदार की ओर से काम पूरा करने की बात कहते हुए बिल-वाउचर्स लगाए गए और भुगतान उठा लिया गया। 

जांच में पता चला काम हुआ ही नहीं

इसको लेकर अधिवक्ता डीके सोनी ने सरगुजा कलेक्टर से शिकायत की और बताया कि काम हुआ ही नहीं है। इस शिकायत पर कमिश्नर से आदेश से जांच टीम का गठन किया गया। टीम ने मई 2015 को जांच पूरी कर अपना प्रतिवेदन लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया। इसके बताया गया कि टीम ने 120 स्कूलों का निरीक्षण किया। वहां पदस्थ प्रधानपाठकों के भी बयान दर्ज किए गए। निरीक्षण के दौरान पता चला कि स्कूलों में विद्युतीकरण का कार्य किया ही नहीं गया है। 

अफसरों ने फर्जी मूल्यांकन कर किया भुगतान

प्रतिवेदन में यह भी बताया गया कि स्कूलों में विद्युतीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी के कार्यपालन अभियंता को नोडल एजेंसी बनाया गया था। विभाग की ओर से बताया गया कि कार्य को ठेका कंपनी से पूरा कराया गया और रकम का भुगतान कर दिया गया। इस तरह बिना कार्य के भुगतान किया गया। इसमें विभाग के अधिकारियां ने फर्जी मूल्यांकन कर प्रमाणपत्र देने के साथ  ठेका कंपनी को भुगतान करते हुए शासकीय राशि का गबन किया है। 

कोर्ट के आदेश पर कार्यपालन अभियंता सहित छह पर एफआईआर

जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर अधिवक्ता डीके सोनी ने आरटीआई के तहत दस्तावेज निकलवाए और थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन किया। इसके बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इस पर अधिवक्ता ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद पेश किया। कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को कार्यपालन अभियंता एचएल शर्मा, सब इंजीनियर रीता सेन, रुपाली सिन्हा, सीमा साहू, ठेकेदार गणपति कंट्रकशन और निशिकांत त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। 

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