The tenure of Mayor and Chairman ends in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के 14 नगर निगमों में से 10 के महापौर और अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया है। इसको लेकर 10 नगर निगमों में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं। नगरीय प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। अब शहर की सरकार अलग-अलग जिलों के कलेक्टरों के हाथ में होगी। वे कामकाज देखेंगे और फैसले लेंगे।
जारी अधिसूचना के मुताबिक रायपुर नगर निगम के प्रशासक रायपुर के कलेक्टर होंगे। इसी तरह नगर निगम राजनांदगांव, बस्तर, बिलासपुर, धमतरी, दुर्ग, रायगढ़, मनेंद्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी, अंबिकापुर और कोरबा के लिए कलेक्टरों को प्रशासक बनाया गया है। प्रशासकों की नियुक्ति से अब नगर निगमों में जोन अध्यक्ष, महापौर जैसे पद शक्तिहीन हो जाएंगे।
आगे क्या होगा?
यह व्यवस्था महापौर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद निगमों में प्रतिनिधियों की नियुक्ति करने की है। रायपुर नगर निगम के अध्यक्ष रह चुके प्रमोद दुबे ने दैनिक भास्कर को प्रशासक व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए कहा- जैसे देश या राज्य में सरकार का कार्यकाल खत्म होने पर राज्यपाल या राष्ट्रपति सत्ता संभालते हैं।
प्रमोद दुबे ने कहा कि इसी तरह निगमों में कार्यकाल खत्म होने के बाद कलेक्टर या वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती है। दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी प्रशासक नियुक्त किए गए हैं।
रायपुर में ये अधिकारी रह चुके हैं प्रशासक
प्रमोद दुबे ने कहा कि रायपुर में गणेश शंकर मिश्रा, अजय नाथ जैसे अधिकारी प्रशासक की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। अब ऐसा होगा कि जनप्रतिनिधि नगर निगम से जुड़े किसी भी मामले में फैसले नहीं ले पाएंगे। यह जिम्मेदारी अब प्रशासक के पास होगी।
जोन अध्यक्षों के अधिकार अब नगर निगम आयुक्त के पास होंगे। महापौर स्तर के फैसले लेने के अधिकार प्रशासक के पास होंगे, जो अभी रायपुर या अन्य जिलों के कलेक्टर हैं।
नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी कितना खर्च कर सकते हैं?
नगरीय निकाय चुनाव के लिए महापौर और अध्यक्षों की खर्च सीमा तय कर दी गई है। 5 लाख या उससे अधिक आबादी वाले नगर निगमों में महापौर प्रत्याशी 25 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे, 3-5 लाख की आबादी वाले नगर निगमों के लिए यह सीमा 20 लाख रुपए और 3 लाख से अधिक आबादी वाले निगम 10 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे।
वहीं 50 लाख से अधिक आबादी वाले नगर पालिका अध्यक्ष अधिकतम 10 लाख रुपए और 50 हजार से कम आबादी वाले नगर पालिका अध्यक्ष अधिकतम 8 लाख रुपए खर्च कर सकेंगे। इसके अलावा नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए खर्च सीमा 6 लाख रुपए है। छत्तीसगढ़ राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है।
इस बार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष होगा
अब नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होगा। यानी पार्षद के साथ-साथ जनता भी महापौर और अध्यक्ष के लिए वोट करेगी। कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। 2018 में राज्य में कांग्रेस सरकार आने के बाद नियम में बदलाव किया गया। इसमें पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दिया गया। हालांकि भूपेश के कार्यकाल से पहले भी पार्षदों के साथ ही जनता भी महापौर चुनती थी।
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