मध्यप्रदेश

Teachers Day: बैतूल की शिक्षिका बच्चों को रोजाना खुद की गाड़ी से लाती हैं स्कूल, स्कूटर वाली मैडम कहते हैं लोग

मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में कई शासकीय स्कूल संचालित हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने के साधन न होने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। बैतूल के आदिवासी अंचल के दुर्गम क्षेत्रों में भी स्कूली बच्चों को कुछ ऐसे ही हालातों से जूझना पड़ रहा था, रास्ते की कठिनाइयों के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे और उनकी शिक्षा का नुकसान हो रहा था। बैतूल का एक स्कूल छात्रों की घटती संख्या के चलते बंद होने की कगार पर पहुंच गया था, लेकिन इस स्कूल की शिक्षिका ने एक अनोखा तरीका निकाला और छात्रों की घटती संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी। आज बैतूल जिले की शिक्षिका अरुणा महाले को उनके प्रयासों के चलते लोग ‘स्कूटर वाली मैडम’ के नाम से जानते हैं। आइए आज आपको उनके मैडम से स्कूटर वाली मैडम बनने की दास्तां सुनाते हैं।

छात्रों को अपने स्कूटर पर ले जाती हैं स्कूल

अरुणा महाले बैतूल जिले में भैंसदेही विकासखंड के ग्राम धूड़िया में पदस्थ हैं। ये स्कूल दुर्गम इलाके में होने के चलते बच्चों को यहां तक पहुंचने में परेशानी होती है। इसी वजह सात साल पहले स्कूल में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही थी और सिर्फ 10 छात्र बचे थे। स्कूल बंद होने की कगार पर था। शिक्षिका होने के चलते अरुणा भी इस परिस्थिति से चिंतित थी, लिहाजा उन्होंने खुद कोई रास्ता निकालने के बारे में सोचा। अरुणा ने स्कूल के छात्रों को स्वयं अपने स्कूटर से लाने ले जाने का निर्णय लिया। अब अरुणा हर दिन करीब 17 बच्चों को खुद स्कूल लेकर जाती हैं और छुट्टी होने के बाद उन्हें घर पर छोड़ती हैं। अरुणा की इस अनोखी पहल के चलते ही लोग उन्हें ‘स्कूटर वाली मैडम’ के नाम से जानते हैं। पूरे मध्यप्रदेश में वह इसी नाम से जानी जाती हैं। वहीं, जो स्कूल सात साल पहले बंद होने की कगार पर था, आज वहां छात्रों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है।

 

सारा खर्च खुद वहन करती हैं

अरुणा महाले की कोई संतान नहीं है। वह अपने छात्रों को ही अपनी संतान मानती हैं। बच्चों को गाड़ी से लाने ले जाने में जो भी पैसा खर्च होता है उसे अरुणा स्वयं वहन करती हैं। गांव के मजरे टोले और हर हिस्से से वह बच्चों को स्कूल लेकर जाती हैं ताकि उनका भविष्य संवार सकें। अरुणा की इस पहल की गांव वाले भी खुले दिल से सराहना करते हैं और उनकी हर संभव मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

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