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Pravasi Bharatiya sammelan:घर में रुके, बढ़ गई इतनी आत्मीयता कि बन गए बिजनेस पाटर्नर

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प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 100 से ज्यादा मेहमान इंदौरवासियों के घरों मेें भी रुके। तीन दिनों में इतनी आवभगत हुई कि अब जिंदगीभर मेहमान और मेजबान एक दूसरे को शायद ही भूल पाएंगे। माॅरिशस से  आए संजय रियाक भंवरकुआं क्षेत्र के पाटीदार परिवार के यहां रुके। संजय एग्रो इंडस्ट्री से जुड़े हैै। तीन दिन मेें परिवार से उनकी इतनी आत्मीयता हो गई कि पाटीदार परिवार के मयंक और संजय अब बिजनेस पाटर्नर बन रहे है। संजय ने बताया कि वे मयंक के साथ चावल का आयात-निर्यात का बिजनेस करेंगे। इसके लिए जल्दी ही इंदौर में एक छोटा सा कार्यालय भी खोलेंगे। संजय ने बताया कि तीन दिन तक परिवार ने उनकी खातिरदारी में कोई कसर बाकी नहीं रखी। होटल में रुकता तो शायद इस तरह का माहौल नहीं होता। परिवार इतना अच्छा मिला कि अब मेरी  उनसे व्यापारिक रिश्ते भी बन रहे है। 

होटल का रुम कैंसल कर घर में रुके

न्यूजीलैंड से इंदौर आई सुमन कपूर ने भी एक घर में स्टे किया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन मेें घर में रुकवाने की पंरपरा यादगार रहेेगी। पहले मन में डर था कि जिस परिवार के यहां रुकेंगे, पता नहीं वहां सुविधाएं ठीक होगी या नहीं, लेकिन जिस तरह मेरी आव भगत की गई तो मैने अपने दोस्तों से भी कहा कि बहुत अच्छा फैसला था मेरा घर में रुकने का। घर के खाने का स्वाद और परिवार का स्नेह कभी भूल नहीं सकती। इसके बाद दो दोस्तों ने भी होटल के रुम कैंसल कर घरों में रुकने का फैसला लिया।

विदाई ली, मिला उपहार

आईडीए ने घरों में मेहमानों को रुकवाने की जिम्मेदारी ली थी। आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने कहा कि कुछ मेहमानों ने मंगलवार को विदाई ली। उन्होंने घरों में रुकवाने के लिए मेजबानों ने उपहार दिए। इसके अलावा आईडीए की तरफ से भी गीता और रामायण की किताब दी गई।

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प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 100 से ज्यादा मेहमान इंदौरवासियों के घरों मेें भी रुके। तीन दिनों में इतनी आवभगत हुई कि अब जिंदगीभर मेहमान और मेजबान एक दूसरे को शायद ही भूल पाएंगे। माॅरिशस से  आए संजय रियाक भंवरकुआं क्षेत्र के पाटीदार परिवार के यहां रुके। संजय एग्रो इंडस्ट्री से जुड़े हैै। तीन दिन मेें परिवार से उनकी इतनी आत्मीयता हो गई कि पाटीदार परिवार के मयंक और संजय अब बिजनेस पाटर्नर बन रहे है। संजय ने बताया कि वे मयंक के साथ चावल का आयात-निर्यात का बिजनेस करेंगे। इसके लिए जल्दी ही इंदौर में एक छोटा सा कार्यालय भी खोलेंगे। संजय ने बताया कि तीन दिन तक परिवार ने उनकी खातिरदारी में कोई कसर बाकी नहीं रखी। होटल में रुकता तो शायद इस तरह का माहौल नहीं होता। परिवार इतना अच्छा मिला कि अब मेरी  उनसे व्यापारिक रिश्ते भी बन रहे है। 

होटल का रुम कैंसल कर घर में रुके

न्यूजीलैंड से इंदौर आई सुमन कपूर ने भी एक घर में स्टे किया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन मेें घर में रुकवाने की पंरपरा यादगार रहेेगी। पहले मन में डर था कि जिस परिवार के यहां रुकेंगे, पता नहीं वहां सुविधाएं ठीक होगी या नहीं, लेकिन जिस तरह मेरी आव भगत की गई तो मैने अपने दोस्तों से भी कहा कि बहुत अच्छा फैसला था मेरा घर में रुकने का। घर के खाने का स्वाद और परिवार का स्नेह कभी भूल नहीं सकती। इसके बाद दो दोस्तों ने भी होटल के रुम कैंसल कर घरों में रुकने का फैसला लिया।

विदाई ली, मिला उपहार

आईडीए ने घरों में मेहमानों को रुकवाने की जिम्मेदारी ली थी। आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने कहा कि कुछ मेहमानों ने मंगलवार को विदाई ली। उन्होंने घरों में रुकवाने के लिए मेजबानों ने उपहार दिए। इसके अलावा आईडीए की तरफ से भी गीता और रामायण की किताब दी गई।

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