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मंदिर की खुदाई में नहीं निकली नींव, वैज्ञानिक भी हैरान, मान्यता- हवा में उडक़र आया

हमारे देश में मंदिरों के कहानी किस्से हमेशा से रोमांचित करते रहे हैं। समय समय पर हमने इनके वैज्ञानिक आधार तलाशने के प्रयास भी किए हैं लेकिन कई मंदिर अपने इतिहास से सदा के लिए आश्चर्य का केंद्र बने हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर है इंदौर के पास बनेडिय़ा गांव में स्थित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बनेडिया जी। यह जैनियों के प्रमुख तीर्थस्थल में शामिल है। 

खुदाई के बाद चौंके लोग 

इस मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा की वजह से दुनियाभर के श्रद्धालु यहां पर दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर यहां प्रकट हुआ है इसे बनवाया नहीं गया। यह बात इसे बेहद चमत्कारी बनाती है। इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की मौजूदगी में जब इस बात की सच्चाई जानने के लिए मंदिर की खुदाई करवाई गई तो लोग चौंक गए। खुदाई के बाद कहीं भी पक्की नींव नहीं निकली। बिना किसी ठोस नींव के इतने बड़े मंदिर की स्थापना को देखकर इंजीनियर और वैज्ञानिक भी चौंक गए। यह एक अष्टकोणी भव्य मंदिर है जिसमें एक भी खंभा नहीं है और मंदिर की दीवारें 6 से 8 फीट चौड़ी हैं। 



चौथे काल की प्राचीन पाषाण प्रतिमाएं 

मंदिर के निकट रहने वाले जैन समुदाय के लोग बताते हैं कि यह मंदिर यहां पर बनाया नहीं गया था। यहीं पर रहने वाले संजय जैन छह पीढिय़ों से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं। वे कहते हैं हमारे पूर्वजों ने बताया कि एक तपस्वी मुनिराज इस मंदिर को लेकर कहीं जा रहे थे, किसी कारणवश उन्होंने मंदिर को यहां पर रखा और तपस्या करने लगे। तपस्या करते करते शाम हो गई तो मंदिर यहीं पर स्थापित हो गया। तभी से यह मंदिर यहां पर है। मंदिर में भगवान अजीतनाथजी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा मणिभद्र बाबा का क्षेत्रकाल भी यहां पर है। यहां सफेद पाषाण की कई प्राचीन मूर्तियां भी हैं जिन पर 1248 संवत विक्रम का समय लिखित में अंकित है। यब मूर्तियां चौथे काल की बताई जाती हैं।


पूर्णिमा को लगता है मेला

गंगवाल परिवार मंदिर की व्यवस्था संभालता है। परिवार के अनिल गंगवाल ने बताया कि यहां पर पूर्णिमा को विशेष पूजा होती है और मेला लगता है जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह भारत का एकमात्र अतिशय क्षेत्र है जिसकी नींव नहीं है। पुजारी ने बताया कि पूर्णिमा को पूजा में शामिल होने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसी मान्यता के चलते कई श्रद्धालु लगातार 7, 8 या 15 पूर्णिमा तक यहां आते हैं।

तालाब और सुंदर प्राकृतिक दृश्य

मंदिर के आसपास बहुत सुंदर प्राकृतिक दृश्य हैं। यहां पर प्राचीन मंदिर के पास एक बड़ा तालाब भी है। मुख्य मंदिर गोलाकार है जिसमें भगवान अजीतनाथजी की लगभग 4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। इस मूर्ति के अलावा भी मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां मौजूद हैं। जिनमें भगवान आदिनाथ, चंदप्रभु, पार्श्वनाथ और शांतिनाथ जी की मूर्तियां शामिल हैं। मूल प्राचीन मंदिर को श्रद्धालुओं ने भव्य मंदिर का रूप दे दिया है।


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