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MP में फीस की ‘फांस’: फीस वसूली पर असमंजस में शिवराज सरकार, स्कूल नहीं दे रहे जानकारी, SC से मोहलत की दरकार…

भोपाल। MP School Fees: प्राइवेट स्कूलों में फीस वसूली को लेकर निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court ) और राज्य सरकार की कोई भी दलील मानने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि कोर्ट के निर्देशों के बावजूद निजी स्कूल संचालक छात्रों से वसूली जाने वाली फीस को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को तैयार नहीं हैं. इस स्थिति से परेशान राज्य सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से 6 हफ्ते की मोहलत मांगी है.

प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूल संचालकों ने विभिन्न मदों की फीस ट्यूशन फीस (Tution Fees) में जोड़ दी थी. इससे पहले सरकार ने कोरोना काल के बाद से स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की इजाजत दी थी. लेकिन स्कूल संचालकों ने (MP School Fees) मनमानी करते हुए सबकुछ ट्यूशन फीस में जोड़ दिया. जिसका बोझ अभिभावकों पर आया. प्रदेश भर के अभिभावकों द्वारा गठित जागृत पालक संघ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को दो सप्ताह में स्कूलों से फीस के मदों की जानकारी लेकर वेबसाइट पर डालने के आदेश दिए थे. लेकिन प्रदेश सरकार ऐसा करने में फिलहाल असमर्थ है.

प्रदेश सरकार ने (MP School Fees) अब सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए 6 सप्ताह यानि लगभग डेढ़ माह का समय मांगा है. राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में 50 हजार से अधिक स्कूल हैं . पहली बार इस तरह का डाटा लिया जा रहा है. इसमें समय लगेगा. अब तक 1307 स्कूलों से ही जानकारी मिलने की बात कही गई है.

ट्यूशन फीस के नाम पर स्कूल संचालकों द्वारा पूरी फीस वसूलने (MP School Fees) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में इंदौर के जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडव्होकेट चंचल गुप्ता और सचिव सचिन माहेश्वरी व अन्य सदस्य सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पालकों को राहत देते हुए कहा था कि किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है तो (MP School Fees) वो जिला समिति के सामने शिकायत करेगा.

समिति को चार सप्ताह में इसका निराकरण करना होगा. पूर्व में पालकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं था और अधिकार क्षेत्र नहीं होने का कहकर मामले को टाला जा रहा था. हालांकि 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि निजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस(Tution Fees) ले सकेंगे. अधिकांश स्कूल ट्यूशन फीस की आड़ में पूरी फीस वसूल रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में दायर याचिका में यह मांग भी रखी गई कि प्रशासन शिकायत पर सुनवाई नहीं कर रहा है. इसी दौरान प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी एक याचिका लगाई जिसमें मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने राजस्थान प्रदेश के लिए जो फैसला दिया है उसे ध्यान में रखा जाे. इस फैसले के मुताबिक निजी स्कूल पूरी फीस में से सिर्फ 15 प्रतिशत की कटौती पालको को देंगे. शेष बकाया फीस पालकों (MP School Fees) को देनी होगी.

जागृत पालक संघ ने आपत्ति दर्ज कराते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) से निवेदन किया था कि पिछला सत्र पूरा बीत चुका है. निजी स्कूल एसोसिएशन ने अपनी याचिका में स्वीकार भी किया है कि वो आदेश को स्वीकारते हुए इस अनुसार फीस(MP School Fees) ले चुके हैं .इसलिए इस समय इस तरह की मांग अनुचित है. सुप्रीम कोर्ट तर्कों से सहमत होते हुए स्कूल एसोसिएशन की याचिका निरस्त कर दी. कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्कूलों को यह बताना होगा कि वह पालकों से जो फीस ले रहे हैं वह किस किस मद में ले रहे हैं.

प्रदेश के अन्य स्कूलों की तरह ही इंदौर में भी स्थिति वैसी ही है. (MP School Fees) फिलहाल इंदौर जिले के कुल 3084 स्कूलों में से मात्र 1.88 प्रतिशत यानी केवल 60 स्कूल संचालकों और प्रदेश के कुल 51,283 स्कूलों में से सिर्फ 1307 यानी 2.55 प्रतिशत स्कूलों ने अभी तक शिक्षा विभाग को जानकारी भेजी है

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