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Chhattisgarh: राजनेताओं पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का तंज; बोले- ‘धर्म ग्रंथ बहाना, राजनीति है चमकाना’

रायपुर में रामचरित मानस विवाद पर बोलते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

रायपुर में रामचरित मानस विवाद पर बोलते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

उत्तर प्रदेश में रामचरित मानस की प्रतियां जलाने और मचे बवाल के बीच रायपुर पहुंचे जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब धर्मग्रंथों को लेकर राजनीति हो रही है। लगातार ध्रुवीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। पहले भी मंडल-कमंडल के नाम पर राजनीति की गई है।  अब धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। हिंदू समुदाय में दो भागों में बांटने की साजिश चल रही है। 

उन्होंने कहा कि धर्म ग्रंथ के बारे में बोलने का अधिकार केवल धर्माचार्य को होना चाहिए, राजनीतिज्ञ को नहीं। जब राजनीतिक धर्म ग्रंथ के बारे में बोलता है तो समझ लेना चाहिए कि धर्म ग्रंथ को मुद्दा बनाकर राजनीति की जा रही है। 

मोहन भागवत पर साधा निशाना

वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के जातिगत के बयान पर जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने कोई अनुसंधान किया होगा। उनसे पूछना चाहिए कि किस अनुसंधान के फलस्वरूप ये जानकारी उन्हें मिली है। हम सब यही जानते हैं कि चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गीता में भगवान ने कहा है। वे किस आधार पर ये कह रहे हैं उनकी बात जानने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।

जानें, क्या था बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया था। मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था, हमारी समाज के प्रति भी जिम्मेदारी है। जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था। भागवत ने कहा कि, हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया। 

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