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इस्लामिक देश में कैसे साड़ी की अहमियत समझा रहीं हैं उत्तर प्रदेश-मध्यप्रदेश की महिलाएं?

विदेशों में जब भारतीय लड़कियां और महिलाएं साड़ी में नजर आती हैं तो लोग उनसे प्रभावित होते हैं और भारतीय संस्कृति के महत्व को समझने की कोशिश करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कतर में रह रहीं भारतीय महिलाओं ने ऐसा समूह बनाया है, जो भारतीय संस्कृति और खासकर साड़ी को प्रमोट करता है। हाल ही में इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में इस समूह की सदस्य आईं और अमर उजाला को अपने प्रयासों के बारे में बताया। 

कतर में ‘साड़ी स्पीक’ नाम से ग्रुप सक्रिय है। इसकी संस्थापक सदस्य हैं ज्योति वाधवानी और निवेदिता जैन। ज्योति उत्तर प्रदेश के आगरा और निवेदिता मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली हैं। वे बताती हैं कि विदेशों में भारतीय लड़कियां और महिलाएं वहां के परिवेश के मुताबिक वेस्टर्न ड्रेस पहनना शुरू कर देती हैं, जबकि लोग भारतीय महिलाओं को साड़ी में देखकर बेहद प्रभावित होते हैं। इसी बात का महत्व समझकर हमने कतर में ‘साड़ी स्पीक’ ग्रुप की शुरुआत की और साड़ी का महत्व समझाना शुरू किया। हमारे इवेंट देखकर आज कतर सरकार भी हमें प्रोत्साहित करती है। बड़ी संख्या में वहां की मुस्लिम महिलाएं भी हमारे कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। 

‘विदेशों में भारतीय युवतियों को साड़ी के महत्व बताना चाहते हैं’

ज्योति और निवेदिता कहती हैं कि हमारे कपड़े न सिर्फ हमारी व्यक्तिगत पहचान बनाते हैं, बल्कि हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को भी दर्शाते हैं। साड़ी में न सिर्फ महिलाएं खूबसूरत दिखती हैं, बल्कि यह शरीर के लिए सभी मौसम और परिस्थिति में आरामदायक होती है। हम भारतीय लड़कियों और युवतियों को साड़ी का महत्व समझाते हैं। जब उन्हें इसकी स्टाइल, सुंदरता और महत्व पता चलता है तो वे खुद इसे पहनने लगती हैं।

‘कतर की महिलाओं को बुर्के में करवाया डांडिया’

ज्योति ने बताया कि शुरुआत में जब हमने इवेंट किए तो कतर प्रशासन ने बहुत नजर रखी और यह देखा कि कार्यक्रमों में कहीं कोई अश्लीलता तो नहीं हो रही है या फिर नियम विरुद्ध कोई काम तो नहीं हो रहा है। जब वे बार-बार हमारे इवेंट में आए तो बहुत खुश हुए और हमें प्रोत्साहित करने लगे। अब वहां के स्थानीय लोग बड़ी संख्या में हमारे कार्यक्रमों में आते हैं। वहां की महिलाएं बुर्के में भी हमारे गरबा कार्यक्रमों में शामिल होती हैं और हमारे साथ डांडिया करती हैं। 

‘असम में बाढ़ आई तो साड़ियां मंगवाईं’

ज्योति कहती हैं कि कतर में रहकर भी हम भारतीयों की मदद करने की कोशिश करते हैं। जब असम में बाढ़ आई तो हमने वहां की महिला लघु उद्यमियों से बड़ी संख्या में साड़ियां बुलवाईं। इन साड़ियों को कतर में भारतीयों को तोहफे में दिया गया। इसके पीछे यह उद्देश्य था कि संकट की इस घड़ी में साड़ी उद्योग से जुड़ी महिलाओं की मदद हो सके। 

अमर उजाला पढ़कर बड़े हुए, अब पढ़ते हैं ऑनलाइन अखबार

ज्योति ने बताया मैं खुद आगरा की रहने वाली हूं। बचपन से अमर उजाला पढ़कर बड़ी हुई हूं। ग्रुप में अधिकतर महिलाएं मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की हैं। हम लोग कतर में नियमित रूप से अमर उजाला का ऑनलाइन पेपर पढ़ते हैं।

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