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MP News: चंबल के बेटे की नासा के इंटर्नशिप प्रोगाम में शोध, अब दो घंटे में PSR लौट सकेंगे अंतरिक्ष यात्री

मध्यप्रदेश का चंबल अंचल कभी बागी डाकुओं के लिए जाना जाता था, लेकिन अब इस क्षेत्र के युवा इलाके की पहचान को बदल रहे हैं। हाल ही में चंबल अंचल के प्रतीक त्रिपाठी ने देशभर में अपनी शोध के चलते पूरे मध्यप्रदेश के नाम रोशन किया है। ग्वालियर के युवा प्रतीक त्रिपाठी जो कि वर्तमान में आईआईटी रुड़की में स्कॉलर हैं,  जिनका चयन चंद्रमा के लिए आयोजित कार्यक्रम आर्टेमिस मिशन 3 के लिए किया गया था। प्रतीक ने 10 सप्ताह के सालाना समर इंटर प्रोगाम में यह निष्कर्ष निकाला है कि अंतरिक्ष यात्री दो घंटे की भीतर ही लैंडिंग साइट से परमानेंट शैडो रीजन में लौट सकते हैं। इस प्रोगाम के लिए प्रतीक का चयन 300 स्कॉलर्स में से किया गया था। 

ग्वालियर के बहोड़ापुर में जाधव कॉलोनी मे रहने वाले रविंद्र त्रिपाठी के बेटे प्रतीक त्रिपाठी ने देश का नाम रोशन करते हुए नासा में एक इंटर्नशिप प्रोग्राम का हिस्सा बन ग्वालियर और मध्यप्रदेश का भी नाम रोशन किया है। इस दौरान ना सिर्फ नासा के शोधकर्ताओं के साथ काम किया बल्कि अपने शोध कार्यों में नासा के वैज्ञानिकों का ध्यान भी आकर्षित किया। साथ ही लैंडिंग साइट से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे ढलान, तापमान, रोशनी और पैदल चलने में लगने वाले समय के मानकों का आकलन कर उस पर सभी का ध्यान भी केंद्रित किया।

 

प्रतीक की इस लगन और मेहनत को देखते हुए नासा के वैज्ञानिकों ने प्रतीक के इन मानकों पर विशेष ध्यान दिया। वहीं, इसे आर्टेमिस मिशन तरीका विशेष उद्देश्य भी बनाया। प्रतीक के पिता ने बताया की प्रतीक ने अपना यह कार्य लूनर एंड प्लेनेटरी इंस्टिट्यूट एलपी आई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डेविड क्रीम के मार्गदर्शन में पूरा किया।

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के ब्रांच टॉपर थे प्रतीक 

प्रदीप वर्तमान में ज्योमैट्रिक्स इंजीनियर ग्रुप के रिसर्च सेंटर में स्कॉलर हैं, जो कि प्रोफेसर राहुल देव के अधीन कार्य कर रहे हैं। प्रतीक त्रिपाठी ने 2016 में ग्वालियर के ट्रिपल आईटीएम ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग से ब्रांच में टॉपर के रूप में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। इसरो के संस्थान आईआईआरएस से 2018 में एमटेक की डिग्री प्राप्त की इसके बाद प्रतीक आईआईटी रुड़की में चयनित हो गए। यहीं रहते हुए प्रतीक ने एलपी आई और नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर द्वारा आयोजित इंटर्नशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। जहां 300 से ज्यादा प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए प्रतीक ने नासा की राह पकड़ ली।

 

बचपन में दूरबीन से तारों को देखते थे प्रतीक

प्रतीक की मां उषा त्रिपाठी ने बताया कि प्रतीक को बचपन से ही तारों के बारे में जिज्ञासा रहती थी, वह बचपन में ही घर में एक रखी दूरबीन से तारों को देखता रहता था साथ ही मुझे भी छत पर ले जाकर अपनी किताब में पढ़कर सारे तारे दिखाने की कोशिश करता था। तब मैं कहती थी मुझे खाना बनाना है नहीं समझ आता था कि बचपन में तारे सितारों की बातें करने वाला मेरा बेटा आज उन्हीं पर बड़ी-बड़ी शोध करेगा। 

तीन भाइयों में सबसे छोटा है प्रतीक

प्रतीक के पिता रविंद्र त्रिपाठी ने बताया प्रतीक तीन भाइयों में सबसे छोटा है। बड़ा भाई मुंबई में जॉब करता है। एवं बीच का भाई ग्वालियर में ही बैंक में जॉब करता है। प्रतीक की बचपन से ही सोच अलग थी और आज भी वह सबसे हटकर ही कार्य कर रहा है, जिसके लिए हमारे पूरे परिवार को उस पर बहुत गर्व है। प्रतीक के पिता ने बताया कि वह देश में रहकर ही देश की सेवा करना चाहता है। साथ ही कोशिश रहेगी कि वह नित नई बुलंदियों को छुएं जहां भी उसे जरूरत होगी हम उसके साथ रहेंगे।

 

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