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Madhya Pradesh: भोपाल घोषणा : वित्तपोषण की प्रतिबद्धता पूरी करें विकसित देश

विस्तार

जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने ‘थिंक-20’ के अंतिम दिन मंगलवार को ‘भोपाल घोषणा’ में दक्षिण-दक्षिण सहयोग की वकालत की और विकसित देशों से कहा कि वे विकासशील देशों में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) प्रगति के वित्तपोषण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था।

‘थिंक-20’ का आयोजन विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली, मध्य प्रदेश सरकार, यूनिसेफ और भोपाल में अन्य संगठनों के सहयोग से भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत किया गया था। विषय था ‘वैश्विक शासन, लाइफ  (पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली), मूल्य और भलाई : ढांचे, वित्त और प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देना।’ संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दक्षिण-दक्षिण सहयोग वैश्विक दक्षिण में विकासशील देशों के बीच तकनीकी सहयोग को संदर्भित करता है। घोषणापत्र में कहा गया है, दुनिया कई संकटों- भोजन, ईंधन और महामारी के अशांत समय से गुजर रही है। कोविड के बाद के हालात से उबरने की अवधि अनिश्चित और लंबी हो गई है और एसडीजी में प्रगति उलट गई है और दुनिया के कई देशों में काफी धीमी हो गई है।

जी-20 की भोपाल में हुई बेहतरीन शुरुआत

पूर्व राजदूत एवं रिसर्च एडवाइजरी कॉउंसिल ऑफ आरआईएस (इंडिया) के अध्यक्ष एसटी देवरे ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले विशेष थिंक-20 की भोपाल में बेहतरीन शुरुआत हुई है। मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश इकबाल सिंह बैंस ने कहा कि सफलता वही है, जिसमें आनंद की प्राप्ति होती है। प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कॉन्फ्रेंस रिपोर्ट पेश की। नीदरलैंड के राजदूत मॉर्टिन वेन डेनबर्ग, भारत में विकास निगम के प्रमुख और जर्मन दूतावास में मंत्री उवे गेहलेन, बांग्लादेश के सेंटर फॉर पॉलिसी डॉयलाग की डिस्टिंग्विश्ड फेलो डॉ. देबाप्रिया भट्टाचार्य, थिंक-20 इंडिया की टास्क फोर्स 6 के अध्यक्ष जीए टडास और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव संदीप चक्रवर्ती ने भी संबोधित किया।

विशेषज्ञों की राय : लक्ष्य पूरा करने में भारत का मॉडल ऐतिहासिक  

जी-20 के सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने में स्थानीयकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसमें सरकार, समाज और निजी संगठनों का त्रिकोणीय सहकार आवश्यक है। इसके जरिये हम वैश्विक परिदृश्य बदल सकते हैं। यहां ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में जी-20 के विशेष थिंक-20 कार्यक्रम में ‘सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में त्रिकोणीय सहकार’ सत्र में वक्ताओं ने ये बातें कहीं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड महामारी और यूक्रेन संकट के समाधान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

कोविड काल में अल्पविकसित राष्ट्र हुए अधिक प्रभावित : सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग बांग्लादेश के प्रो. मुस्तफिजूर रहमान ने कहा, ग्लोबल वैल्यू चेन पर दुष्प्रभाव ने वैश्विक व्यापार को जोरदार झटका दिया है। इस दौरान सप्लाई चेन पर पड़े दबाव ने विशेष रूप से अल्प विकसित एवं कम आय वाले देशों को अपना शिकार बनाया।

देशों की परिस्थितियां अलग-अलग, कुशल पर्यावरण प्रणाली स्थापित करने की जरूरत

भोपाल। जी-20 के समानांतर चल रहे थिंक-20 कार्यक्रम के तहत वैश्विक दक्षिण के देशों के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है। मंगलवार को भोपाल में थिंक-20 के अंतिम दिन वैश्विक दक्षिण व जीवन के लिए शासन विषय पर गोलमेज चर्चा की गई। चर्चा की अध्यक्षता कर रहे ऋषिकुल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शोभित माथुर ने कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज है, क्योंकि दक्षिण समस्याएं भारत की प्राथमिकताएं हैं।

उनके साथ चर्चा में शामिल बांग्लादेश के सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग की कार्यकारी निदेशक डॉ. फहमिदा खातून ने कहा कि सभी देशों की परिस्थितियां व आकांक्षाएं अलग-अलग हैं। लिहाजा, एक कुशल पर्यावरण प्रशासन प्रणाली स्थापित करने की जरूरत है, जो स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए सभी भागीदारों के बीच समझौतों को प्रोत्साहित करे। अर्जेंटीना की राष्ट्रीय वैज्ञानिक व तकनीकी शोध परिषद के वरिष्ठ अन्वेषक डॉ. ग्लेडिस लेचनी ने कहा कि पारंपरिक व स्थानीय तरीकों से सतत विकास के तरीके खोजने की जरूरत है। ब्यूरो

जलवायु वित्त हासिल करने के लिए जी-20 अहम मंच

दक्षिण अफ्रीका के पॉलिसी ब्रिज थिंक टैंक की शीर्ष समन्वयक डॉ. पामला गोपॉल ने कहा, अफ्रीका ( जहां दुनिया के 55 देशों की 1.4 अरब आबादी रहती है) की वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में भूमिका महज तीन फीसदी है, लेकिन जलवायु संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में वह भी शामिल है। इस विषमता से जूझने के लिए जरूरी जलवायु वित्त हासिल करने के लिए जी-20 अहम मंच है। भारत को यहां अपनी अध्यक्षता से वैश्विक नैतिकता में अपना मत पुर्नस्थापित करना चाहिए।

 

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