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गरियाबंद में 350 परिवार के 1500 लोगों पर संकट: पीने के पानी के लिए गहराया जल संकट, हैंडपंप से निकल रहा लाल पानी, रिमूवल प्लांट लगाने की मांग

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की पहाड़ियों के ऊपर स्थित आदिवासी बस्तियों ग्राम पंचायत आमामोरा और ओड में 20 से अधिक हैंडपंप हैं। लेकिन इन सभी से लाल और आयरन युक्त पानी निकल रहा है। इसलिए इन स्रोतों के पानी का उपयोग कभी भी पीने के लिए नहीं किया जाता है। 350 परिवारों की 1500 की आबादी झरनों और चट्टानों से रिसते पानी से अपनी प्यास बुझाती है। अब गर्मी आते ही संकट खड़ा हो गया है।

दरअसल, झरिया पंचायत मुख्यालय और उसके 5 आश्रित गांवों में खोदाई की गई है। इसके चलते ग्रामीण बारह महीने पीने के लिए पानी का उपयोग करते हैं। ओड के सरपंच रामसिंह सोरी ने बताया कि वर्तमान में जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल कनेक्शन लगाए गए हैं। पानी की टंकी और पाइप लाइन का काम चल रहा है।

रिमूवल प्लांट लगाने की मांग

इस योजना के तहत पुराने आयरनयुक्त जलस्रोत को जोड़कर हर घर तक पानी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन इस पानी को कोई नहीं पी सकेगा। सरपंच ने कहा कि पहाड़ों पर स्थित गांव के सभी जलस्रोतों में आयरन की मात्रा होने की जानकारी प्रशासन को है। बार-बार रिमूवल प्लांट लगाने की मांग की गई, लेकिन इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया।

बर्तन भी नहीं धोते, नहाने के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर

ग्रामीण भगवान यादव ने बताया कि स्टील के बर्तन में तीन घंटे से अधिक समय तक पानी रखने पर बर्तन लाल हो जाता है। कई पंप के पाइप लोहे के कारण सड़ गये हैं।काले प्लास्टिक की टंकी में भी लोहा अपना निशान छोड़ देता है। साबुन से नहाने पर बाल नहीं धुलते और सिर धोने पर बाल चिपचिपे हो जाते हैं। यहां का पानी किसी काम का नहीं है।

यही हाल आमोरा का भी है। ग्राम पंचायत के विकास मद की दो-तिहाई राशि हर साल झरिया खनन व मरम्मत में खर्च की जाती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है और प्राकृतिक स्रोत सूखते हैं, आधे से अधिक ग्रामीण नियमित स्नान करना बंद कर देते हैं और पानी बचाने में लग जाते हैं।

बिजली आपूर्ति बाधित होने से पानी फिल्टर पर धूल जम रही

दोनों जगहों पर बाल गृह संचालित होते हैं। जहां आस-पास के 7 आश्रित गांवों के 80 बच्चे 6वीं से 8वीं तक पढ़ाई कर रहे हैं. विषम छात्रावास अधीक्षक संतु राम ध्रुव ने बताया कि छात्रावास का सोलर सिस्टम पिछले 6 माह से खराब है। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। बिजली आपूर्ति नहीं होने से वाटर फिल्टर का उपयोग नहीं हो पा रहा है। अधीक्षकों ने बताया कि संस्थान में सोलर पंप तो लगे हैं, लेकिन पीने का पानी प्राकृतिक स्रोतों से लाकर उबालकर बच्चों को दिया जाता है।

सोलर सिस्टम की बैटरी वारंटी अवधि समाप्त-सहायक आयुक्त

इस मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने बताया कि सोलर सिस्टम की बैटरी की वारंटी अवधि समाप्त हो गई है। इसके स्थान पर नई खरीद का प्रस्ताव बनाया गया है। जल्द ही नया सिस्टम लगाया जाएगा।

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