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Damoh: दमोह में एक रात पहले ही हो गया रावण दहन, बारिश से 50 फीट का दशानन गला, आखिर में आधा-अधूरा पुतला जलाया

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मध्य प्रदेश में बारिश ने दशहरे का उत्साह ठंडा कर दिया। प्रदेश भर में खुले मैदानों में सजे रावण के पुतले भीग गए। दमोह में तो रावण का पुतला ऐसा भीगा कि दोबारा खड़ा ही नहीं हो गया। आयोजकों ने दशहरे के एक दिन पहले धराशाई हो चुके आधे-अधूरे रावण को ही दहन करके अपनी परंपरा निभाई।

बता दें कि दमोह में मंगलवार को ही रावण दहन करना आयोजकों की मजबूरी बन गया। दरअसल श्री राम जी सेवा समिति ने तहसील ग्राउंड में रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया था। मंगलवार रावण का 50 फीट ऊंचा पुतला अपनी जगह पर खड़ा भी कर दिया था। रामलीला की झांकी निकलने की वजह से लोग भी एकत्र हो गए थे। लेकिन बारिश ने सारा कार्यक्रम बिगाड़ दिया। 

समिति से जुड़े लोगों का कहना था कि यहां 50 फीट का रावण बनाया गया था। लेकिन मौसम बिगड़ने से पुतला भीग गया और जमीन पर आ गिरा। बारिश बंद होने के बाद उसे फिर से सुधारने की कोशिश हुई, लेकिन गल जाने से वह दोबारा खड़ा होने की स्थिति में नहीं बचा था। रावण बनाने वाले जालौन से आए कारीगरों ने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार पुतला थोड़ी देर बाद धराशायी हो जाता। इन कोशिशों के बीच 9.30 बजे बारिश फिर शुरू हो गई। इसलिए रात में ही पुतले का दहन करने की योजना बनाई। आधे-अधूरे रावण को मंगलवार रात में ही गिरते पानी में दहन किया गया। 

समिति के लोगों ने बताया कि वे पिछले 42 सालों से रावण का दहन कर रहे हैं। कोरोना काल में भी हमारी समिति ने सांकेतिक रूप से रावण दहन की परंपरा का निर्वाह किया था। इस साल हमने 50 फीट का रावण बनाया था, लेकिन मंगलवार दोपहर हुई बारिश ने रावण को भिगा दिया। कई कोशिशों के बाद भी जब रावण खड़ा नहीं हो पाया तो परंपरा निभाने के लिए आधे-अधूरे पुतले का ही दहन करना पड़ा। 

 

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मध्य प्रदेश में बारिश ने दशहरे का उत्साह ठंडा कर दिया। प्रदेश भर में खुले मैदानों में सजे रावण के पुतले भीग गए। दमोह में तो रावण का पुतला ऐसा भीगा कि दोबारा खड़ा ही नहीं हो गया। आयोजकों ने दशहरे के एक दिन पहले धराशाई हो चुके आधे-अधूरे रावण को ही दहन करके अपनी परंपरा निभाई।

बता दें कि दमोह में मंगलवार को ही रावण दहन करना आयोजकों की मजबूरी बन गया। दरअसल श्री राम जी सेवा समिति ने तहसील ग्राउंड में रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया था। मंगलवार रावण का 50 फीट ऊंचा पुतला अपनी जगह पर खड़ा भी कर दिया था। रामलीला की झांकी निकलने की वजह से लोग भी एकत्र हो गए थे। लेकिन बारिश ने सारा कार्यक्रम बिगाड़ दिया। 

समिति से जुड़े लोगों का कहना था कि यहां 50 फीट का रावण बनाया गया था। लेकिन मौसम बिगड़ने से पुतला भीग गया और जमीन पर आ गिरा। बारिश बंद होने के बाद उसे फिर से सुधारने की कोशिश हुई, लेकिन गल जाने से वह दोबारा खड़ा होने की स्थिति में नहीं बचा था। रावण बनाने वाले जालौन से आए कारीगरों ने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार पुतला थोड़ी देर बाद धराशायी हो जाता। इन कोशिशों के बीच 9.30 बजे बारिश फिर शुरू हो गई। इसलिए रात में ही पुतले का दहन करने की योजना बनाई। आधे-अधूरे रावण को मंगलवार रात में ही गिरते पानी में दहन किया गया। 

समिति के लोगों ने बताया कि वे पिछले 42 सालों से रावण का दहन कर रहे हैं। कोरोना काल में भी हमारी समिति ने सांकेतिक रूप से रावण दहन की परंपरा का निर्वाह किया था। इस साल हमने 50 फीट का रावण बनाया था, लेकिन मंगलवार दोपहर हुई बारिश ने रावण को भिगा दिया। कई कोशिशों के बाद भी जब रावण खड़ा नहीं हो पाया तो परंपरा निभाने के लिए आधे-अधूरे पुतले का ही दहन करना पड़ा। 

 

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