देशभर में रोज 86 लड़कियों-महिलाओं से रेप: हर घंटे 3 बनती हैं शिकार, हर 20 मिनट में 1 बलात्कार, जानिए कौन सा राज्य सबसे खतरनाक ?

NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: कानून बदला, हकीकत नहीं…! हर दिन देश की किसी सड़क, किसी गली, किसी कोने में एक और चीख दबा दी जाती है। हर 20 मिनट में किसी लड़की की इज्जत तार-तार होती है, और हर घंटे तीन औरतें वह सहती हैं जिसे हम “बलात्कार” कहते हैं। सबसे डरावनी बात? इनमें से 96% मामलों में दरिंदा कोई अनजान नहीं, बल्कि अपना होता है—रिश्तेदार, दोस्त, बॉस या पड़ोसी।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: 2013 में निर्भया केस के बाद पूरा देश जागा था। कानून बदला गया, फास्ट ट्रैक कोर्ट बने, पॉक्सो एक्ट में संशोधन हुआ। मगर आंकड़े चीख-चीखकर कह रहे हैं—इंसाफ अब भी लाचार है। 100 रेप केस में सिर्फ 27 को सजा मिलती है, बाकी आराम से बरी हो जाते हैं।
क्या यही है “बेटी बचाओ” का सच?
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: भारत में हर घंटे 3 महिलाएं रेप का शिकार होती हैं, यानी हर 20 मिनट में 1 रेप हो रहा है। देश में रेप के मामलों में 96% से ज्यादा आरोपी महिला को जानने वाले होते हैं। रेप के मामलों में 100 में से 27 आरोपियों को ही सजा होती है, बाकी बरी हो जाते हैं। पढ़िए इस रिपोर्ट में कौन सा राज्य रेप में सबसे टॉप पर ?
- देशभर में हर दिन 86 रेप केस दर्ज
- हर घंटे 3 महिलाएं बनती हैं शिकार
- 96% मामलों में आरोपी होते हैं पहचान वाले
- सजा की दर सिर्फ 27%
- सबसे असुरक्षित राज्य कौन-कौन?
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: ये तीन आंकड़े बताते हैं कि सख्त कानूनों के बावजूद, हमारे देश में न तो बलात्कार के मामले कम हो रहे हैं और न ही सज़ा की दर बढ़ रही है। केंद्र सरकार की एजेंसी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में एक साल में महिलाओं के खिलाफ चार लाख से ज़्यादा अपराध दर्ज होते हैं। इन अपराधों में सिर्फ़ बलात्कार ही नहीं, बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, अपहरण, तस्करी, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं।

कानून सख्त है, पर हालात नहीं बदले
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इस दौरान दरिंदों ने सारी हदें पार कर दीं। बाद में लड़की की मौत हो गई। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: निर्भया कांड के बाद कानून को बेहद सख्त बनाया गया। बलात्कार की परिभाषा भी बदली गई, ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी लाई जा सके। पहले, केवल बलपूर्वक या बिना सहमति के बनाए गए संबंधों को ही बलात्कार के दायरे में लाया जाता था। लेकिन इसके बाद 2013 में कानून में संशोधन किया गया और इसका दायरा बढ़ा दिया गया।
इतना ही नहीं, किशोर कानून में भी संशोधन किया गया। इसके बाद, अगर 16 साल या 18 साल से कम उम्र का कोई भी किशोर कोई जघन्य अपराध करता है, तो उसके साथ वयस्कों जैसा व्यवहार किया जाएगा। यह संशोधन इसलिए किया गया क्योंकि निर्भया के छह दोषियों में से एक नाबालिग था और तीन साल में ही रिहा हो गया था।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: इसके अलावा, बलात्कार के मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया। इसके बाद, अगर बलात्कार के बाद पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो अपराधी को मृत्युदंड दिया जा सकता है।
हालांकि, इन सबके बावजूद, कोई सुधार नहीं हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि 2012 से पहले हर साल औसतन 25 हज़ार बलात्कार के मामले दर्ज होते थे। लेकिन इसके बाद यह आँकड़ा 30 हज़ार से ऊपर पहुँच गया। 2013 में ही 33 हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए। 2016 में यह आँकड़ा 39 हज़ार के करीब पहुँच गया।

आंकड़े डरावने हैं…
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़े डरावने हैं। 2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2.44 लाख मामले दर्ज किए गए थे। जबकि, 2022 में 4.45 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए। यानी हर दिन 1200 से ज़्यादा मामले।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: साथ ही, बलात्कार के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरपी की रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में बलात्कार के 24 हज़ार 923 मामले दर्ज किए गए थे। यानी हर दिन औसतन 68 मामले। जबकि, 2022 में 31 हज़ार 516 मामले दर्ज किए गए। इस हिसाब से हर दिन औसतन 86 मामले दर्ज किए गए। यानी हर घंटे 3 महिलाओं के साथ और हर 20 मिनट में 1 महिला के साथ बलात्कार हुआ।
2022 में राजस्थान में बलात्कार के 5,399 मामले दर्ज
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: राज्यों की बात करें तो बलात्कार के सबसे ज़्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए। 2022 में राजस्थान में बलात्कार के 5,399 मामले दर्ज किए गए। 3,690 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा।

बलात्कार के 96 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों में आरोपी परिचित
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: बलात्कार के ज़्यादातर मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित ही होता है। आँकड़े बताते हैं कि बलात्कार के 96 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों में आरोपी परिचित ही होता है।
2022 में बलात्कार के 31,516 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 30,514 मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित ही था। इनमें से 2,324 आरोपी पीड़िता के परिवार के सदस्य थे। जबकि, 14,582 मामलों में आरोपी ऑनलाइन दोस्त, लिव-इन पार्टनर या पीड़िता को शादी का झांसा देने वाला व्यक्ति था। वहीं, 13,548 मामले ऐसे थे जिनमें आरोपी पारिवारिक मित्र, पड़ोसी या परिचित था।

बलात्कार के कितने मामलों में दोष सिद्धि होती है?
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि की दर केवल 27 से 28 प्रतिशत है। यानी, 100 में से केवल 27 बलात्कार के मामलों में ही आरोपी दोषी साबित होता है, बाकी मामलों में उसे बरी कर दिया जाता है।
रिपोर्ट बताती है कि 2022 के अंत तक देश भर की अदालतों में बलात्कार के लगभग दो लाख मामले लंबित थे। 2022 में, इनमें से केवल साढ़े 18 हज़ार मामलों में ही सुनवाई पूरी हुई। जिन मामलों में सुनवाई पूरी हुई, उनमें से केवल लगभग 5 हज़ार मामलों में ही अपराधी को सज़ा मिली। जबकि, 12 हज़ार से ज़्यादा मामलों में आरोपी बरी हो गया।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: भारत के अलावा, ब्रिटेन में भी बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि की दर 60 प्रतिशत से ज़्यादा है। कनाडा में भी बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि की दर 40 प्रतिशत से ज़्यादा है।
रेबेका एम. जॉन नाम की एक वकील ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारत में जज बलात्कार के आरोपियों को सज़ा देने से बचते हैं। उनका मानना है कि अगर सबूतों का अभाव है, तो वे आरोपी को बरी कर देते हैं, जबकि उन्हें कम से कम इसके लिए कुछ सज़ा तो देनी चाहिए ताकि उसे दोषी ठहराया जा सके।
इतना ही नहीं, बलात्कार के मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान होने के बावजूद, 24 सालों में सिर्फ़ पाँच बलात्कारियों को ही मौत की सज़ा सुनाई गई है। 1990 के बलात्कार मामले में धनंजय चटर्जी को 2004 में फांसी दी गई थी। जबकि मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों – मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।

महिलाओं के विरुद्ध अपराध पर क्या कानून है?
दो महीने पहले नए आपराधिक कानून लागू हुए हैं। इसके बाद, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनसी) ने ले ली है। आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है, जबकि 376 में इसके लिए सज़ा का प्रावधान है। वहीं, भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 में बलात्कार की परिभाषा दी गई है।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: धारा 64 से 70 में सज़ा का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद का प्रावधान है। बीएनसी की धारा 64 में भी यही सज़ा रखी गई है।
बीएनसी में नाबालिगों से बलात्कार के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है। 16 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 20 साल की सज़ा का प्रावधान है। इस सज़ा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। आजीवन कारावास की सज़ा मिलने पर दोषी को पूरी ज़िंदगी जेल में बितानी होगी।
बीएनएस की धारा 65 में प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची से बलात्कार का दोषी पाया जाता है, तो उसे 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है। इसमें भी आजीवन कारावास की सज़ा तब तक रहेगी जब तक अपराधी जीवित है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का भी प्रावधान है। इसके अलावा, जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
दोषी पाए जाने पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास
सामूहिक बलात्कार के मामलों में दोषी पाए जाने पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माने तक की सज़ा का प्रावधान है। बीएनसी की धारा 70(2) के तहत, नाबालिग से सामूहिक बलात्कार का दोषी पाए जाने पर कम से कम आजीवन कारावास और मृत्युदंड भी हो सकता है। ऐसे मामलों में जुर्माने का भी प्रावधान है। जबकि, आईपीसी में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से सामूहिक बलात्कार का दोषी पाए जाने पर ही मृत्युदंड का प्रावधान था।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: बीएनसी की धारा 66 के तहत, अगर बलात्कार के मामले में महिला की मृत्यु हो जाती है या वह कोमा जैसी स्थिति में पहुँच जाती है, तो अपराधी को कम से कम 20 साल की सज़ा होगी। इस सज़ा को बढ़ाकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता में एक नई धारा 69 जोड़ी गई है। इसके तहत, अगर कोई व्यक्ति शादी, नौकरी या पदोन्नति का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे 10 साल तक की सज़ा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। पहचान छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा का भी प्रावधान है।
नाबालिगों के लिए पॉक्सो अधिनियम
2012 के निर्भया कांड के बाद, यौन हिंसा के नाबालिग पीड़ितों के लिए भी एक कानून लाया गया। यह कानून था – पॉक्सो यानी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम। यह कानून 2012 में लाया गया था। यह बच्चों के खिलाफ यौन शोषण को अपराध बनाता है।
यह कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है। इसका उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा माना जाता है और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
पॉक्सो कानून में पहले मृत्युदंड का प्रावधान नहीं था, लेकिन 2019 में इसमें संशोधन किया गया और मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया। अगर इस कानून के तहत आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो अपराधी को पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी। इसका मतलब है कि अपराधी जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सकता।
NCRB crime report women Rape cases in India statistics Unsafe states for women in India: एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश भर में पॉक्सो एक्ट के तहत लगभग 54 हज़ार मामले दर्ज किए गए। जबकि, इससे पहले 2020 में 47 हज़ार मामले दर्ज किए गए थे। 2017 से 2021 के बीच पाँच सालों में पॉक्सो एक्ट के तहत 2.20 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
हालाँकि, पॉक्सो एक्ट में दोषसिद्धि की दर बहुत कम है। आँकड़े बताते हैं कि पाँच सालों में 61,117 अभियुक्तों का मुक़दमा पूरा हुआ है, जिनमें से केवल 21,070 यानी लगभग 35% अभियुक्तों को ही दोषी ठहराया जा सका है। बाकी 37,383 अभियुक्त बरी हो गए।

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