रायपुर में रथ पर सवार होकर निकले अरुण गोविल ओर दीपिका।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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‘राम जी की निकली सवारी…’ का यह नजारा बुधवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में था । 80 के दशक के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण के राम (अरुण गोविल) और सीता (दीपिका चिखलिया) दोनों प्रदेश के सबसे बड़े रावण दहन कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान रथ पर सवार होकर निकले तो लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब हो गए। एक बार फिर 35 साल बाद लोग उनमें भगवान राम और सीता की छवि को तलाशते रहे। करीब आधे घंटे तक उनका रथ लोगों के बीच घूमता रहा।
मोबाइल की फ्लश लाइट से दिवाली जैसा नजारा
रायपुर की डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के दशहरा उत्सव में पहुंचे अरुण गोविल और दीपिका को सामने देख हर कोई अपने मोबाइल में कैद कर लेना चाहता था। मोबाइल कैमरे के फ्लश बीच-बीच में चमक उठते थे। एक बार तो सभी लोगों ने मोबाइल की सर्च लाइट जलाकार भी लहराई। इससे कॉलोनी के दशहरा उत्सव मैदान में दिवाली जैसा नजारा दिखाई देने लगा। इस दौरान दोनों कलाकारों ने भी लोगों और अपने प्रशंसकों को नाराज नहीं किया। हाथ हिलाकर लोगों को वे अभिवादन करते रहे।
राम को राम बनाने में छत्तीसगढ़ का बड़ा योगदान
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने पूरे परिवार के साथ शामिल हुए। रावण दहन से पहले उन्होंने कहा कि, भगवान राम को ‘राम’ बनाने में सबसे ज्यादा किसी प्रदेश का योगदान रहा है तो वह छत्तीसगढ़ ही है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, एक समय था जब दुष्ट, दुष्ट प्रवृत्ति का होता था। सज्जन में सज्जनता होती थी। आजकल भगवान ने ऐसा कर दिया है कि एक ही व्यक्ति के भीतर सज्जन और दुष्ट दोनों है। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि सज्जनता जीत सके।
रावण पर नहीं, अहम पर विजय होनी चाहिए
वहीं कलाकार अरुण गोविल ने कहा कि, हमारी विजय रावण नाम के शत्रु के खिलाफ ही नहीं होनी चाहिए। हमारी विजय अहम पर होनी चाहिए। हम पहले अपने आप पर विजय पाएं, तभी हर साल दशहरा मनाना सफल होगा। उन्होंने कहा कि, पावर बहुत ज्यादा करप्ट कर देती है। यह बात रावण के साथ कही जा सकती है, लेकिन राम जी के साथ नहीं कही जा सकती। यह बातें हमें रामायण से सीखनी चाहिए। रामायण की सीख से हमारे विकारों पर विजय पाई जा सकती है। अरुण गोविल ने रामायण धारावाहिक के राम-रावण युद्ध का एक संवाद भी सुनाया।
दीपिका बोलीं-मैं हूं न छत्तीसगढ़ की बहू
दीपिका चिखालिया ने कहा, मुझे यह तो पता था कि यहां भगवान राम की ननिहाल है। हम चंदखुरी में माता कौशल्या के मंदिर गए। वहां लोगों ने पूछा कैसा लगा भगवान राम की ननिहाल आकर। मैंने कहा, यह क्यों नहीं पूछते कैसे लगा ससुराल आकर। मैं हूं न छत्तीसगढ़ की बहू। यह दशहरा बताता है कि, हमें अपने अंदर के रावण को हटाना है और एक अच्छा नागरिक और व्यक्ति बनना है। दरअसल, मुंबई से रायपुर पहुंचने के बाद दोनों कलाकार चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में दर्शन के लिए भी गए थे।