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जानकी जयंती पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी: साहू समाज और कबीर पंथ ने निकाली शोभायात्रा, रेत से शिवलिंग बनाकर किया जलाभिषेक

गिरीश जगत,राजिम। राजिम कुंभ कल्प मेला में 4 मार्च को जानकी जयंती के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने पर्व स्नान का पुण्य लाभ लिया। इस पावन अवसर पर कबीर पंथ और साहू समाज राजिम ने भव्य जुलूस निकाली। यह जुलुस महामाया मंदिर से निकलकर सुंदरलाल शर्मा चौक, वीआईपी रोड, श्रीराजीव लोचन मंदिर होते हुए संगम स्थित कुंड में समापन हुआ।

जानकी जयंती के अवसर पर श्रध्दालुओं ने त्रिवेणी संगम में पर्व स्नान कर पुण्य लाभ उठाया। सुबह स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अटल घाट, संगम घाट, स्वर्ण तीर्थ घाट, नेहरू घाट, स्नान कुण्ड घाट में उमड़ी, इस दौरान दीपदान भी किया। महिलाएं सहित पुरुष और बच्चे स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य दिया। रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया। धतूरा केसरिया, शंकर, दूध, दही, सुगंधित तेल, सरसों तेल, गेंदा फूल चढ़ाकर शिवलिंग के अर्ध परिक्रमा किया।

समस्त तीर्थ दर्शन का मिलता है फल

ऐसी मान्यता है कि जानकी जयंती के दिन जो भी विधि-विधान पूर्वक पूजन कर व्रत रखता है, उसें सोलह महादान, पृथ्वी दान व समस्त तीर्थ दर्शन का फल मिलता है। इस दिन सुहागिन व्रत रखकर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती है।

प्रयाग भूमि राजिम में जानकी जयंती स्नान का विशेष महत्व

उल्लेखनीय हैं कि प्रयाग भूमि राजिम में जानकी जयंती स्नान का विशेष महत्व हैं। लोककथा के अनुसार त्रेता युग में वनवास के दौरान राम लक्ष्मण सहित देवी सीता ब्रह्मऋषि लोमश से मिलने नदी मार्ग से होते हुए आश्रम पहुंचे और चर्तुमास रूककर आसुरी शक्तियों का समूह नाश किया। इस दौरान नदी में स्नान कर देवी सीता ने रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक कर पूजन किया। तब से रेत से शिवलिंग बनाने की परम्परा चल पड़ी।

शोभा यात्रा में ये रहे मौजूद

माना जाता है कि इस तरह अनुष्ठान करने से हरि और हर सहित देवी सीता प्रसन्न होकर अबाध कृपा बरसाती है। शोभायात्रा में प्रमुख रूप से कबीर आश्रम राजिम के प्रमुख मेघनाथ साहू, आचार्य श्रवण साहेब, महंत दाऊदास, नानकीदास, ऋषिराज, खगेशदास, नारायणदास, कमल यादव, लालाराम साहू, भोलाराम साहू भवानी शंकर, भोलाराम साहू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे। शोभायात्रा का राजिम विधायक रोहित साहू ने नगर पंचायत राजिम के पास भव्य स्वागत सत्कार किया और पुष्प वर्षा कर संतजनो के आशीर्वाद लिए।

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