
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: छत्तीसगढ़ के DGP अरुण देव गौतम ने रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए 7 वरिष्ठ IPS अधिकारियों की ड्राफ्टिंग टीम गठित की है। समिति के अध्यक्ष ADG प्रदीप गुप्ता रखे गए हैं। साथ ही नारकोटिक्स IG अजय यादव, रायपुर रेंज IG अमरेश मिश्रा, IG ध्रुव गुप्ता, DIG अभिषेक मीणा, DIG संतोष सिंह और SP प्रभात कुमार मेंबर बनाए गए हैं। यह टीम अन्य राज्यों के कमिश्नरेट वर्किंग मॉडलों का अध्ययन कर कॉन्क्रीट ड्राफ्ट बनाकर DGP को सौंपेगी।
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: CM विष्णुदेव साय ने 15 अगस्त को कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की थी और रायपुर को छत्तीसगढ़ का पहला जिला घोषित किया गया। अधिकारियों के दिए जाने वाले ड्राफ्ट और पायलट कायर्क्रम (Police Commissioner System) के आधार पर यह व्यवस्था संभावित रूप से 1 नवंबर 2025 से रायपुर में लागू की जा सकती है। पायलट सफल होने पर बिलासपुर, दुर्ग समेत अन्य जिलों में विस्तार पर विचार होगा।
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: पुलिस कमिश्नर सिस्टम भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ था। 1856 में कोलकाता, 1866 में मुंबई और 1888 में चेन्नई में इसे अपनाया गया था। कारण साफ थे कि बड़े शहरों में आबादी व अपराध बढ़ने से (Police Commissioner System) पारंपरिक पुलिस-मजिस्ट्रेट मॉडल प्रभावी नहीं रहा; इसलिए कमिश्नर को मजिस्ट्रेट जैसी कार्यकारी शक्तियां देकर त्वरित निर्णय और अपराध नियंत्रण सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया।
इस रिपोर्ट में विस्तार से पढ़िए क्या है पुलिस कमिश्नर सिस्टम, कैसे करता है काम, अभी किन-किन राज्यों में है लागू, भारत में पहली बार कब ये सिस्टम लागू क्या गया था, जिसका मकसद क्राइम ग्राफ पर लगाम लगाना था ?

क्या होता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम – Police Commissioner System
कमिश्नर को BNS के तहत मजिस्ट्रेट की शक्तियां (Police Commissioner System) मिलती हैं। कानून-व्यवस्था से जुड़े फैसले सीधे पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं। कलेक्टर के पास लंबित फाइलें कम होती हैं। फौरन कार्रवाई करना संभव हो जाता है। शांति भंग की आशंका में डायरेक्ट हिरासत में लेने का पावर होता है। पुलिस खुद गुंडा एक्ट लगा सकेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लागू करने का अधिकार होगा।
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के पास और क्या-क्या ताकत ?
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कमिश्नर को कलेक्टर जैसे कुछ अधिकार मिलते हैं। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकते हैं। कानून के नियमों के तहत दिए गए अधिकार उन्हें और भी प्रभावी बनाते हैं। इससे कलेक्टर के पास लंबित फाइलें कम होती हैं। फौरन कार्रवाई संभव होती है।
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: इस प्रणाली में पुलिस को शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट, या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) जैसी धाराएं लगाने का अधिकार मिलता है। होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने तक के निर्णय पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं।
भारत में पुलिस कमिश्नर सिस्टम की शुरुआत- Police Commissioner System History
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: 1856 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान कोलकाता (तब कलकत्ता) में लागू किया गया। इसके बाद 1866 में मुंबई और 1888 में चेन्नई (मद्रास) में इसे अपनाया गया। आजादी के बाद धीरे-धीरे बड़े शहरों (Police Commissioner System History) में यह व्यवस्था लागू की जाने लगी।
क्यों लाया गया था यह सिस्टम?
Chhattisgarh Police Commissioner System Detail Story: बड़े शहरों में आबादी और अपराध तेजी से बढ़ रहे थे। पुलिस-मैजिस्ट्रेट सिस्टम अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था संभालने में (Police Commissioner System History) नाकाम साबित हो रहा था। ब्रिटिश सरकार ने पुलिस अधिकारियों को सीधे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट जैसी पावर देने का निर्णय लिया। इस सिस्टम का मकसद तेजी से फैसले लेने की क्षमता बढ़ाना और अपराध पर काबू पाना था।
पुलिस कमिश्नर सिस्टम में कौन-कौन से पोस्ट होते हैं ?
पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पोस्ट की बात करें तो पुलिस कमिश्नर (CP), संयुक्त पुलिस आयुक्त (Jt. CP), अपर पुलिस आयुक्त (Addl. CP), पुलिस उपायुक्त (DCP), अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (Addl. DCP), सहायक पुलिस आयुक्त (ACP), पुलिस निरीक्षक (PI/SHO), उप-निरीक्षक (SI) और कॉन्स्टेबल की पोस्ट होती है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम के पोस्ट और काम
पुलिस कमिश्नर (CP)
- इस प्रणाली का सबसे वरिष्ठ अधिकारी।
- ADG रैंक का अधिकारी।
- मजिस्ट्रेट जैसे कुछ अधिकार।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (Jt. CP)
- IG रैंक का अधिकारी।
- पुलिस कमिश्नर के अधीन कार्य करता है।
अपर पुलिस आयुक्त (Addl. CP)
- DIG रैंक का अधिकारी।
- लॉ एंड ऑर्डर या क्राइम जैसे अलग-अलग कार्यों के लिए जिम्मेदार।
पुलिस उपायुक्त (DCP)
- SSP/SP रैंक का अधिकारी।
- कमिश्नरेट क्षेत्र को जोन में बांटकर प्रत्येक जोन में नियुक्त।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (Addl. DCP)
- ASP रैंक का अधिकारी।
- DCP के अधीन कार्य करता है।
सहायक पुलिस आयुक्त (ACP)
- आमतौर पर पुलिस निरीक्षक के बराबर पद।
- राज्य और क्षेत्र के नियमों पर निर्भर।
पुलिस निरीक्षक (PI/SHO)
- ACP के अधीन कार्य करता है।
- थाना प्रभारी होता है।
उप-निरीक्षक (SI)
- निरीक्षक के अधीन कार्य करता है।
कॉन्स्टेबल
- पुलिस बल का सबसे निचला पद।
- SI और अन्य अधिकारियों के अधीन कार्य करता है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम कैसे करता है काम ?
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। ADG स्तर के सीनियर IPS को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। भोपाल जैसे शहरों पर IG रैंक के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके साथ ही महानगर को कई जोन में बांटा जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करते हैं, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं। ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।
रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू किया जा रहा ?
रायपुर जिले में क्राइम रेट में लगातार इजाफा हुआ है। जिले में जनवरी से लेकर अब तक लगभग 6 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। जनवरी 2025 से अब तक 50 से ज्यादा मर्डर हुए हैं। इनमें 95 फीसदी मामलों में आरोपी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। चाकूबाजी के 65 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।
लूट चोरी के मामले भी बढ़े
इसके अलावा नशीली सामग्रियों के बिक्री, मारपीट, चोरी और लूट की घटनाएं भी बढ़ी है। पिछले 6 महीने में रायपुर में धार्मिक विवाद (मसीही–हिंदू संगठन) के बीच भी इजाफा हुआ है। इन सब स्थिति को देखते हुए कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा सीएम साय ने की है।

दूसरे राज्यों में कैसे चलता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम ?
राजस्थान में एसीपी को प्रतिबंधात्मक धाराओं से जुड़े केसों में सुनवाई करने का और फैसला करने का अधिकार दिया गया है। कमिश्नरेट में ही न्यायालय लगता है। इनमें से ज्यादातर धाराएं शांतिभंग या पब्लिक न्यूसेंस रोकने से जुड़ी हैं। इन मामलों में जमानत देने या न देने का फैसला पुलिस अधिकारी ही करते हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कमिश्नर के पास अपराधियों को जिला बदर करने, जुलूस और जलसों की अनुमति देने, किसी भी जगह को सार्वजनिक स्थल घोषित करने, आतिशबाजी करने की अनुमति के अधिकार हैं। संतान गोद लेने की अनुमति भी नागपुर में पुलिस कमिश्नर ही देता है।
यूपी के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है। वहां 14 एक्ट के अधिकार पुलिस को दिए गए हैं। सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के तहत पब्लिक न्यूसेंस को काबू में करने के लिए एहतियाती कदम उठाना जैसे अधिकार भी प्रशासन से पुलिस को दे दिए गए हैं।

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