
रायपुर । केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस्तरिया बटालियन में और चार सौ पदों पर भर्ती की जा रही है। बस्तर के नक्सल प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर जिलों में युवाओं के लिए 10 से 22 अक्टूबर तक विभिन्न् जिलों में भर्ती रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। बस्तर में नक्सल समस्या से निपटने में सीआरपीएफ का महत्वपूर्ण योगदान है।
सीआरपीएफ ने 2017 में नियमों में ढील देकर बस्तर के युवाओं की बस्तरिया बटालियन का गठन किया है। वर्तमान में बस्तरिया बटालियन में करीब सात सौ जवान हैं। इनमें युवतियां भी श्ाामिल हैं। इनकी तैनाती सुदूर क्षेत्रों के सीआरपीएफ कैंपों में बाहर से आए जवानों के साथ की गई है। बस्तरिया बटालियन को अधिक सश्ाक्त बनाने के लिए बटालियन में रिक्त पड़े चार सौ अन्य पदों पर भर्ती शुरू की गई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश्ा पर सीआरपीएफ के आइजी ने आरक्षक के चार सौ पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इनमें से 144 पद दंतेवाड़ा, 128 पद बीजापुर व 128 पद सुकमा जिलों से भरे जाएंगे। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि सीआरपीएफ का यह भर्ती अभियान 2017 के भर्ती अभियान का ही हिस्सा है।
सीआरपीएफ में पहली बार चार सौ बस्तरिहा की भर्ती, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में नक्सलियों से मुकाबला स्थानीय युवा करेंगे। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के जिलों में सीआरपीएफ पहली बार स्थानीय युवकों को आरक्षक के पद पर भर्ती कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ आईजी ने विज्ञापन जारी किया गया था।
बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले के मूल आदिवासी युवाओं को सुनहरा अवसर मिल रहा है। स्थानीय बोली के जानकार बस्तर के 400 युवकों की सीआरपीएफ बटालियन में भर्ती की जाएगी। स्थानीय युवा नक्सलियों से मुकाबला करेंगे। सीआरपीएफ में दंतेवाड़ा से 144, बीजापुर से 128 और सुकमा से 128 युवकों की भर्ती 10 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक चलेगी। सीआरपीएफ कांटेबल बनने परीक्षा में शामिल होने वालों युवाओं से दो पेपर्स लिए जाएंगे।
इसमें पहले सामान्य हिन्दी भाषा का वस्तुनिष्ठ और दूसरा हल्बी व गोड़ी बोली में लिखित और मौखिक परीक्षा ली जाएगी। सफल होने वाले अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। परीक्षा बीजापुर जिले के सीआरपीएफ कैंप आवापल्ली, दंतेवाड़ा के कारली स्थित रिजर्व पुलिस लाइन और सुकमा जिले के जिला पुलिस लाइन और सीआरपीएफ 219 बटालियन इंजीराम कोंटा में होगी।
अंदरुनी क्षेत्रों में कैंप खुलने से बैकफुट पर नक्सली
सीआरपीएफ ने नक्सल क्षेत्र में माओवाद को खत्म करने कई कैंप स्थापित किए हैं। इसका अच्छा परिणाम भी सामने आया है। दंतेवाडता जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्थापित सीआरपीएफ कैंप की बदौलत नक्सली बैकफुट पर हैं। सीआरपीएफ जवानों ने ग्रामीणों का विश्वास जीता है। बता दें कि गृह मंत्रालय ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के तीन जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से सीआरपीएफ में कांस्टेबल (सामान्य सेवा) के रूप में 400 उम्मीदवारों की भर्ती के लिए जरूरी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में छूट मांगी थी।
8वीं कक्षा में उत्तीर्ण युवाओं को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया गया था। यह कहा गया था कि भर्ती के बाद इन युवाओं की ओपन स्कूल से 10वीं की पढताई करवा ली जाएगी। इस आधार पर कैबिनेट ने यह प्रस्ताव मंजूर किया था।
जिस जिले में ज्यादा नक्सली वहां के युवा होंगे शामिल
बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाडता जिले में अभी नक्सली सक्रिय हैं। यह नक्सलियों का कोर इलाका है। बडते नक्सल नेता फिलहाल इन्हीं इलाकों में सक्रिय हैं। सीआरपीएफ इन्हीं 3 जिलों को फोकस करके वहां भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 3 जिलों के घने जंगलों में सीआरपीएफ कैंप सबसे ज्यादा हैं और अधिकांश कोर इलाके में हैं।
यहां सर्चंगि आपरेशंस के लिए सीआरपीएफ को ऐसे लोगों की जरूरत है जो स्थानीय स्तर पर भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हों, जिससे कोर एरिया में सुरक्षित और कारगर सर्चंगि अभियान चलाए जा सकें। लोकल विंग डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की कामयाबी के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में यह प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए नियम बदले गए, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है।Source link