Publish Date: | Wed, 12 Oct 2022 07:33 PM (IST)
रायपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोल इंडिया से छह महीने से कोयले का लिंकेज न मिलने से प्रदेश के स्टील उद्योगों का संकट गहरा गया है। इससे परेशान उद्योगपति अब आरपार की लड़ाई की योजना बना रहे हैं। ज्ञात हो कि यहां स्थानीय उद्योगों को प्रति माह 1.50 करोड़ टन कोयले की आवश्यकता होती है। घरेलू कोयला नहीं मिल रहा है। विदेश से जरूरत का 25 प्रतिशत कोयला आयात किया जा रहा है। इससे उत्पादन आधा रह गया है।
लिंकेज पालिसी के तहत कोल इंडिया किसी उपभोक्ता कंपनी के लिए कोयला का कोटा आरक्षित करती है। लिंकेज तय होने के बाद उतना कोयला देना ही होता है। स्थानीय उद्योगों के लिए मार्च 2022 तक लिंकेज उपलब्ध था। इसके बाद इसका नवीनीकरण नहीं किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस संबंध में केंद्रीय कोयला मंत्रालय को पत्र लिख चुके हैं परंतु समाधान नहीं निकला है।
केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों व अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है जो लिंकेज तय करेगी। इसमें हो रही देरी से उद्योगपति परेशान हैं। उनका कहना है कि घरेलू कोयला न मिलने की वजह से स्टील का दाम कम नहीं हो पा रहा है। कोयला मिलेगा तो ही बाजार सुधरेगा। उद्योगपतियों का कहना है कि अगर उन्हें कोयला नहीं मिला तो त्योहार के बाद प्लांटों में तालाबंदी की स्थिति हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा कि प्रदेश में करीब 600 उद्योग हंै। घरेलू उद्योगों को पहले कोयला मिलना चाहिए। कोयला न मिलने से स्पंज आयरन के साथ ही उससे जुड़े दूसरे उद्योग भी पूरी तरह प्रभावित हो गए है।
नान पावर सेक्टर को फरवरी से कोयला मिलना बंद
साउथ ईस्टर्न कोल्फील्ड्स लिमिटेड ने इस वर्ष फरवरी महीने से ही नान पावर सेक्टर के उद्योगों को कोयला देना बंद कर दिया है। एसईसीएल ने जनवरी के आखिर में इसका आदेश भी जारी कर दिया था। 31 मार्च लिंकेज पालिसी भी समाप्त हो गई। प्रदेश में हर वर्ष 15 करोड़ टन से अधिक कोयले का उत्पादन होता है। राज्य से उत्पादित कोयले का अधिकांश भाग अन्य राज्यों को भेजा जाता है, जबकि स्टील उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी स्थान पर है।
Posted By: Pramod Sahu