Indore News: इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड के धुएं से उठ रहे सवाल, कहां से आ गए कचरे का पहाड़


अभी भी ट्रेंंचिंग ग्राउंड से उठ रहा है धुंआ।
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स्वच्छता के मामले में इंदौर शहर देश के दूसरे शहरों से काफी आगे है। छह साल से कोई शहर इंदौर को पिछाड़ नहीं पाया, लेकिन चार दिन पहले इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड में लगी आग से सवाल उठने लगे है कि जब नगर निगम शहर से निकले वाले कचरे के शत-प्रतिशत निपटान का दावा कर रहा है तो फिर ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरे का पहाड़ आया कहां से? जवाब की पड़ताल की तो पता चला कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से जो कचरा आ रहा है उसका निपटान तो सीधे प्लांट पर हो रहा है, लेकिन बेकलेन, नालों में फिर कचरा फेेंकने की आदत लोगों की बढ़ गई है। बेकलेन, नाले की गाद से निकलने वाले कचरे को सूखाने के लिए ट्रेंचिंग ग्राउंड में रखा जा रहा है और उसे की पहाड़ फिर बनने लगे है।
इंदौर शहर जब स्वच्छता में दूसरी बार पहले स्थान पर आया था, तब ट्रेंचिंग ग्राउंड से कचरे के पहाड़ खत्म करने और वहां लैंडफिल विकसित करने के नंबर की भूमिका ज्यादा थी। ट्रेंचिंग ग्राउंड में तब कचरे के पहाड़ पर पौधे लगाकर गार्डन विकसित किया गया था और वहां दिल्ली से आने वाले केंद्रीय अधिकारी, मंत्रियों ने चाय पी थी, लेकिन अब चार सालों बाद वहां फिर कचरे के ढेर लग है और चार दिन पहले कचरे में आग लग गई। अभी तक ट्रेंचिंग ग्राउंड के कचरे के पहाड़ से उठ रहे धुएं पर काबू नहीं पाया जा सका।
आसपास के ग्रामीण इलाके और टाउनशिपों के लोग ग्राउंड से उठ रहे धुएं से परेशान है और वहां बदबू भी फैल रही है।नगर निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड में मीडिया और कैमरों पर भी प्रतिबंधित कर रखा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड प्रभारी योगेेंद्र गंगराड़े का इस बारे में कहना है कि कचरे का शत प्रतिशत निपटान होता है। मिक्स गीले कचरे को सूखाने के लिए रखा जाता है, बाद में उसका भी निपटान होता है।
यह है निगम का दावा
कचरे का शत प्रतिशत निपटान होता है। कचरा ट्रेंचिंग ग्राउंड में सीधे नेट्रा प्लांट में जाता है। वहां सेग्रिगेशन के बाद रिसाइकिल होता है। गीले कचरे से बायो सीएनजी का उत्पादन किया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर खूबसूरत बगीचा भी विकसित कर दिया गया है।बायो सीएनजी प्लांट लगाने वाली कंपनी ने नगर निगम से 550 टीपीडी कचरा प्रतिदिन उपलब्ध करवाने की अनुबंध है,लेकिन इतना कचरा रोज नहीं लिया जा रहा हैै।
यह है हकीकत
नगर निगम का ट्रेंचिंग ग्राउंड करीब 130 एकड़ में फैला हुआ है। पांच साल पहले कचरे के एक पहाड़ को व्यवस्थित कर उस पर बगीचा बनाया गया, लेकिन उसके अासपास कई छोटे-छोटे कचरे के पहाड़ है, उनके निपटान के लिए ठोस योजना नहीं बनी। नाले से निकलनेवाली गाद अौर बेकलेन से जो कचरा ग्राउंड पर पहुंच रहा है, वह निपटान के योग्य नहीं है। उसी कचरे के पहाड़ वहां बन रहे है। कचरे में मिथेन गैस बनती है और उसकी वजह से ही कचरे में अाग लगी है, जो पानी डालने के बाद भी बुझ नहीं पा रही। ग्राउंड के आसपास बदबू भी उसी वजह से आ रही है।