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MP News: उमरिया में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से मुख्यालय भेजा गया प्रस्ताव, एलीफेंट प्रोजेक्ट के लिए मांगी राशि

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उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार बढ़ रहे जंगली हाथियों से निपटने के लिए प्रबंधन ने मधुमक्खियों को आगे करने का निर्णय लिया है। मधुमक्खियां अब हाथियों का सामना करेंगी और उन्हें गांव मे प्रवेश करने से रोकेंगी। इस योजना के साथ एक प्रस्ताव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से वन मुख्यालय भोपाल भेजा गया है। इस प्रस्ताव से न सिर्फ हाथियों को गांव में प्रवेश करने से रोका जा सकेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं को मधुमक्खी पालन के रूप में एक रोजगार भी मिल जाएगा।

विशालकाय हाथी एक जरा सी मधुमक्खी से कितना डरते हैं, यह शायद ही बहुत कम लोगों को पता होगा। इस बारे मे जानकारी देते हुए बांधवगढ़ के एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि हाथी मधुमक्खियों की भिनभिनाहट से डरते हैं। वह मधुमक्खियों से दूर भागते हैं और इस बात का फायदा उठाकर जंगल से लगे गांवों मे रहने वाले ग्रामीण क्षेत्रों को सुरक्षित किया जा सकता है। एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि इसके लिए पूरी योजना तैयार की गई है और इस योजना के तहत काम किया जाएगा। इस योजना मे न सिर्फ वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहेंगे, बल्कि ग्रामीणों और बांधवगढ़ में काम करने वाले एनजीओ को भी शामिल किया किया जाएगा।

डिवाइस का भी होगा उपयोग…
एक साथ बहुत सारी मधुमक्खियों को हाथियों के पीछे छोड़ पाना पूरी तरह से आसान काम नहीं है। इसलिए मधुमक्खी पालन के साथ हाथियों से बचाव के लिए एक डिवाइस का भी उपयोग किया जाएगा, जिससे हाथियों को गांव से दूर रखा जा सके। यह डिवाइस उन स्थानों पर लगाया जाएगा जहां मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। जब हाथी गांव की तरफ आएंगे तो इस डिवाइस से मधुमक्खियों की भिनभिनाहट की तेज आवाज निकाली जाएगी और साथ ही पेटियों से मधुमक्खियां निकलकर उडऩे लगेंगी, जिससे हाथी गांव के आसपास नहीं रहेंगे और वहां से दूर भाग जाएंगे।

ग्रामीण युवाओं को किया जाएगा प्रशिक्षित…
जिस तरह से अभी हाथियों पर नजर रखने के लिए टीमों का गठन किया गया है और यह टीम हाथियों को गांव से दूर रखने की कोशिश करती है, उसी तरह डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए भी ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। जैसे ही हाथियों के गांव की तरफ आने की सूचना मिलेगी और हाथी गांव के नजदीक पहुंच जाएंगे, वैसे ही इस डिवाइस को ग्रामीण युवा ऑपरेट करना शुरू कर देंगे। ब्लूटूथ और वाईफाई के माध्यम से इस डिवाइस से मक्खियों की भिनभिनाहट जैसी आवाजें आएंगी। इस आवाज के साथ ही मधुमक्खियां भी अपने स्थान को छोड़कर बाहर आ जाएंगी, जिससे हाथी भाग जाएंगे। एसडीओ ने बताया कि मधुमक्खियों की आवाज से जंगली हाथी भयभीत होते हैं और वे दूसरी दिशा में भागते हैं।

ली जाएगी एनजीओ की मदद…
इस कॉन्सेप्ट पर काम करने के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने एक प्रोजेक्ट बनाया है और यह प्रस्ताव वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल को भेज दिया है। इसके लिए राशि प्रोजेक्ट एलीफेंट, खादी ग्रामोद्योग और एनजीओ के माध्यम से जुटाई जाएगी। एलीफेंट प्रोजेक्ट से मिलने वाली राशि से डिवाइस खरीदे जाएंगे, जबकि खादी ग्राम उद्योग से ग्रामीण युवाओं को सहायता दिलाकर मधुमक्खी पालन का काम शुरू कराया जाएगा। डिवाइस ऑपरेटिंग के लिए उन एनजीओ की मदद ली जाएगी जो क्षेत्र मे काम कर रहे हैं।

10 गांव से होगी शुरुआत…
जंगली हाथियों को नियंत्रण में करने का यह अभियान की शुरूआत 10 गांव में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही मधुमक्खी पालने उन 10 गांवों का चयन कर लिया है, जहां से एलीफेंट प्रोजेक्ट के माध्यम से मिलने वाली राशि का उपयोग किया जाना है। इन दस गांव मे लोगों को ट्रेंड किया जाएगा और उसके बाद इस अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा।
 
 

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उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार बढ़ रहे जंगली हाथियों से निपटने के लिए प्रबंधन ने मधुमक्खियों को आगे करने का निर्णय लिया है। मधुमक्खियां अब हाथियों का सामना करेंगी और उन्हें गांव मे प्रवेश करने से रोकेंगी। इस योजना के साथ एक प्रस्ताव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से वन मुख्यालय भोपाल भेजा गया है। इस प्रस्ताव से न सिर्फ हाथियों को गांव में प्रवेश करने से रोका जा सकेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं को मधुमक्खी पालन के रूप में एक रोजगार भी मिल जाएगा।

विशालकाय हाथी एक जरा सी मधुमक्खी से कितना डरते हैं, यह शायद ही बहुत कम लोगों को पता होगा। इस बारे मे जानकारी देते हुए बांधवगढ़ के एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि हाथी मधुमक्खियों की भिनभिनाहट से डरते हैं। वह मधुमक्खियों से दूर भागते हैं और इस बात का फायदा उठाकर जंगल से लगे गांवों मे रहने वाले ग्रामीण क्षेत्रों को सुरक्षित किया जा सकता है। एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि इसके लिए पूरी योजना तैयार की गई है और इस योजना के तहत काम किया जाएगा। इस योजना मे न सिर्फ वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहेंगे, बल्कि ग्रामीणों और बांधवगढ़ में काम करने वाले एनजीओ को भी शामिल किया किया जाएगा।

डिवाइस का भी होगा उपयोग…

एक साथ बहुत सारी मधुमक्खियों को हाथियों के पीछे छोड़ पाना पूरी तरह से आसान काम नहीं है। इसलिए मधुमक्खी पालन के साथ हाथियों से बचाव के लिए एक डिवाइस का भी उपयोग किया जाएगा, जिससे हाथियों को गांव से दूर रखा जा सके। यह डिवाइस उन स्थानों पर लगाया जाएगा जहां मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। जब हाथी गांव की तरफ आएंगे तो इस डिवाइस से मधुमक्खियों की भिनभिनाहट की तेज आवाज निकाली जाएगी और साथ ही पेटियों से मधुमक्खियां निकलकर उडऩे लगेंगी, जिससे हाथी गांव के आसपास नहीं रहेंगे और वहां से दूर भाग जाएंगे।

ग्रामीण युवाओं को किया जाएगा प्रशिक्षित…

जिस तरह से अभी हाथियों पर नजर रखने के लिए टीमों का गठन किया गया है और यह टीम हाथियों को गांव से दूर रखने की कोशिश करती है, उसी तरह डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए भी ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। जैसे ही हाथियों के गांव की तरफ आने की सूचना मिलेगी और हाथी गांव के नजदीक पहुंच जाएंगे, वैसे ही इस डिवाइस को ग्रामीण युवा ऑपरेट करना शुरू कर देंगे। ब्लूटूथ और वाईफाई के माध्यम से इस डिवाइस से मक्खियों की भिनभिनाहट जैसी आवाजें आएंगी। इस आवाज के साथ ही मधुमक्खियां भी अपने स्थान को छोड़कर बाहर आ जाएंगी, जिससे हाथी भाग जाएंगे। एसडीओ ने बताया कि मधुमक्खियों की आवाज से जंगली हाथी भयभीत होते हैं और वे दूसरी दिशा में भागते हैं।

ली जाएगी एनजीओ की मदद…

इस कॉन्सेप्ट पर काम करने के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने एक प्रोजेक्ट बनाया है और यह प्रस्ताव वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल को भेज दिया है। इसके लिए राशि प्रोजेक्ट एलीफेंट, खादी ग्रामोद्योग और एनजीओ के माध्यम से जुटाई जाएगी। एलीफेंट प्रोजेक्ट से मिलने वाली राशि से डिवाइस खरीदे जाएंगे, जबकि खादी ग्राम उद्योग से ग्रामीण युवाओं को सहायता दिलाकर मधुमक्खी पालन का काम शुरू कराया जाएगा। डिवाइस ऑपरेटिंग के लिए उन एनजीओ की मदद ली जाएगी जो क्षेत्र मे काम कर रहे हैं।

10 गांव से होगी शुरुआत…

जंगली हाथियों को नियंत्रण में करने का यह अभियान की शुरूआत 10 गांव में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही मधुमक्खी पालने उन 10 गांवों का चयन कर लिया है, जहां से एलीफेंट प्रोजेक्ट के माध्यम से मिलने वाली राशि का उपयोग किया जाना है। इन दस गांव मे लोगों को ट्रेंड किया जाएगा और उसके बाद इस अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा।

 

 

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