Indore News: विमुक्ता की सहनशीलता ने ही उन्हें हमसे दूर किया- प्रो मंगल मिश्र


प्रो मंगल मिश्र
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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कहते हैं छात्र के जीवन में गुरु माता पिता से बढक़र होता है लेकिन इस पंक्ति को बहुत कम शिक्षक चरितार्थ कर पाते हैं। इसके लिए त्याग, समर्पण, प्रेम और सहनशीलता के उस स्तर तक जाना पड़ता है जो एक आम इंसान के लिए संभव नहीं होता।
इंदौर के बीएम कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी की प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा इन गुणों की जीती जागती मिसाल थी और इन्हीं गुणों की वजह से छात्र उन्हें अपने माता पिता से ज्यादा प्यार करते थे। मैं उनका बहुत अधिक सम्मान करता था और इसके कई कारण भी थे। पहला तो यह कि वह प्रो अशोक शर्मा की बहू थी जो हमारे गुरु थे। उन्हें डैडी के नाम से जाना जाता था। इंदौर के शिक्षा जगत को उन्होंने नई ऊंचाईयां दी थी। उनके इन कामों को विमुक्ता ने घर आने के बाद बखूबी आगे बढ़ाया था। परिवार की विरासत को संभालने के साथ वह प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ मेें बैलेंस बिठाने के लिए जानी जाती थी।
एक बार मैं उनके साथ एक जरूरी मीटिंग में बैठा था। उसी वक्त दो छात्र कैबिन के गेट पर आए। उन्हें कुछ परेशानी थी जिसे वे अपनी प्रिंसिपल विमुक्ता से साझा करना चाहते थे। उनके आते ही विमुक्ता वह जरूरी मीटिंग छोडक़र चली गई। उन्होंने पहले छात्रों की परेशानी सुनी उन्हें सही जगह पहुंचाया और फिर मीटिंग में वापस आईं। आते ही उन्होंने कहा मुझे छात्रों को इंतजार करवाना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। उनके इस गुण ने मेरी नजरों में उनका स्थान और भी अधिक ऊंचा कर दिया। आज उनके जाने पर पूरा शिक्षा जगत गमगीन है। मेरा मानना है कि शायद उनकी अच्छाईयों ने ही उनकी जान ले ली। सोचिए जो हरकतें उस छात्र ने विमुक्ता के साथ की यदि वह किसी और शिक्षक के साथ की होती तो पहली ही बार में वह कॉलेज से बर्खास्त हो जाता।
यह विमुक्ता की सहनशीलता ही थी जिसकी वजह से वह छात्र बार बार अभद्रता करने के बाद भी उस कॉलेज में पढ़ रहा था। यहां तक की विमुक्ता ने उसकी मार्कशीट निकलवाने तक में मदद की और उन्हें उस छात्र के भविष्य की भी चिंता रहती थी। उनका चेहरा आज भी नजरों के सामने है। उनमें अहंकार तनिक नहीं था। एक कॉलेज की प्रिंसिपल होने के बावजूद वह छात्रों से पूरे प्रेम के साथ मिलतीं थी। ईश्वर ऐसे सर्वगुण संपन्न शिक्षक बहुत मुश्किल से धरा पर भेजता है। छात्र, समाज और हर मानव को इन शिक्षकों का महत्व समझकर ताउम्र इनकी सीखों पर चलकर अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहिए।
– प्रो मंगल मिश्र, डीएवीवी, कार्य परिषद सदस्य, प्रिंसिपल, क्लॉथ मार्केट कन्या महाविद्यालय, इंदौर






