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सीहोर की लाडली का गौरव: मजदूर की बेटी जिले की पहली महिला अग्निवीर बनी, पिता ने कहा- सपना पूरा हुआ

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देश की बेटियां भी अब बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विश्व पटल पर अपना नाम रोशन कर रही हैं। देशभर में विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर भारत का झंडा लहराकर सीहोर का नाम करने वाली मेघा परमार के नाम से कौन परिचित नहीं होगा। सीहोर की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। इसी कड़ी में मजदूर की 19 वर्षीय बेटी ईशा कुशवाह ने सीहोर की पहली महिला अग्निवीर के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है। 

सीहोर निवासी ईशा कुशवाह नगर के शासकीय चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय में बीएससी थर्ड ईयर की छात्रा है। ईशा ने कॉलेज में दाखिला लेने के साथ ही एनसीसी भी ज्वाइन कर ली थी और उनका लक्ष्य भारतीय सेना में शामिल होना था। इसके लिए ईशा कुशवाह ने शुरू से ही कड़ी मेहनत की और भारतीय सेना में अग्निवीर के पद में भर्ती के लिए आवेदन दिया था। परीक्षा में पास होने के बाद ईशा का चयन अग्निवीर में हो गया है। अग्निवीर बनने के बाद ईशा और उनके परिजन काफी खुश हैं।

पिता ने दिए देश सेवा के संस्कार 

सीहोर जिले की पहली अग्निवीर ईशा कुशवाहा ने बताया कि उसकी मम्मी आंगनवाड़ी में सहायिका के पद पर कार्यरत् हैं और पिताजी सब्जियों का व्यापार करते हैं। आरंभिक शिक्षा नूतन विद्यालय से हासिल की और शासकीय चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही एनसीसी जॉइन कर ली। एनसीसी के कई कैंप भी अटेंड किए और उसमें प्रशिक्षण प्राप्त किया। ईशा ने बताया कि देश की सेवा करने के लिए पिता-माता हमेशा सेवा करने की बात करते थे, उनके संस्कारों का ही परिणाम है कि उसका और उसके परिवार का सेना में जाने का सपना पूरा हुआ। ईशा अग्निवीर में चयनित होने के श्रेय कॉलेज के प्रोफसर और अपने माता पिता को देती हैं। ईशा की मां रीता कुशवाहा ने बताया कि काफी कठिनाइयां उठाने के पश्चात भी उन्होंने अपनी बेटी को मेहनत करके पढ़ाया है अब जब उनकी बेटी अग्निवीर बन गई है तो उन्हें काफी गर्व है।

सेना में जाने के लिए किया कठिन परिश्रम

ईशा कुशवाहा ने बताया कि भारतीय सेना में शामिल होने के लिए उसने कठोर परिश्रम किया है। प्रतिदिन सुबह पांच बजे उठकर कॉलेज ग्राउंड के आठ से 10 चक्कर लगाकर वह प्रतिदिन रनिंग करती है और भोजन में भी उसने अंकुरित आहार का सेवन लगातार किया है। खेलों में भी उनकी काफी रुचि रही है। कॉलेज की ओर से हैंडबॉल भी खेलती हैं। ईशा प्रतिदिन चार किलोमीटर रनिंग करती हैं और बीएससी थर्ड ईयर की घंटों तक पढ़ाई भी करती हैं पढ़ाई के साथ साथ समय-समय पर आर्मी में जाने के लिए तैयारियां भी करती हैं। ईशा ने बीते तीन सालों से एनसीसी के माध्यम से काफी मेहनत की और हाल ही में भोपाल में आयोजित एनसीसी के 10 दिवसीय शिविर में भी भाग लिया था। ईशा ने  युवाओं से कहा कि कि लक्ष्य निर्धारित करके कार्य करना चाहिए एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है  

सेना में किसी महिला का चयन होना गर्व की बात

शासकीय चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय के एनसीसी प्रभारी उदय डोलस ने बताया कि छात्रा का चयन होना गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि छात्रा ने एनसीसी में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। उसमें पर्याप्त योग्यताएं हैं। आगामी दिनों में वह आर्मी ऑफिसर भी बन सकती है। उन्होंने बताया कि छात्रा के अग्निवीर बनने से अन्य छात्राओं पर भी प्रभाव पड़ेगा और आगामी दिनों में एनसीसी के प्रति भी विद्यार्थियों में जिज्ञासा बढ़ेगी।

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